चारा घोटाला: लालू यादव को साढे़ तीन साल की सजा

0
1196

रांची। चारा घोटाले के एक मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने आरजेडी सुप्रीमो और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को साढ़े तीन साल की सजा सुनाई है। इसके अलावा कोर्ट ने लालू पर 5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। बड़ी बात यह है कि लालू समेत सभी दोषियों को जमानत नहीं मिलेगी।

इसके लिए उन्हें उच्च अदालत में जाना होगा। देवघर कोषागार से अवैध तरीके से 89.27 लाख रुपये निकालने के मामले में यह बड़ा फैसला आया है। विडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के जरिए लालू समेत सभी 16 दोषियों ने रांची की बिरसा मुंडा जेल में एक साथ बैठकर जज का फैसला सुना।

मामले में दोषी ठहराए गए फूल चंद्र, महेश प्रसाद, बी. जूलियस, राजाराम, राजेंद्र प्रसाद, सुनील कुमार, सुधीर कुमार और सुशील कुमार को भी 3.5 साल की सजा सुनाई गई है।

गौरतलब है कि पिछले साल 24 दिसंबर को सीबीआई जज ने 1990-1994 के बीच देवघर के सरकारी कोषागार से 89.27 लाख रुपये की अवैध निकासी के मामले में लालू प्रसाद यादव समेत 16 लोगों को दोषी करार दिया था।

अदालत ने पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा समेत छह आरोपियों को बरी कर दिया था। सजा का फैसला 3 जनवरी को ही आना था पर तारीख एक-एक दिन कर टलती जा रही थी।

सुनवाई के दौरान सीबीआई के वकील ने दोषियों को ज्यादा से ज्यादा सजा देने की मांग की थी जबकि लालू के वकील ने खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए कम से कम सजा देने की अपील की थी।

पिछले तीन दिन से कोर्ट में सुनवाई के दौरान लालू और जज के बीच बातचीत के कई प्रसंग सामने आए थे। CBI की विशेष अदालत के जज शिवपाल सिंह ने कहा था कि लालू के लोगों की ओर से उनके पास कई फोन आए थे।

जज ने लालू प्रसाद यादव से कहा था कि, ‘आपके लिए मेरे पास कई लोगों ने सिफारिशें की हैं, लेकिन चिंता करने की जरूरत नहीं है। मैं केवल कानून का पालन करूंगा।’

इससे पहले लालू के वकील ने कोर्ट में दलील दी थी कि, ‘लालू डायबीटीज और ब्लड प्रेशर के मरीज हैं और वह गुरुवार को लगभग बेहोश हो गए थे।’

कोर्ट ने जिन आरोपियों को चारा घोटाले के इस मामले में दोषी करार दिया है, उनमें लालू प्रसाद यादव के अलावा आरके राणा, जगदीश शर्मा, तीन आईएएस अधिकारी तत्कालीन वित्त आयुक्त फूलचंद सिंह, पशुपालन विभाग के तत्कालीन सचिव बेक जूलियस एवं एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी महेश प्रसाद भी शामिल हैं।

लालू ने जेल से भेजा संदेश, तेजस्वी बोले- पार्टी एकजुट
सजा का फैसला आने से पहले ही आरजेडी की ओर से बुलाई गई बैठक में विधायक समेत पार्टी के सभी पदाधिकारी मौजूद थे। बैठक में लालू यादव की चिट्ठी नेताओं में बांटी गई। तेजस्वी यादव ने प्रेस वार्ता में बताया कि फैसला आने के बाद लालू यादव ने जेल से खत लिखा था जो वह जन-जन तक पहुंचाना चाहते हैं। 

तेजस्वी यादव ने बीजेपी और RSS पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार को हमेशा से लालू प्रसाद का डर था, उन्हें साजिश के तहत झूठे मुकदमे में फंसाया गया है।

तेजस्वी ने कहा कि ऐसे समय में हमारी पार्टी एकजुट है और हम मिलकर संघर्ष करेंगे। बिखराव की झूठी खबर फैलाई जा रही है।  तेजस्वी ने कहा कि हमारे पूरे परिवार को परेशान किया जा रहा है, हम फैसले के खिलाफ उच्च अदालत जाएंगे।

इस बीच, लालू के बेटे तेज प्रताप यादव ने कहा, ‘हम पूरी तरह आश्वस्त हैं कि उन्हें (लालू यादव) बेल मिल जाएगी। हमें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है।’

JDU ने कहा, ऐतिहासिक फैसला
लालू यादव को 3.5 साल की जेल के फैसले पर जेडीयू के नेता के. सी. त्यागी ने कहा, ‘हम फैसले का सम्मान करते हैं। बिहार की राजनीति में यह एक ऐतिहासिक फैसला साबित होगा। इसके साथ ही एक अध्याय समाप्त हो गया है।’

जानें क्या है पूरा मामला?
जनवरी 1996 में करीब 950 करोड़ रुपये के चारा घोटाले का खुलासा हुआ था। तत्कालीन उपायुक्त अमित खरे ने पशुपालन विभाग के दफ्तरों पर छापा मारा।

इस दौरान ऐसे दस्तावेज मिले, जिनसे पता चला कि 1990 के दशक में ऐसी कंपनियों को सरकारी कोषागार से चारा आपूर्ति के नाम पर पैसे जारी किए गए, जो थी ही नहीं।

रांची में सीबीआई कोर्ट ने 1990 से 1994 के बीच देवघर ट्रेजरी से फर्जी तरीके से 89.27 लाख निकालने से जुड़े केस में लालू को सजा सुनाई गई है। कोर्ट दिसंबर में ही लालू समेत 16 लोगों को दोषी ठहरा चुका था।

1996 में पटना उच्च न्यायालय ने चारा घोटाले में जांच के आदेश दिए थे। देवघर ट्रेजरी केस में 1997 में 38 लोगों पर चार्जशीट दाखिल हुई। इनमें 11 की मौत हो चुकी है, जबकि 3 सरकारी गवाह बन गए। 2 ने गुनाह कबूल कर लिया था।

जिन आरोपियों को अदालत ने चारा घोटाले के इस मामले में दोषी करार दिया था, उनमें बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव, तीन आईएएस अधिकारी समेत कई वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हैं।