नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में अर्जी दाखिल कर भारत सरकार के अग्निपथ योजना (Agneepath Scheme) को चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ता एडवोकेट मनोहर लाल शर्मा ने मामले में भारत सरकार के डिफेंस मिनिस्ट्री को प्रतिवादी बनाया है और अग्निपथ स्कीम को खारिज करने की गुहार लगाई है।
याचिकाकर्ता शर्मा ने अपनी अर्जी में कहा है कि 14 जून 2022 को फैसला लिया कि अग्निपथ योजना के जरिये अग्निवीरों (Agniveer) को चार साल के लिए रखा जाएगा। इनमें से 25 फीसदी को स्थायी किया जाएगा बाकी 75 फीसदी को नहीं रखा जाएगा। चार साल तक वेतन आदि जो भी मिलेगा उसके बाद कोई पेंशन आदि नहीं होगा।
याची ने कहा है कि ऑफिसर के लिए स्थायी कमीशन होता है और ऑफिसर रिटायर करता है 60 साल की उम्र में। याची ने कहा कि 14 जून 2022 को इसके विपरीत सरकार ने कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर रखने लिए स्कीम लेकर आई है। युवा को इस स्कीम के बाद अपना भविष्य अंधकारमय लग रहा है।
इस योजना के बाद देश भर में प्रदर्शन हो रहे है। 17 जून को गुड़गांव में 144 लगा दिया गया। आईटीओ दिल्ली में स्टूडेंट्स ने प्रोटेस्ट किया है। 14 जून के ऑर्डर व नोटिफिकेशन को खारिज किया जाए और उसे गैर संवैधानिक घोषित किया जाए। याचिकाकर्ता ने गुहार लगाई है कि कोर्ट उचित आदेश पारित करे।
इससे पहले 18 जून को सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर अग्निपथ हिंसा मामले में एसआईटी जांच कराए जाने की गुहार लगाई गई है। याचिकाकर्ता ने अग्निपथ योजना पर सवाल उठाते हुए इसे एग्जामिन करने के लिए एक एक्सपर्ट कमेटी गठित करने की गुहार लगाई है।
सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट विशाल तिवारी की ओर से जनहित याचिका दायर की गई है और कहा गया है कि आर्म फोर्सेस में भर्ती के लिए आई योजना अग्निपथ के विरोध में देश भर में जो प्रदर्शन हो रहे हैं और इस दौरान जो सरकारी जैसे रेलवे आदि की संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया गया है उसकी जांच होनी चाहिए और जांच के लिए एसआईटी का गठन होना चाहिए।
याचिकाकर्ता ने कहा कि अग्निपथ योजना के विरोध में स्टूडेंट्स व अन्य गुस्से में नई दिल्ली भागलपुर विक्रमशीला एक्स्प्रेस की 20 बोगी में आग लगा दी। कई दूसरी ट्रनों को क्षतिग्रस्त किया गया। कई ट्रेनें रद्द है। कोर्ट में दाखिल याचिका में केंद्र के अलावा, यूपी, हरियाणा, राजस्थान, बिहार आदि को प्रतिवादी बनाया गया है।