कोटा। CBDT ने सारे Income Tax फॉर्म्स को रिलीज कर दिया है। इन फॉर्म्स को देखने पर आपको समझ आएगा कि इनमें काफी बदलाव हुए हैं। इनमें सबसे अहम बदलाव हुआ है एग्रीकल्चर इनकम और NRI स्टेटस वाले लोगों की अनडिस्क्लोज्ड प्रॉपर्टी को लेकर। सीनियर टैक्स कंसल्टेंट एवं एडवोकेट राजकुमार विजय के अनुसार पहले के फॉर्म्स में इतनी जानकारी नहीं मांगी जाती थी, जितनी इन नए फॉर्म्स में मांगी गई है।
अब लोग एग्रीकल्चर इनकम दिखाकर अपना टैक्स नहीं बचा पाएंगे और सैलरीड लोगों के ITR-1 के दायरे में आने के मानक भी बदल गए हैं। इतना ही नहीं 80 साल से अधिक उम्र के नागरिक नॉर्मल रिटर्न फाइल कर सकते हैं। उन्हें इ-रिटर्न भरने की जरूरत नहीं है।
ये लोग आएंगे ITR-1 के दायरे में
यह आइटीआर सैलरीड क्लास के लिए है। कोई भी भारतीय नागरिक जिसकी टोटल इनकम 50 लाख रुपए तक है वो इसके दायरे में आएंगे। यह आय सैलरी इनकम हो सकती है, हाउस प्रॉपर्टी या कोई अन्य आय स्रोत हो सकता है। इसके अलावा एग्रीकल्चर इनकम 5 हजार से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।
सैलरीड होते हुए भी इन पर नहीं होगा अप्लाई
फॉर्म में ऐसे कई बदलाव किए गए हैं जिनके चलते कई सैलरीड क्लास के लोग इन सभी मानकों पर खरे उतरते हुए भी इस फॉर्म के दायरे में नहीं आएंगे।
-अगर आपके पास कोई भी बिजनेस इनकम है, तो आप आइटीआर-1 के दायरे में नहीं आएंगे। फिर भले ही आप सैलरीड हों और आपकी आय 50 लाख के नीचे हो।
-अगर आपके पास कोई कैपीटल गेन है या आपकी कोई संपत्ति देश के बाहर है, तो भी आप इस फॉर्म के दायरे में नहीं आएंगे।
-अगर आप देश के बाहर किसी भी अकाउंट में साइनिंग अथॉरिटी हैं, यानी आप नौकरीपेशा होते हुए भी ऐसे किसी दोस्त या जानने वाले की कंपनी में साइन करने का अधिकार रखते हैं, जिसका अकाउंट देश के बाहर है, तो भी आप आइटीआर-1 के लिए क्वालिफाई नहीं करेंगे।
-अगर आप ऐसे किसी टैक्स बेनिफिट का लाभ उठाना चाहते हैं जिसका देश के बाहर भुगतान किया गया है तो भी आप इस फॉर्म को यूज नहीं कर सकते हैं।
-अगर आपकी एग्रीकल्चर इनकम पांच हजार रुपए से ज्यादा है तो भी आप ITR-1 के लिए अप्लाई नहीं कर सकते हैं।
-अगर किसी कंपनी में डायरेक्टर हैं या किसी अनलिस्टिड कंपनी के स्टॉक होल्डर हैं तो भी आपको आईटीआर-1 नहीं बल्कि आइटीआर-2 फॉर्म भरना पड़ेगा।
ITR-2 में हुए हैं ये बदलाव
-अगर आपकी टोटल इनकम 50 लाख रुपए से ज्यादा है तो आप सीधे-सीधे आइटीआर-2 भरने सकते हैं।
-पहले इस फॉर्म में तीन एम्पलॉई कैटेगरी दी जाती थी- सरकारी, पीएसयू या अन्य। अब इसमें पेंशन को भी जोड़ दिया गया है।
-इस फॉर्म में रेजिडेंशियल स्टेटस को बहुत क्लीयर कर दिया गया है। अब तक लोग विदेश में नौकरी के लिए चले जाने के बाद भी रेजिडेंट के तौर पर ही आइटीआर भरते थे। अब इस फॉर्म में आपको डिक्लेरेशन देना होगा। आपको बताना होगा कि आप रेजिडेंट के तौर पर फॉर्म भर रहे हैं या NRI के तौर पर।
-अगर आप किसी कंपनी के डायरेक्टर रहे हैं तो नए फॉर्म में आपको पूरी डिटेल देनी होगी। आपको कंपनी का नाम, कंपनी का पैन, कंपनी लिस्टेड थी या अनलिस्टेड थी और आपका डायरेक्टर आईडेंटिफिकेशन नंबर आपको देना होगा।
-अगर आप अनलिस्टेड कंपनी के शेयरहोल्डर भी हैं तो भी आपको शेयरहोल्डिंग की डिटेल्स देनी होगी। इसमें ओपनिंग बैलेंस, शेयरों की संख्या, शेयर खरीदने का कॉस्ट और तारीख समेत तकरीबन सारी डिटेल्स देनी होंगी।
देनी होगा हाउस प्रॉपर्टी से होने वाली आय का ब्यौरा
अगर आपने कोई प्रॉपर्टी रेंट पर दे रखी है और उसका टीडीएस कट रहा है तो एेसे में आपको अपने किराएदार का TAN और PAN दोनों देना होगा। ये नया नियम जोड़ा गया है।
एग्रीकल्चर इनकम में देनी होगी ये डिटेल्स
आपने कृषि से कोई आय कमाई है, तो इसमें आपको अपनी कृषि भूमि की लोकेशन बतानी होगी। इसमें जिले का काम, कृषि भूमि का आकर बताना होगा, साथ ही यह जानकारी देनी होगी कि जमीन किराए पर ली है या आपकी अपनी है और इसपर खेती हो सकती है या नहीं।
फॉरेन इनकम के केस में हुए ये बदलाव
अगर आप विदेश से कोई भी इनकम जनरेट करते हैं, कोई भी शेयरहोल्डिंग है या किसी तरह का लोन ले रखा है तो उस केस में आपको देश के नाम के साथ अपनी इनकम की सारी डिटेल देनी होगी। इसमें कंपनी का नाम, उसका लोकेशन, उसका कोड भी बताना होगा।
अगर आपके पास निगरानी के तौर पर कोई अकाउंट है, या कोई फॉरेन एंटिटी या कर्ज है तो भी डिटेल देनी है, करेई कैश वैल्य या इंश्योरेंस है, किसी फाइनेंशियन इंस्टीट्यूशन को कोई इंटरेस्ट दे रहे हैं, कोई अचल प्रॉपर्टी है या कोई कैपीटल असेट है तो उसका भी डिटेल देना है।