बेंगलुरु। तेल की आसमान छूती कीमतें ही नहीं, पेट्रोलियम इंडस्ट्री के लिए एक और बड़ी चुनौती है, जो बहुत हद तक पिछली सदी के अंत में बहुचर्चित Y2K बग जैसी तकनीकी चुनौती है। इंडस्ट्री को इस चुनौती से जल्द निपटना होगा, पेट्रोल के दाम के शतक लगाने से पहले निपटना होगा। दरअसल, अगर पेट्रोल की कीमत 100 रुपये प्रति लीटर को पार किया तो पेट्रोल पंपों पर लगे डिस्पेंसिंग यूनिट (आसान शब्दों में मीटर, जो दाम और मात्रा दिखाते हैं) काम करना बंद कर देंगे।
अभी पेट्रोल पंपों पर जो फ्यूल डिस्पेंसिंग यूनिट लगे हैं, वे रुपये में 2 अंक और दशमलव के बाद यानी पैसे भी 2 अंकों के लिहाज से सेट किए गए हैं। इस तरह मौजूदा डिस्पेंसिंग यूनिट जो अधिक से अधिक कीमत दिखा सकते हैं, वह है 99.99 रुपये। ऐसे में अगर पेट्रोल की कीमत 100 रुपये के स्तर को छू गई तो डिस्पेंसिंग यूनिट में 0.00 रुपये दिखेगा।
ऑल इंडिया पेट्रोलियम डीलर्स असोसिएशन के चेयरमैन एम. प्रभाकर रेड्डी कहते हैं, ‘जब डिस्पेंसिंग यूनिट्स को डिजिटल बनाया गया तब किसी ने सोचा भी नहीं था कि पेट्रोल के दाम एक दिन 100 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच जाएगा। वे लोग (पेट्रोलियम कंपनियां) एकदम आखिरी वक्त में जाग रहे हैं। इसका खामियाजा डीलर्स और उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ेगा, क्योंकि सिस्टम को अपग्रेड करने में वक्त लगेगा। रिटेल इंडस्ट्री तो एक तरह से ठहर जाएगी।’
जिस तेजी से पेट्रोल की कीमत बढ़ रही है, उसे देखते हुए इसके जल्द ही 3 अंकों में पहुंचने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। देश के कुछ शहरों में पेट्रोल पहले ही 90 रुपये प्रति लीटर के पार पहुंच चुका है।