सशक्त लोकतंत्र के निर्माण के लिए जिम्मेदार प्रतिपक्ष अनिवार्य: बिरला

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भोपाल। लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बुधवार को मध्य प्रदेश विधान सभा में ‘संसदीय उत्कृष्टता सम्मान’ प्रदान करने हेतु आयोजित कार्यक्रम में भाग लिया और पं. रविशंकर शुक्ल स्मृति सर्वश्रेष्ठ मंत्री सम्मान, सुंदरलाल पटवा सर्वश्रेष्ठ विधायक सम्मान, जमुना देवी स्मृति उत्कृष्ट पत्रकारिता सम्मान माणिकचंद बाजपेई उत्कृष्ट पत्रकारिता सम्मान: पं. कुंजीलाल दुबे स्मृति सर्वश्रेष्ठ अधिकारी सम्मान व खं.के. रांगोले स्मृति सर्वश्रेष्ठ कर्मचारी सम्मान प्रदान किये।

इस अवसर पर बिरला ने कहा कि इस विधान सभा का एक गौरवपूर्ण संसदीय इतिहास रहा है और इसकी उच्च संसदीय परंपराओं ने हमेशा देश और राज्य को एक नई दिशा दी है। उन्होंने राज्य के उन सभी पूर्व विधान सभा अध्यक्षों और पूर्व नेताओं का स्मरण किया जिनके योगदान से देश में लोकतंत्र सशक्त हुआ है और लोकतांत्रिक संस्थाएं समृद्ध हुई हैं।

विधान सभा के अध्यक्ष गिरीश गौतम, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और मध्य प्रदेश विधान मंडल के सदस्यगण इस अवसर पर उपस्थित थे।

बिरला ने कहा कि लोकतांत्रिक संस्थाओं के प्रति जनता का विश्वास एवं भरोसा और अधिक बढ़े, इसके लिए हमें सामूहिकता के साथ मिलकर इन सदनों की मर्यादाओं व परम्पराओं को और मजबूत करना होगा। उन्होंने चिंता व्यक्त की कि सदनों में गिरती हुई मर्यादा, शालीनता और गरिमा हमारे लिए बड़ी चिंता का विषय है। इस बिषय मे उन्होंने आगे कहा कि राष्ट्रपति और राज्यपाल के अभिभाषणों के दौरान भी व्यवधान उत्पन्न करने, सदनों में गतिरोध पैदा करने तथा अभिभाषण के बहिष्कार की प्रवृत्ति बढ़ रही है। यह हमारा उचित संसदीय आचरण नहीं है।

उन्होंने कहा कि विधान मंडलों के माध्यम से हम सरकार की जवाबदेही तय करते हैं और इसके लिए आवश्यक है कि हम इन संस्थाओं को रचनात्मक चर्चा और संवाद का एक केन्द्र बनाएं ताकि इन चर्चाओं और संवाद के माध्यम से हम एक अपेक्षित परिणाम प्राप्त कर सकें। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि प्रतिपक्ष शासन की जवाबदेही तय करे और प्रशासन में पारदर्शिता लाने की भूमिका निभाए। लोकतंत्र में प्रतिपक्ष जितना मजबूत होगा शासन उतनी ही जवाबदेही के साथ काम करेगा, उन्होंने कहा की एक सशक्त लोकतंत्र के निर्माण के लिए जिम्मेदार प्रतिपक्ष अनिवार्य है।

यह विचार व्यक्त करते हुए कि कानून बनाते समय सदनों में व्यापक चर्चा हो, उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि जिस जनता के लिए कानून बनाया जाता है, उनसे व्यापक स्तर पर परामर्श हो और जनप्रतिनिधि उनका दृष्टिकोण भी सदन में रखें। उन्होंने विशेष तौर पर कहा की कानून बनाते समय उसके प्रभाव का आँकलन भी हमें करना चाहिए ताकि कानून सकारात्मक बने और उससे जनता का कल्याण हो।

सदन मे मंत्रियों की जबाबदेही पर बिरला ने कहा कि मंत्रिपरिषद् का सदन के प्रति सामूहिक उत्तरदायित्व होता और इसलिए मंत्री को अपने विभागों के साथ साथ सरकार के सभी विभागों की व्यापक जानकारी होनी चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि जब वे सदन में प्रश्नों का उत्तर दें अथवा चर्चा संवाद का जवाब दें, तो व्यापक और वृहत् दृष्टिकोण से वे अपनी बात सदन में रखें ।

बिरला ने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि नियोजित तरीके से सदनों में व्यवधान किया जाता है, गतिरोध उत्पन्न किया जाता है, नारेबाजी की जाती है, तख्तियां दिखाई जाती है। उन्होंने कहा कि सदनों में ऐसे नियोजित गतिरोध हमारी संसदीय परंपराओं के अनुकूल नहीं हैं। उन्होंने सदस्यों का आवाह्न किया कि वे सदन की मर्यादा का अक्षुण रखे और जनता की अपेक्षाओं की कसौटी पर खरा उतरने का प्रयास करें।

इनका हुआ सम्मान
इस अवसर पर बिरला ने डा. नरोत्तम मिश्र, भूपेंद्र सिंह व जगदीश देवड़ा को पं. रविशंकर शुक्ल स्मृति सर्वश्रेष्ठ मंत्री सम्मान से अलंकृत किया। उन्होंने मप्र विधानसभा में झूमा सोलंकी, यशपाल सिसोदिया, जयवर्धन सिंह व बहादुर सिंह को सुंदरलाल पटवा सर्वश्रेष्ठ विधायक सम्मान से अलंकृत किया। प्रिंट मीडिया के लिए राकेश अग्निहोत्री, धर्मेन्द्र पैगवार को जमुना देवी स्मृति उत्कृष्ट पत्रकारिता सम्मान भेंट किए।

इसी तरह इलेक्ट्रिोनिक मीडिया के क्षेत्र में प्रवीण दुबे और शैफाली पांडे को माणिकचंद बाजपेई उत्कृष्ट पत्रकारिता सम्मान से अलंकृत किया। मप्र विधान सभा सचिवालय में उत्कृष्ट कार्य के लिए बिरला ने प्रमुख सचिव एपी सिंह, एसएन गौर, श्री राकेश सोले व आरएन दुबे को पं. कुंजीलाल दुबे स्मृति सर्वश्रेष्ठ अधिकारी सम्मान भेंट किया। श्री प्रवीण जानोरकर, डीलाराम भट्टराई तथा हरभवन अहिरवार को खं.के. रांगोले स्मृति सर्वश्रेष्ठ कर्मचारी सम्मान से अलंकृत किया।