जयपुर। प्रदेश में अतिवृष्टि से हुए फसल खराबे को लेकर अगले 10 दिन में गिरदावरी रिपोर्ट सरकार को मिलेगी। इसके बाद ही सरकार नुकसान के आंकड़े जारी करेगी, लेकिन कृषि विभाग ने अपने प्रारंभिक अनुमान में अतिवृष्टि से खरीफ की फसलों को भारी नुकसान की आशंका जताई है।
सबसे ज्यादा नुकसान कोटा, भीलवाड़ा व उदयपुर कृषि डिवीजन में हुआ है। यहां सोयाबीन, उड़द, बाजरा, मक्का, मूंग, तिल, ज्वार, मूंगफली, ग्वार सहित 11 फसलें खराब हुई हैं। सोयाबीन व उड़द की 90% तक फसलें चौपट हो गई हैं। गंगानगर में भी पिछले सप्ताह भारी बारिश से नुकसान की सूचना है। प्रदेश में खरीफ के लिए 10.56 लाख हैक्टेयर में 14 लाख मैट्रिक टन सोयाबीन के उत्पादन का अनुमान लगाया गया था।
सोयाबीन की बुआई इन तीन डिवीजनों में ही होती है। मोटा अनुमान है कि बारिश से करीब 13 लाख मैट्रिक टन सोयाबीन खराब हुई है। देश में सोयाबीन उत्पादन में राजस्थान मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र के बाद तीसरे नंबर पर आता है। उड़द की फसल की बुआई 4 लाख 60 हजार हैक्टेयर में हुई थी। जिससे 3 लाख 81 हजार मैट्रिक टन की पैदावार होने का अनुमान लगाया गया था।
इस फसल की बुआई भी कोटा, भीलवाड़ा और उदयपुर डिवीजन में होती है। भारी बारिश की वजह से करीब 3.5 लाख मैट्रिक टन तक फसल चौपट हो गई है। सोयाबीन और उड़द के बाद तिल, मूंगफली में भी 20 से 30 प्रतिशत तक खराबा हुआ है। इसके अलावा मक्का के उत्पादन में भी भारी नुकसान हुआ है। इनके अलावा बाजरा मूंग, ज्वार, ग्वार की फसलों खराबे की सूचना है।
अतिवृष्टि से 11 फसलें खराब
प्रारंभिक अनुमानों में 11 फसलों में अतिवृष्टि से खराबा सामने आया है। इनमें सबसे ज्यादा नुकसान सोयाबीन और उड़द में हुआ है। खास तौर पर कोटा, भीलवाड़ा और उदयपुर डिवीजन में फसलों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। -बी.एस राठौड़, मुख्य सांख्यिकी अधिकारी, कृषि विभाग