परमबीर ने देशमुख के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका देकर CBI जांच की मांग की

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मुंबई। मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्‍नर परमबीर सिंह प्रदेश के गृहमंत्री अनिल देशमुख पर लगाए अपने आरोपों पर अड़े हैं। उन्होंने अब मामले की सीबीआई जांच की मांग कर डाली है। परमबीर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि इससे पहले की सबूत मिटा दिए जाएं, देशमुख पर उगाही एवं भ्रष्टाचार के आरोपों की सीबीआई जांच तुरंत शुरू करवाई जाए। सुप्रीम कोर्ट में याचिका पर सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी परमबीर सिंह का पक्ष रखेंगे।

याचिका में कहा गया है कि अनिल देशमुख ने फरवरी महीने में अपने आवास पर कई मीटिंग की। मुंबई क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट (CIU) के इंस्पेक्टर सचिन वाझे और मुंबई सोशल सर्विस ब्रांच (SCB) के एसीपी संजय पाटिल ने अपने सीनियरों को बायपास करके उन बैठकों में शामिल हुए थे। उस दौरान गृह मंत्री अनिल देशमुख ने वाझे और पाटिल को विभिन्न संस्थानों एवं अन्य संसाधनों से हर महीने 100 करोड़ रुपये की उगाही करने का लक्ष्य दिया।

ट्रांसफर-पोस्टिंग में भ्रष्टाचार का आरोप
परमबीर सिंह ने देशमुख पर ट्रांसफर/पोस्टिंग में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया। उन्होंने याचिका में कहा, “यह भी विश्वस्त सूत्रों से पता चला है कि 24-25 अगस्त, 2020 को राज्य खुफिया विभाग के इंटेलिजेंस कमिश्नर रश्मि शुक्ला ने पुलिस महानिदेशक (DGP) को और फिर डीजीपी ने गृह मंत्रालय में अतिरिक्त मुख्य सचिव को अनिल देशमुख की तरफ से ट्रांसफर-पोस्टिंग में भ्रष्टाचार किए जाने की जानकारी दी थी। ये जानकारियां टेलिफोन पर हुई बातचीत को रिकॉर्ड करके जुटाई गई थीं। इस पर अनिल देशमुख के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय उल्टे रश्मि शुक्ला को ही ठिकाने लगा दिया गया।”

एंटीलिया केस से महाराष्ट्र की राजनीति में बवाल
ध्यान रहे कि उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया के बाहर जिलेटिन रखी हुई गाड़ी पार्क करने के मामले में मुंबई सीआईयू के इंस्पेक्टर सचिन वझे को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने गिरफ्तार किया तो महाराष्ट्र की राजनीति गरमा गई। हालांकि, असली भूचाल तब आया जब मुंबई पुलिस के प्रमुख के पद से ट्रांसफर किए गए परमबीर सिंह ने गृह मंत्री अनिल देशमुख पर उगाही के बेहद सनसनीखेज आरोप लगा दिए। उन्होंने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को चिट्ठी लिखकर कहा कि देशमुख ने सचिन वझे को मुंबई के होटलों, रेस्तराओं, पबों आदि से हर महीने 100 करोड़ रुपये की उगाही करने का आदेश दिया था।