प्लास्टिक के अजैविक कचरे को हटाने का अभियान शुरू

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कोटा। जैव विविधता संरक्षण दिवस पर सोमवार को वन विभाग एवं स्मृतिवन लव कुश वाटिका सलाहकार समिति अनंतपुरा के संयुक्त तत्वावधान में पाॅलीथीन और प्लास्टिक के अजैविक कचरे को हटाने का अभियान शुरू किया गया।

मण्डल वन अधिकारी जयराम पाण्डे ने आयोजित संक्षिप्त संगोष्ठी में बताया कि स्मृतिवन में नव निर्मित लवकुश वाटिका को पूर्णतः प्लास्टिक, पाॅलीथीन के कचरे से मुक्त बनाया जाएगा। मिशन एनवायरमेंट लाइफ स्टाइल का अभियान भी पर्यावरण पखवाडे के तहत चालू किया जाएगा।

लव कुश वाटिका में प्रवेश करने से पूर्व ही स्वागत द्वार पर ही इसे चैक किया जाएगा। उन्होंने वन भूमि पर इधर उधर से उ़ड़ कर आई प्लास्टिक की थैलियों को एकत्र कर बाहर निस्तारण के लिए भेजा । यहां पूर्व में कचरे के ढेर लगे थे, आज लव कुश वाटिका तैयार हो गई है तथा नक्षत्र वाटिका में पेड़ पौधों ,वन्यजीवों की जानकारी युक्त बोर्ड लगाए जा रहे हैं।

संचालक केईएसएस के अध्यक्ष बृजेश विजयवर्गीय ने बताया कि संगोष्ठी में जल बिरादरी के अध्यक्ष सीकेएस परमार, पर्यावरणप्रेमी हमलोग के संयोजक डाॅ. सुधीर गुप्ता, चम्बल संसद के डाॅ. कृष्णेंद्र सिंह,राजेंद्र जैन, इंजीनियर हरकचंद जैन, मुकेश सुमन, डाॅ. विनीत महोबिया, समाज सेवी हेमलता गांधी ने कहा की जैव विविधता संरक्षण के लिए पेड़ पौधों को लगाने से ज्यादा बचाना महत्वपूर्ण है। हमें हमारी चम्बल समेत सभी नदियों को स्वच्छ रखना है।

वक्ताओं ने दुनिया में सुमुद्री जल के बढ़ने, वहां कचरे से उत्पन्न समस्या, पेड़ों की कटाई से बढ़ता तापमान, हीटवेव, प्रदूषण आदि से मानव के स्वास्थ्य पर बढ़ते संकट से सावचेत किया। शहरी रोजगार योजना की श्रमिक संतोष पांचाल ने भी विचार व्यक्त किए। क्षेत्रीय वन अधिकारी कुंदन सिंह, वनपाल स्मृति वन धर्मराज,नीतू मालव, शहरी नरेगा श्रमिकों आदि ने स्मृतिवन को पाॅलीथीन मुक्त बनाने का कार्य शुरू किया।

इस अवसर पर महाराणा प्रताप की जयंती पर उनके शौर्य को भी याद किया गया। विजयवर्गीय ने कहा कि महाराणा प्रताप ने वन वासियों को एकत्र कर सेना का पुनर्गठन किया और अपनी जन्म भूमि को आक्रांताओं से मुक्त किया।

कोटा एनवायरमेंटल सेनीटेशन सोसायटी के अध्यक्ष बृजेश विजयवर्गीय, सचिव विनीत महोबिया ने बताया कि पाॅलीथीन, प्लास्टिक कचरे के प्रति सरकारी प्रतिबंध कारगर नहीं हो रहे। इसके लिए शिक्षण संस्थाओं और सामाजिक संस्थाओं के स्तर पर व्यापक जन चेतना अभियान चलाने के लिए केईएसएस ने कार्यक्रम तय किए हैं।

केईएसएस के सदस्यों का विशेष जोर इस विषय पर रहेगा कि कचरे के पृथक्कीकरण, प्लास्टिक,पाॅलीथीन रिसाईक्लिंग प्रोसेस ईकाइयों और पुर्नचक्रित इकाइयों के तंत्र को विकसित किया जाए। जैविक और अजैविक कचरे के सुप्रबंधन से शहरों और कस्बों में डम्पिंग यार्ड समाप्त हो सकते हैं। इन सबके लिए लोगों की कचरा बनाने की आदत में बदलाव करने की आवश्यकता है। कचरा न करना भी सफाई व्यवस्था को सुचारू बनाने के लिए जरूरी है।