नई दिल्ली। आज भी हर माता पिता अपने बच्चे को इंजीनियर बनाने का ही सपना देखते हैं। यहीं नहीं, आज की युवा पीढ़ी भी आईटी में ही अपना करियर ढूंढती है। लेकिन क्या उनका ये सपना अब अधूरा रह जाएगा।
पिछले कुछ दिनों से आईटी से जिस तरह की खबरें आ रही है उससे कहीं न कहीं इस क्षेत्र में नौकरी की अनिश्चयता भी बढ़ गई है। पहले हर किसी के मुंह में यहीं था हम इंजीनियर बनेंगे और आईटी में काम करेंगे, लेकिन हाल ही में देश की 7 दिग्गज कंपनियों की जो हालत सामने आई है, उससे लगता है आने वाले दिनों में इंजीनियर बनना एक सपना ही रह जाएगा।
कॉग्निजेंट के हिमांशु शर्मा ने बताया कि उनको अचानक अपनी कंपनी छोड़नी पड़ी। कंपनी को उनकी जरूरत नहीं है। उनके एचआर ने उनसे आईकार्ड लिया और बाहर निकाल दिया। ये अनुभव केवल हिमांशु का नहीं है, बल्कि इन दिनों लगातार बड़ी कंपनी, जैसे विप्रो, इंफोसिस, टेक एम और आईबीएम से भी ऐसी लेऑफ की खबरें आ रही हैं।
किसी को कंपनी में काम करते हुए 5 साल हुए तो कोई नया है। लेकिन हर किसी को बगैर किसी नोटिस पीरियर्ड के लिए अचानक एक रीजन देकर निकाल दिया जा रहा है। पिछले हफ्ते तीन बड़ी कंपनियों ने अपने 1000 एंप्लाइज को बाहर निकाल दिया। वे कहते हैं कि कंपनी हर साल इस तरह से छंटनी करती है, कई बार ये पॉलिसी के अंतर्गत आता है।
छह महीने में 56 हजार बाहर
मिंट ने पिछले हफ्ते रिपोर्ट दी आईटी की दिग्गज कंपनियों ने इस साल यानी छह महीने के अंदर 56 हजार कर्मियों को बाहर निकाल दिया है। टेक एम और विप्रो ने 1 हजार और 600 कर्मियों को बाहर का रास्ता दिखाया है। मार्केट एक्सपर्ट कहते हैं कि आने वाले तीन साल आईटी में 2 लाख की छंटनी होगी, लेकिन स्थिति उसके बाद सुधरेगी।
5 लाख को ही नौकरी
अनुमान लगाया जाता है कि भारत में हर साल 1.5 मिलियन इंजीनियर ग्रेजुएट होते हैं, जिसमें से 5 लाख को ही नौकरी मिलती है बाकी बेरोजगार रहते हैं। ऐसे में नई तकनीक को अपनाने के साथ कंपनियों को आगे सोचना होगा।