ट्रेनों में खान-पान महंगा, अब 18% की दर से लगेगा GST

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नई दिल्ली।  ट्रेन ट्रांसपोर्ट का एक जरिया है और इसे रेस्तरां, मेस या कैंटीन नहीं माना जा सकता। यह बात अथॉरिटी फॉर अडवांस रूलिंग्स (AAR) ने अपने एक ऑर्डर में कही है। AAR का यह ऑर्डर रेलगाड़ियों में खाना मुहैया कराने वालों के लिए बड़ी उलझन पैदा कर सकता है।

दिल्ली एएआर ने अपने ऑर्डर में कहा है कि ट्रेन में फूड और बेवरेज की सप्लाई पर सामान्य जीएसटी लगेगा। पिछले साल सरकारी सर्कुलर के जरिए लागू किया गया 5 पर्सेंट का रियायती जीएसटी इन पर नहीं लगेगा। वैसे इंडस्ट्री ने कुछ सर्विस पर अलग-अलग जीएसटी लगने के बाबत सरकार और जीएसटी काउंसिल से बात की है। उसका कहना है कि इससे आगे चलकर विवाद पैदा हो सकता है।

आउटडोर कैटरिंग पर 18 पर्सेंट जीएसटी लगता है, जबकि कैंटीन सर्विस पर 5 पर्सेंट टैक्स है। मेस या कैंटीन जैसी फसिलिटीज की तरफ से मुहैया कराए जाने वाले फूड या बेवरेज पर लगने वाली जीएसटी को नवंबर में घटाकर 5 पर्सेंट कर दिया गया था। इससे इंडियन रेलवे को जनवरी वाली सप्लाई को एक सर्कुलर के जरिए 5 पर्सेंट ब्रैकेट में डाल दिया गया था।

सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्सेज ऐंड कस्टम्स की तरफ से जारी जिस सर्कुलर के मुताबिक ट्रेनों में मुहैया कराए जाने वाले सामान पर कम टैक्स लगेगा उसमें यह नहीं कहा गया है कि क्या ऐसे ट्रांजैक्शंस को गुड्स या सर्विसेज की सप्लाई माना जाएगा।

एएआर का ऑर्डर दीपक ऐंड कंपनी की ऐप्लिकेशन के जवाब में आया, जिसने मेल और एक्सप्रेस ट्रेन पर (पैकेज्ड, कुक्ड या एमआरपी पर) फूड और बेवरेज की सप्लाई करने के लिए इंडियन रेलवे के साथ करार किया हुआ है। कंपनी ने रेलवे स्टेशनों के फूड स्टॉल या फूड प्लाजा के जरिए ट्रेनों पर खाना सप्लाई करने का भी अग्रीमेंट किया है।

अथॉरिटी ने कहा कि प्लेटफॉर्म पर फिक्स्ड रेट पर सीधे पैसेंजर्स को फूड और बेवरेज की सप्लाई करने में कोई सर्विस एलिमेंट नहीं है इसलिए जीएसटी तय रेट के हिसाब से इंडिविजुअल आइटम्स पर लगेगा। उसने यह भी कहा कि बेवरेज को सिर्फ गर्म करना या ठंडा करना या ऐसी सर्विस देना कारोबार का हिस्सा है और इन पर कोई टैक्स बेनेफिट नहीं मिलेगा।

टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि एएआर के ऑर्डर से ट्रेनों में फूड सप्लाई करने को लेकर थोड़ी क्लैरिटी आएगी। इस पर डेलॉयट इंडिया के पार्टनर एम एस मणि ने कहा, ‘गुड्स सप्लाई के साथ मुहैया कराई जाने वाली सर्विस में गुड्स सप्लाई मेन है, इसलिए इसे जीएसटी के हिसाब से गुड्स सप्लाई माना जाएगा। इसलिए ट्रेन पर उपलब्ध कराई जाने वाली फूड सप्लाई रिटेल शॉप से सामान मुहैया कराने जैसी होगी और जीएसटी भी उसी के हिसाब से लगेगा।’

केपीएमजी के पार्टनर हरप्रीत सिंह ने कहा कि अडवांस अथॉरिटी ने अपने ऑर्डर में जिन सिद्धांतों की बात की है, उनका कियोस्क, फूड स्टॉल, फूड ट्रक वगैरह पर फूड सर्विसेज से जुड़े कंपोजिट सप्लाई अरेंजमेंट पर दूरगामी प्रभाव हो सकता है। PwC की इनडायरेक्ट टैक्स पार्टनर अनीता रस्तोगी ने कहा है कि इस मामले में कोई टकराव नहीं हो यह सुनिश्चित करना जरूरी था।