चेन्नैई। दुनिया के सभी धर्मों का सम्मान करने की भावना भारतीयों के रक्त में हैं। सेक्युलरिज्म का अर्थ किसी भी धर्म का अपमान या फिर किसी के तुष्टिकरण से नहीं है। उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने चेन्नैई में आयोजित एक कार्यक्रम में यह बात कही। श्री रामकृष्ण मठ की मासिक पत्रिका रामकृष्ण विजयम के शताब्दी वर्ष के मौके पर वाइस प्रेजिडेंट ने कहा कि लंबे समय से भारत में उत्पीड़न के शिकार लोगों को शरण मिलती रही है।
देश के कई हिस्सों में संसद से हाल ही में पारित नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में चल प्रदर्शनों के बीच उन्होंने कहा कि हम अब भी पीड़ित लोगों को लेने के लिए तैयार हैं। हालांकि कुछ लोग इस कदम का विरोध करने में जुटे हैं।
विवेकानंद ने हिंदुत्व से कराया पश्चिम का परिचय
उन्होंने कहा कि भारत ने अतीत में बहुत से लोगों को शरण दी है। स्वामी विवेकानंद की जयंती के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि हम सभी लोगों को उनकी शिक्षा को याद रखना चाहिए और समाज में प्रसार करना चाहिए। वाइस प्रेजिडेंट ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने पश्चिमी दुनिया का परिचय भी हिंदुत्व से कराने का काम किया।
आध्यात्मिकता के लिए भारत की ओर से देखती है दुनिया
नायडू ने कहा, ‘वह एक ऐसे संत थे, जो समाज सुधारक थे और धार्मिर रुढ़ियों के खिलाफ थे। उन्होंने हमेशा मानवता के उत्थान के लिए काम किया और जाति, नस्ल से परे समाज में आध्यात्मिकता का संदेश दिया।’ उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने दुनिया को आध्यात्मिकता के महत्व के बारे में बताया। पूरी दुनिया के लिए भारत आध्यात्मिक गुरु के तौर पर रहा है। पूरी दुनिया मार्गदर्शन और आध्यात्मिकता के लिए भारत की ओर देखती रही है।