स्टॉकिस्टों, मिलों एवं किसानों की मजबूत पकड़ से सरसों में ठहराव

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मुकेश भाटिया
कोटा। सरसों और सरसों तेल के स्टॉकिस्टों, मिलों एवं किसानों की सरसों में मजबूत पकड़ है। आने वाले त्योहारो के दिनों में सरसों में मांग बढ़ने की आशा है। लेकिन पिछले हफ्ते से सरसों तेल और खल के भाव कुछ रूके हुए एवं कमजोर हैं। इस कारण सरसों में मिलर्स की ग्राहकी कमजोर चल रही है। तेल का कारोबार अच्छे चतुर तुजर्बा वाले वर्ग के लोग करते हैं। इन पर सरकार का नियंत्रण करना आसान नहीं है। केंद्र सरकार ने सोया पाम एवं सूरजमुखी पर आयात शुल्क में कमी की है किंतु सरसों तेल को छोड़ दिया है सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन आयात शुल्क का अभी तक विरोध करता आया है।

हाल ही में सरसों से भी आयात शुल्क कम करने की मांग की है। एसोसिएशन का मानना है कि सरसों तेल के भावों के तेज उछाल को काबू करने के लिए अन्य तेलों के मुकाबले अधिक मात्रा में शुल्क में कमी करना चाहिए। मंडियों में सरसों की आमदनी कम होने के मद्देनजर यह मांग की गई है। आयात शुल्क कुछ मात्रा में कम भी किया जाएगा, तब भी सरसों एवं तेल के भावों में और गिरावट आने वाली नहीं है। जोरदार और एक तरफा तेजी पर जरूर ब्रेक लग जाएगा। यही बड़ी राहत की बात है। सरसों-तेल महंगा होने से अन्य तेल मिलावट में जा रहे हैं।

इस वजह से अन्य तेलों के भाव भी ज्यादा नहीं घट रहे हैं। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के अनुसार सभी राज्यों और खाद्य तेल से जुड़े उद्योग संगठन से चर्चा के बाद मंत्रालय एक पोर्टल बनाने में जुट गया है। तेल मिल ऑयल प्रोसेसर स्टॉकिस्ट और होल सेलर आदि डेटा पोर्टल पर डालेंगे जाएंगे। पिछले 6 से 8 महीनो से खाद्य तेल के भावों में आग लगी हुई है। जब कुछ मात्रा में भाव घटने के आसार नजर आ रहे हैं। तब ऐसी स्थिति में वेब पोर्टल से नजर रखने की बात कही जा रही है।

जबकि आम जनता को राहत देने के लिए कड़े कदम की उठाने की आवश्यकता है। हालांकि सोयाबीन की कुल आमदनी हर रोज 40 हजार बोरी के करीब आ रही है। आने वाले दिनों में मौसम साफ रहा तो आमदनी का दबाव बढ़ जाएगा। इसी धारणा से प्लांटों ने खरीद भाव बुरी तरह से तोड़ दिए हैं।

गुजरात के जामनगर राजकोट में 34 हजार हेक्टेयर फसल पानी में बाढ से ज्यादातर क्षेत्रों में मूंगफली नरमा कपास अरहर की फसल को भारी नुकसान पहुंचा है। गोंडल बाबरा झालावाड तहसील में नरमा कपास की 15-20% फसल पूरी तरह नष्ट जामनगर और पोरबंदर मूंगफली के सबसे बड़े उत्पादक क्षेत्रों में से एक, चालू सीजन में इन क्षेत्रों में बारिश 60-70% ही हो पायी। गुजरात में मूंगफली का उत्पादन 32 लाख टन पहुंच सकता है।