नई दिल्ली। Goa Bar Row: दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को कहा कि गोवा में स्थित सिली सोल्स कैफे एंड बार नामक रेस्त्रां के संबंध में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी या उनकी बेटी के पक्ष में कभी भी कोई लाइसेंस जारी नहीं किया गया। अदालत ने स्मृति ईरानी द्वारा दायर दीवानी मानहानि के मुकदमे में कांग्रेस नेताओं जयराम रमेश, पवन खेड़ा और डिसूजा को समन जारी करते हुए यह टिप्पणी की। ईरानी ने मानहानि के रूप में दो करोड़ रुपये की मांग की है।
न्यायमूर्ति मिनी पुष्कर्ण ने पिछले हफ्ते कांग्रेस नेताओं को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उनके द्वारा लगाए गए कथित आरोपों को सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से हटाने का निर्देश दिया था। उन्होंने सोमवार को जारी अपने 14 पृष्ठों के विस्तृत फैसले में कहा कि दस्तावेजों पर विचार करने पर यह स्पष्ट है कि ऐसा कोई लाइसेंस नहीं है जो कभी वादी या उनकी बेटी के पक्ष में जारी किया गया था। वादी या उनकी बेटी रेस्त्रां की मालिक नहीं हैं। इसके अलावा दस्तावेजों से यह भी प्रथम दृष्टया स्पष्ट है कि स्मृति व उनकी बेटी ने कभी भी लाइसेंस के लिए आवेदन नहीं किया है।
अदालत ने कहा कि न तो रेस्त्रां और न ही जिस भूमि पर रेस्त्रां मौजूद है वह वादी या उसकी बेटी के स्वामित्व में है। यहां तक कि गोवा सरकार द्वारा जारी कारण बताओ नोटिस वादी या उनकी बेटी के नाम पर नहीं है। इन सभी तथ्यों की भी पुष्टि की गई है।
अदालत ने कहा कि रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री को देखते हुए न्यायालय का विचार है कि एक व्यक्ति की प्रतिष्ठा को सर्वोच्च वेदी पर रखा गया है और इसे भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत एक नागरिक के जीवन के अधिकार के समान माना गया है। अदालत ने कहा कि इस प्रकार किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा की रक्षा करने की अनिवार्य आवश्यकता है। वादी समाज का एक सम्मानित सदस्य है और केंद्रीय मंत्रालय का सम्मानित सदस्य है।
अदालत ने माना कि ईरानी ने प्रथम दृष्टया मामला बनाया है और अंतरिम राहत देने के लिए सुविधा का संतुलन उनके पक्ष में और प्रतिवादी नेताओं के खिलाफ है। अदालत ने कहा कि वे इस बात से संतुष्ट हैं कि अगर मानहानि के आरोपों और इससे जुड़ी सामग्री को इंटरनेट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर रहने दिया जाता है, तो वादी को नुकसान की सीमा बहुत अधिक हो सकती है और वादी और उसकी प्रतिष्ठा के लिए हानिकारक हो सकती है।
ईरानी ने कांग्रेस नेताओं द्वारा लगाए सभी आरोपों को झूठे और मानहानि पूर्ण बताते हुए मुकदमा दायर किया है। उन्होंने अदालत से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, ट्विटर, यूट्यूब और मेटा को प्रेस कॉन्फ्रेंस के वीडियो और उसी से जुड़ी सामग्री को हटाने के लिए एकतरफा अंतरिम अस्थायी निषेधाज्ञा की मांग की है।