जयपुर/कोटा। प्रदेश में बजरी संकट से हो रही समस्या का मुद्दा मंगलवार को राजस्थान विधानसभा में उठा। कोटा दक्षिण विधायक संदीप शर्मा ने मुद्दा उठाते हुए शीघ्र समाधान की मांग रखी। साथ ही बजरी के अन्य विकल्पों का प्रयोग करने का सुझाव भी दिया।
विधायक ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के तहत प्रदेश में बजरी खनन बंद है। इसका सीधा असर प्रदेश में चल रहे लोकहित के निर्माण कार्यों पर पड़ रहा है। बजरी खनन बंद होने से प्रदेश में हजारों मजदूरों का रोजगार छिन गया है। कोटा सहित पूरे प्रदेश में जनहित की कई बड़ी योजनाओं पर निर्माण कार्य चल रहा है।
बजरी संकट के कारण निर्माण कार्यों में विलंब होना तय है। रोक के बावजूद भी कोटा सहित प्रदेश के कई इलाकों में बजरी का अवैध खनन जा रही है और महंगे दाम पर बेची जा रही है। पूर्व में जहां एक ट्रॉली बजरी 4 से 5 हजार रुपए में आ जाती थी, वहीं अब 10 से 12 हजार प्रति ट्रॉली मिल रही है।
उन्होंने कहा कि मामले में केंद्र सरकार से वार्ता कर पर्यावरण एनओसी दिलवाकर कर बजरी संकट का समाधान निकाला जाए तथा निर्माण कार्यों में क्रेशर सैंड का उपयोग शुरू किया जाए। सरकारी विभागोंं में भी इसका इस्तेमाल किया जाए और मध्यप्रदेश की भांति छोटे-छोटे काॅन्ट्रेक्ट देकर रेत उपलब्ध कराई जाए।
नगर विकास न्यास, नगर निगम, और पीडब्ल्यूडी के निर्माण कार्यों में क्रेशर सैंड को मान्यता नहीं दी जाती, जबकि अन्य राज्यों के सभी विभागो में क्रेशर सैंड से ही निर्माण करवाए जा रहे हैं।
टूटी सड़कों का टोल वसूल रही कंपनियां
विधायक शर्मा ने हाईवे पर हो रहे हादसों का मामला भी प्रश्नकाल में उठाया। उन्होंने टोल कंपनियों/संवेदकों पर सड़कों की मरम्मत नहीं करने का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग की। पूरक प्रश्न में शर्मा ने कहा कि हाईवे पर यात्रियों से पूरा टोल टैक्स वसूला जाता है, लेकिन सड़कें टूटी रहती है।
उन्होंने यह भी कहा कि हाईवे पर आवारा पशु, नीलगाय आदि से भी दुर्घटनाएं होती है। घायलों को समय पर एंबुलेंस, आक्सीजन और प्राथमिक उपचार नहीं मिल पाता। जवाब में पीडब्ल्यूडी मंत्री युनूस खान ने बताया कि जहां ऐसी शिकायत आती है, वहां हम स्वयं देखते हैं। राज्य सरकार समय-समय पर भारत सरकार को अवगत करवाती है, क्योंकि प्रदेश में ज्यादातर हाइवे एनएचएआई के अधीन हैं।