नयी दिल्ली। शादी-विवाह के मौसम तथा त्योहारी सीजन की मांग के साथ खाद्य तेलों का स्टॉक खाली होने से दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में शनिवार को भी लगभग सभी तेल-तिलहनों के भाव में सुधार आया और कीमतें लाभ दर्शाती बंद हुई।
बाजार सूत्रों का मानना है कि खाद्य तेल कीमतों की वैश्विक तेजी से जहां तेल तिलहनों की घरेलू कीमतों में भी सुधार हुआ है, वहीं इसकी वजह से देश में आगे तिलहन उत्पादन के बढ़ने की भी संभावना है। मौजूदा साल में सरसों और सोयाबीन के लिए जिस तरह किसानों को बढ़ा हुआ न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) मिला, वह आगे जारी रहा तो किसान गेहूं और धान की जगह तिलहनों की बुवाई का रकबा बढ़ा सकते हैं।
सूत्रों ने कहा कि मौजूदा स्थिति देश को तिलहन उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर ले जाने के लिहाज से बहुत उपयुक्त है। सरकार को बस इस बात का ध्यान रखना होगा कि वह किसानों को दिया जाने वाला समर्थन आगे जारी रखे और बाजार टूटने की स्थिति में सीपीओ पर आयात शुल्क को बढ़ा दे। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में सरकार को सूरजमुखी की बिजाई और इसके उत्पादन को बढ़ाने के लिहाज से दिये जाने वाले प्रोत्साहनों को बढ़ाना चाहिये ताकि इसका उत्पादन लगभग दोगुना किया जा सके और पहले की ही तरह इसका बिल्कुल भी आयात न करना पड़े।
सूत्रों ने बताया कि अर्जेन्टीना में गर्मी की वजह से लगभग 2,000 हेक्टेयर में लगी फसल झुलस गई, जबकि दूसरे उत्पादक देश ब्राजील में अधिक बरसात की वजह से सोयाबीन उत्पादन के आंकड़े कम रहने की संभावना जताई जा रही है। उन्होंने कहा कि विदेशी आयातित तेलों के महंगा होने की वजह से सरसों और देशी तेलों की मांग बढ़ी है और हालत यह है कि राजस्थान में लगभग 30 साल से बंद पड़ी सरसों मिलों को दोबारा काम मिलना शुरू हो गया है। मांग बढ़ने से जहां सरसों तेल-तिलहनों में सुधार आया वहीं स्थानीय के साथ साथ निर्यात मांग के कारण मूंगफली तेल-तिलहनों की कीमतें भी लाभ में रहीं।
उन्होंने कहा कि कुछ तेल कारोबारियों ने 90,000 टन खाद्य तेल आपूर्ति के फर्जी सौदे किये थे जिसकी मार्च-अप्रैल में आपूर्ति होनी थी लेकिन तेल रिफाइनिंग करने वाली कंपनियों को इनकी डिलिवरी नहीं हो पा रही है। इसमें से 60,000 टन सोयाबीन डीगम तेल भी था। इस स्थिति के होने तथा पामोलीन की वैश्विक मांग बढ़ने से सीपीओ और पामेलीन तेल कीमतों में भी सुधार आया। मलेशिया और शिकॉगो एक्सचेंज में तेजी का रुख बना रहा।
सूत्रों ने कहा कि मौजूदा आयात शुल्क मूल्य के हिसाब से सोयाबीन डीगम की कीमत देश में 136 रुपये किलो बैठती है जबकि सरसों 132 रुपये किलो बैठती है। इसलिए सरसों में मिलावट की संभावना भी कम रह जाती है जो उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य के लिहाज से एक बेहतर खबर है। सरसों की मौजूदा मांग को देखते हुए लगता है कि भविष्य में सरकार को इसकी खरीद की अधिक चिंता नहीं करनी होगी। बाजार में थोक भाव इस प्रकार रहे- (भाव- रुपये प्रति क्विंटल)
सरसों तिलहन – 5,970 – 6,020 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये। मूंगफली दाना – 6,215- 6,280 रुपये। मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात)- 15,150 रुपये। मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल 2,440- 2,500 रुपये प्रति टिन। सरसों तेल दादरी- 13,200 रुपये प्रति क्विंटल। सरसों पक्की घानी- 2,075 -2,165 रुपये प्रति टिन।सरसों कच्ची घानी- 2,205 – 2,320 रुपये प्रति टिन।
तिल तेल मिल डिलिवरी – 14,000 – 17,000 रुपये। सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 14,000 रुपये। सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 13,650 रुपये। सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 12,650 रुपये।सीपीओ एक्स-कांडला- 11,500 रुपये।बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 12,550 रुपये। पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 13,400 रुपये।पामोलिन कांडला 12,400 (बिना जीएसटी के)सोयाबीन तिलहन मिल डिलिवरी 5,625 – 5,675 रुपये प्रति क्विंटल।