पहली एकीकृत कृषि निर्यात सुविधा के लिए 284 करोड़ मंजूर, जानें क्या होगा फायदा

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नई दिल्ली। अब निर्यात किए जाने वाले कृषि उत्पादों को ज्यादा समय तक सुरक्षित रखा जा सकेगा। इसके लिए भारत की पहली एकीकृत कृषि-निर्यात सुविधा (Integrated Agri-Export Facility) स्थापित होने जा रही है। यह सुविधा लॉजिस्टिक्स में अकुशलताओं को दूर करने के साथ ही निर्यात क्षमता में वृद्धि करेगी।

एकीकृत कृषि-निर्यात सुविधा मुंबई स्थित जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह पर स्थापित की जाएगी। केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने इस सुविधा को स्थापित करने जवाहरलाल बंदरगाह प्राधिकरण (JNPA) के लिए 284.19 करोड़ रुपये की स्वीकृति दे दी है। इस लागत से 67,422 वर्ग मीटर के क्षेत्र में एक अत्याधुनिक कृषि सुविधा स्थापित होने जा रही है। यह सुविधा पीपीपी मॉडल के माध्यम से विकसित की जाएगी।

सोनोवाल ने कहा कि इससे न केवल कृषि निर्यात क्षमताओं को बढ़ाया जाएगा, बल्कि किसानों और ग्रामीण समुदायों की भी सहायता की जाएगी। जेएनपीए में इस ऑल-इन-वन कृषि सुविधा के विकास से लॉजिस्टिक सुव्यवस्थित होगा। बर्बादी में कमी आने के साथ ही किसानों को कृषि उत्पादों के बेहतर मूल्य भी मिलेंगे।

एकीकृत कृषि-निर्यात सुविधा गैर-बासमती चावल, मक्का, मसाले, प्याज और गेहूं जैसी प्रमुख वस्तुओं के निर्यात को लाभ होगा। जेएनपीए फ्रोजन मीट उत्पादों और अन्य समुद्री उत्पादों के लिए एक प्रमुख प्रवेश द्वार है। इसलिए नई सुविधा मुंबई से दूर के क्षेत्रों से मीट और समुद्री उत्पादों के निर्यातकों को भी सहायता प्रदान करेगी।

विशेष रूप से छोटे निर्यातकों को बंदरगाह आधारित सुविधा से लाभ होगा। जिससे लॉजिस्टिक, कंटेनर बुकिंग, कोल्ड चेन लॉजिस्टिक्स और निर्यात संचालन में उनकी क्षमताओं में सुधार होगा। इस सुविधा से निर्यात क्षमता में वृद्धि होने का अनुमान है। जिसमें 1800 टन फ्रोजन स्टोर, 5800 टन कोल्ड स्टोर, अनाज और सूखे माल के लिए 12,000 टन वेयरहाउस क्षमता बढ़ सकती है।