कोटा। Gita jayanti Mahotsav: गीता सत्संग आश्रम समिति की ओर से गीता भवन में आयोजित तीन दिवसीय 64वें गीता जयंती महोत्सव में दूसरे दिन बुधवार को श्री कृष्ण चैतन्य प्रेम भक्ति संकीर्तन के सौजन्य से प्रभात फेरी निकाली गई। इसके बाद जिओ गीता के सौजन्य से यज्ञ आयोजित किया गया। जिसमें मंत्रोच्चारण के साथ आहुतियां दी गईं।
वहीं बटुक ब्राह्मणों द्वारा सामूहिक गीता पाठ किया गया। इस दौरान स्वामी अप्रमेय प्रपन्नाचार्य महाराज प्रयागराज, स्वामी श्री कृष्णकांत द्विवेदी नई दिल्ली तथा महाप्रभु जी बड़ा मंदिर के शरद कुमार महाराज के द्वारा प्रवचन किए गए।
प्रपन्नाचार्य महाराज ने कहा कि मति वही श्रेष्ठ है जो नित्य भगवत चिंतन करती है। परमात्मा सदैव मानव के संकल्प की रक्षा करते हैं। स्वामी कृष्णकांत द्विवेदी ने कहा कि गीता उपदेश का अर्थ भगवान की कृपा का आश्रय है। गीता भगवत आनंद देने वाला शास्त्र है। ऐसे भक्तों की सहज ही मुक्ति हो जाती है। शरद कुमार महाराज ने कहा कि स्नेह पूर्वक की गई सेवा ही श्रेष्ठ है। जिसमें फल की अपेक्षा नहीं रहती है। जब कोई व्यक्ति निस्वार्थ निष्ठापूर्वक अपने कर्म को करता है तो अंतःकरण शुद्ध हो जाता है।
कार्यक्रम संयोजक भगवती प्रसाद खंडेलवाल मोरपा वालों ने बताया कि गीता जयंती महोत्सव के तहत् गुरूवार को गीता भवन में 1:30 से 5:30 बजे तक सत्संग आयोजित होगा। शरण कुमार गोस्वामी बड़ोद के द्वारा प्रवचन के साथ गीता जयंती महोत्सव का समापन होगा।
इस दौरान अध्यक्ष राजेन्द्र खंडेलवाल, महामंत्री रामेश्वर प्रसाद विजय, उपाध्यक्ष कुंती मूंदड़ा, सह मंत्री महेंद्र कुमार मित्तल, महोत्सव समिति के सदस्य गिरिराज गुप्ता, घनश्याम गुप्ता, कृष्ण अवतार गुप्ता, रामकृष्ण बागला समेत विभिन्न लोग उपस्थित रहे।