आखिर कोचिंग संचालकों के आगे थम गए प्रशासन के कदम

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कोटा के कोचिंग संचालकों ने अपनी ओर से टेस्ट आयोजित करने की मांग रखे जाने की जगह कोचिंग के छात्रों से ही यह मांग उठवाई गई कि टेस्ट और परीक्षाओं के आयोजन पर लगी रोक को हटाया जाए क्योंकि इस रोक की वजह से छात्र अपनी तैयारियों का सही तरीके से मूल्यांकन नहीं कर पा रहे हैं। कोचिंग संचालकों की यह रणनीति कामयाबी भी रही और प्रशासन ने टेस्ट पर लगी रोक को कथित शर्तों के साथ हटा भी दिया।

-कृष्ण बलदेव हाडा –
कोटा।
Coaching Institute Kota: आखिरकार कोटा के कोचिंग संस्थानों के संचालकों की दबाव बनाने की रणनीति काम आई और कुछ दिनों की रोक के बाद जिला प्रशासन को ताकतवर कोचिंग संस्थानों के संचालकों की मर्जी के अनुसार कोचिंग छात्रों के टेस्ट और परीक्षा आयोजित करने की अनुमति देने को मजबूर होना ही पड़ा।

हालांकि इस बार कोचिंग संचालकों ने बड़ी सावधानी से इस बात के लिए प्रशासन पर छात्रों के जरिए ही दबाव बनाने की कोशिश की जो कामयाब रही। कोचिंग संचालकों ने खुद कुछ कहने की जगह छात्रों की ओर से यह कहलवाया गया कि वे चाहते हैं कि कोचिंग संस्थानों में टेस्ट-परीक्षायें आयोजित की जाएं।

क्योंकि टेस्ट आदि नहीं होने से कोचिंग छात्र ही अपनी तैयारियों का सही तरीके से मूल्यांकन नहीं कर पा रहे हैं। इसलिए कोचिंग संस्थानों में टेस्ट आयोजित करने पर लगी रोक हटाई जानी चाहिए, ताकि टेस्ट हो और उसके परिणामों के जरिए छात्र अपने स्तर पर हुई कमी महसूस करें तो उन्हें उसकी पूर्ति के लिए प्रयास करने का मौका मिल सके।

इसके लिए बकायदा विज्ञापन एजेंसी और स्थानीय बड़े समाचार पत्रों के जरिए कोचिंग संस्थानों ने अभियान छेड़ा। विज्ञापन एजेंसियों के जरिए मीडिया में छात्रों से यह बात कहलाई गई कि-‘छात्र ही चाहते हैं कि वे अपने अध्ययन का मूल्यांकन कर सके तो इसके लिए जरूरी है कि टेस्ट हो और उसके अनुरूप छात्र आगे की अपनी शैक्षणिक गतिविधियों को बढ़ा सकें।’

कोटा के कोचिंग संचालकों की यह रणनीति काम आई और आखिरकार जिला मजिस्ट्रेट ने कोचिंग संस्थान संचालकों को टेस्ट आयोजित करने की अनुमति दे दी। हालांकि यह कहा जा रहा है कि यह अनुमति सशर्त है और इसमें कोचिंग छात्रों के भाग लेने की अनिवार्यता नहीं होगी। साथ यह भी कहा गया है कि टेस्ट के अगले दिन अवकाश करना पड़ेगा।

मकसद यही है कि अगले दिन कोचिंग छात्र, शारीरिक और मानसिक रूप से राहत महसूस कर सकें। लेकिन यह जगजाहिर है कि पूर्व में दी गई प्रशासनिक हिदायतों-कायदों की कोचिंग संस्थान संचालकों ने कितनी पालना की है? कोटा में बीते आठ माह में कोचिंग छात्रों के आत्महत्या की 27 घटनाओं के बाद राज्य सरकार ने अपनी चिंता व्यक्त करते हुए यहां के कोचिंग संस्थानों की कार्यप्रणाली पर नाराजगी जताई थी।

आत्महत्या करने की घटनाएं इतनी चिंताजनक स्थिति में पहुंच गई थी, कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को जयपुर से वर्चुअली कोटा के कोचिंग संस्थानों के मालिकों और हॉस्टल संचालकों की बैठक लेनी पड़ी थी जिसमें मुख्यमंत्री ने खुद न केवल छात्रों की बढ़ती आत्महत्या की घटनाओं पर चिंता व्यक्त की थी। बल्कि इसके कारणों के बारे में कोचिंग संस्थानों के संचालकों से सवाल भी किए थे।

मुख्यमंत्री के जवाब-तलबी के बाद राज्य के उच्च शिक्षा सचिव भवानी सिंह देथा ने तो ऐसी ही एक बैठक में कोटा के कोचिंग संस्थानों की कार्यप्रणाली की खामियों को लेकर उसके संचालकों को बुरी तरह फटकार भी लगाई थी और उसके बाद राज्य के उच्च शिक्षा सचिव की अध्यक्षता में एक तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित की गई थी, जिसने यह माना था कि कोचिंग संस्थानों की ओर से आयोजित किए जाने वाले टेस्ट और उसके बाद दी जाने वाली रैंकिंग छात्रों में तनाव की बड़ी वजह है।

इस रिपोर्ट के आधार पर अगस्त महीने में आत्महत्या की कुछ घटनाएं होने के बाद जिला प्रशासन के निर्देश पर गत 27 अगस्त को एक आदेश जारी कर अगले दो महीने के लिए कोचिंग संस्थानों की ओर से टेस्ट-परीक्षा आयोजित करने पर सख्ती से रोक लगा दी थी।

लेकिन अब यह बताया जा रहा है कि कोचिंग छात्रों की मांग पर ही कोटा के कोचिंग संस्थानों को टेस्ट आयोजित करने की सशर्त अनुमति दे दी है। अब टेस्ट के बाद कोटा के कोचिंग संस्थान न तो इन टेस्टों के परिणामों को सार्वजनिक कर सकेंगे और न ही छात्रों को अंकों के आधार पर रैंक दे सकेंगे।