नई दिल्ली। महाराष्ट्र और केरल की राह पर चलते हुए झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने केंद्रीय जांच ब्यूरो यानी सीबीआई को राज्य में केस या जांच करने के लिए दी गई जनरल कन्सेंट (सामान्य सहमति अथवा आम सहमति) वापस ले ली है। इसका सीधा मतलब ये हुआ कि अब सीबीआई बिना झारखंड सरकार की मंजूरी के राज्य में ना तो जांच कर पाएगी और ना ही कोई नया केस दर्ज कर सकेगी। ऐसा करने वाला झारखंड, गैर भाजपा शासित सातवां राज्य बन गया है, जहां सीबीआई के पर कतरे गए हैं।
झारखंड से पहले अब तक महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश और केरल की सरकारों ने भी सीबीआई को दी हुई सामान्य सहमति (आम सहमति) को वापस ले ली है। इन सभी राज्यों में बीजेपी या उसके गठबंधन सहयोगियों की सरकार नहीं है। अब इन राज्यों में बिना इजाजत सीबीआई महाराष्ट्र में किसी भी नए मामले की जांच नहीं कर सकती है। तो चलिए जानते हैं क्या है सामान्य सहमति का मतलब और इसका क्या असर होगा.
इस फैसले के बाद सीबीआई की मौजूदा चल रही जांच प्रभावित नहीं होगी मगर अब से यह संघीय एजेंसी यानी सीबीआई इन सात राज्यों में नए मामलों की जांच नहीं कर सकती है।
शिवसेना की अगुवाई वाली महाराष्ट्र सरकार द्वारा 21 अक्टूबर को आम सहमति (जनरल कंसेंट) वापस लेने के बाद से सीबीआई अपनी मुंबई शाखा में एक भी मामला दर्ज नहीं कर पाई है। आमतौर पर हर महीने सीबीआई की मुंबई इकाई में भ्रष्टाचार या बैंक धोखाधड़ी से संबंधित तीन से चार मामले दर्ज किए जाते रहे हैं, मगर महाराष्ट्र सरकार के फैसले के बाद से ऐसा नहीं दिखा है। यहां ध्यान देने वाली बात है कि नई दिल्ली के बाद मुंबई में सालाना सीबीआई के अधिकांश मामले दर्ज होते हैं।
किन-किन राज्यों ने ले ली है आम सहमति वापस- झारखंड, महाराष्ट्र, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, केरल, छत्तीसगढ और पश्चिम बंगाल।
उद्धव सरकार ने यह आम सहमति सीबीआई से तब ली थी, जब टीआरपी स्कैम को लेकर लखनऊ में एफआईआर दर्ज होने के बाद यूपी सरकार ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी।
क्या है यह आम या सामान्य सहमति क्या है?
सीबीआई दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम द्वारा शासित की जाती है। यह अधिनियम उसे किसी भी राज्य में जांच के लिए एक राज्य सरकार की सहमति को अनिवार्य करता है।
कितने तरह की होती है यह सहमति
आम सहमति कुल दो प्रकार की होती हैं। पहली केस स्पेसिफिक और दूसरी जनरल (सामान्य)। यूं तो सीबीआई का अधिकार क्षेत्र केंद्र सरकार के विभागों और कर्मचारियों पर है, लेकिन राज्य सरकार से जुड़े किसी मामले की जांच करने के लिए उसे राज्य सरकार की सहमति की जरूरत होती है। इसके बाद ही, वह राज्य में मामले की जांच कर सकती हे।
सामान्य सहमति के वापस लेने का क्या मतलब?
इसका सीधा मतलब है कि सीबीआई बिना केस स्पेसिफिक सहमति मिले इन राज्यों में किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कोई नया मामला नहीं दर्ज कर पाएगी। सामान्य सहमति को वापस लेने का मतलब है कि राज्य सरकार की अनुमति के बिना इन राज्यों में प्रवेश करते ही किसी भी सीबीआई अफसर के पुलिस अधिकारी के रूप में मिले सभी अधिकार खत्म हो जाते हैं।