भरत सिंह ने चुनाव नहीं लड़ने के अपने फैसले को दोहराया, राजनीति से संन्यास लेने से किया इंकार
-कृष्ण बलदेव हाडा-
कोटा। राजस्थान में कोटा के सांगोद विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक और पूर्व में कैबिनेट मंत्री रह चुके भरत सिंह कुंदनपुर ने कहा कि वे राजनीति से संन्यास नहीं ले रहे लेकिन वे किसी को खुश करने के लिये राजनीति नही कर रहे।
विधानसभा में पहुंचने के पीछे उनका मकसद उस मंच से जनता के पक्ष को सशक्त तरीके से प्रस्तुत करने का था और उन्होंने हमेशा ऐसा ही किया है। लेकिन, अब लगता है कि इस मंच पर उनकी बात को अनसुना किया जा रहा है तो उन्होंने विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है। यह राजनीति से सन्यास लेना नहीं है। जनता के बीच उपस्थिति सबसे बड़ा मंच है। इस मंच के जरिए वे लगातार अपनी बात को उठाते रहेंगे।
श्री भरत सिंह ने आज कोटा में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि विधानसभा में अब उनकी उपयोगिता-उपादेयता समाप्त हो गई है, ऐसा उनका मानना है। इसलिए अब वे चाहते हैं कि युवा पीढ़ी के लोग राजनीति में आगे आएं। उनके लिए जगह बनाने के लिए ही वे विधानसभा छोड़ने के लिए चुनाव नहीं लड़ने के अपने फैसले पर अड़िग हैं। वे अपनी बात को जनता के बीच पहुंचाने के संकल्प पर कायम हैं। उनका मानना है कि और भी बहुत सारे ऐसे मंच हैं जिनके जरिए बात रखी जा सकती है।
श्री सिंह ने कहा कि उन्हें भी चुनावी राजनीति करने के लिए मौका मिला और उन्हें सहयोग भी मिला। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी जब वे युवा थे तो तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने चुनावी राजनीति में आने का अवसर प्रदान किया और चुनाव लड़ने का मौका दिया। श्री सिंह ने कहा कि उन्हें भी अपनी बात कहने के लिए किसी विधानसभा की जरूरत नहीं है।
वे राजनीति में अपनी विचारधारा की वजह से है। वे कांग्रेसी हैं और इसी विचारधारा से बंधे हुए हैं। किसी व्यक्ति विशेष को खुश करने के लिये राजनीति नहीं कर रहे हैं और ना ही किसी को प्रसन्न करके राजनीति में अपना अस्तित्व बचाए रखने की कोशिश कर रहे हैं।
श्री सिंह ने कहा कि उन्हें इस बात का सुखद एहसास है कि पार्टी में उन्हें अपनी बात रखने का भरपूर मौका दिया जाता है। पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भी इस बात को कहते रहे हैं कि कांग्रेस ऐसी पार्टी है जिसमें उसके कार्यकर्ताओं को अपनी बात बोलने का अवसर दिया जाता है। जबकि दूसरी पार्टियों में नेताओं-कार्यकर्ताओं के पास ऐसे अवसर नहीं होते।
श्री भरत सिंह ने इस संदर्भ में राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा श्रीमती वसुंधरा राजे का उदाहरण दिया जो अपनी बहुत सी बातें कहना चाहती हैं, लेकिन भारतीय जनता पार्टी के किसी मंच पर उन्हें बोलने का अवसर नहीं दिया जाता। वे अकेली उदाहरण नहीं है और भी बहुत से लोग हैं, जिनमें पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी, शत्रुघ्न सिन्हा जैसे लोग भी शामिल हैं।
केंद्र में वित्त मंत्री के पद पर रह चुके यशवंत सिन्हा जैसे लोग भी रहे हैं जो अपनी बात को पार्टी मंच पर सफलता से रख पाने में विफल होने के बाद पार्टी से बाहर हो चुके हैं। श्री सिंह ने कहा कि वे लगातार भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी बात को रख रहे हैं, लेकिन इसके पीछे उनका मकसद राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के हाथों को मजबूत करना ही है।
क्योंकि जिस समय उन्होंने प्रदेश की सत्ता की बागडोर संभाली थी तो प्रदेश में भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाने का संकल्प किया था। लेकिन सत्ता की राजनीति के चलते वे अपने इस संकल्प को पूरा नहीं कर पा रहे हैं। वे मुख्यमंत्री की पीड़ा को समझ रहे हैं, इसीलिए उनका प्रतिनिधित्व करते हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी बात को रख रहे हैं।
उन्होंने कहा कि “पार्टी ने मुझे भ्रष्टाचार के खिलाफ अलग-अलग मंचों पर अपनी बात रखने का जो बेहतर अवसर प्रदान किया है, वह सराहनीय है। भ्रष्टाचार के खिलाफ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की जीरो टॉलरेंस के संकल्प की पालना में ही वे 23 जनवरी को बारां जिला मुख्यालय पर भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे। ताकि मुख्यमंत्री के हाथ मजबूत हो।
जो बात मुख्यमंत्री नहीं कर पा रहे, वह इस प्रदर्शन के जरिए वे कहना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि इस प्रदर्शन में कितने लोग शामिल होंगे, यह उनकी सोच का विषय नहीं है। क्योंकि उन्होंने किसी को कचोरी खाने के लिए तो आमंत्रित किया नहीं है।
भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज को बुलंद करने की अपनी इस मुहिम में उन्होंने सभी लोगों, पार्टी के सभी कार्यकर्ताओं को आमंत्रित किया है। अब देखना यह है कि 23 जनवरी को कौन इसमें अपनी भागीदारी निभाता है?
श्री भरत सिंह ने कहा कि सच्चाई की लड़ाई हमेशा एक तरफा होती है। इसमें कोई साथ दे या ना दे, लेकिन इतना तय है कि जीत सच की होती है। वे इस जीत को हासिल करने के लिए कृत संकल्पित हैं। इसके लिए प्रयास जारी है। जनता का सहयोग मिल रहा है।
उन्होंने कहा कि 23 जनवरी को बारां जिले ही नहीं बल्कि समूचे राजस्थान में अवैध खनन और उसके कारण लोगों की हो रही मौतों के खिलाफ बारां के सीनियर हायर सेकेंडरी स्कूल के खेल मैदान में लोग जमा होंगे और वहां से पैदल चलकर प्रताप चौराहे होते हुए वापस उस से मैदान पर पहुंच कर मुख्यमंत्री को सत्ता संभालने के समय भ्रष्टाचार के खिलाफ किए गए जीरो टॉलरेंस के संकल्प की याद दिलाएंगे।