रेलवे ने आठ कैडर का विलय कर बना दी IRMS, जानिए अब क्या होगा

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    नई दिल्ली। भारतीय रेलवे (Indian Railways) पिछले कुछ वर्षों से बड़े इनोवेटिव और बोल्ड फैसले ले रहा है। हमने पिछले सालों में कई बड़े बदलाव रेलवे में देखे हैं। इसी कड़ी में रेलवे में एक और बड़ा बदलाव हो गया है। भारतीय रेलवे में आठ कैडरों का विलय कर एक सेवा बना दी गई है। इसका नाम भारतीय रेल मैनेजमेंट सर्विस (IRMS) है। कैबिनेट ने इस विलय को पहले ही मंजूरी दे दी थी और अब यह नोटिफाई भी हो गया है।

    इससे रेलवे की 114 साल पुरानी प्रशासनिक व्यवस्था बदल गई है। साथ ही इस फैसले से 70 वर्षों से इन कैडरों के बीच की लॉबिंग (lobbying) भी खत्म हो गई है। रेलवे ने आईआरएमएस (Indian Railway Management Service) के अंदर 36 पदों का विलय कर किया है। रेलवे का कहना है कि इससे अधिकारियों के बीच डिपार्टमेंटलिज्म खत्म होगा।

    ये कैडर हो गए खत्म: भारतीय रेल मैनेजमेंट सर्विस के बनने के साथ ही इंजीनियरिंग, मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल्स, कार्मिक, यातायात, लेखा, भंडारण, सिग्नल और टेलीकॉम कैडर समाप्त हो गए हैं। इन सभी कैडर के अधिकारी अब मैनेजमेंट सर्विस के अधिकारी कहे जाएंगे।

    खत्म हो जाएगी लॉबिंग: रेलवे में शीर्ष पदों पर लॉबिंग की पुरानी परंपरा रही है। अब भारतीय रेलवे में ईक्यू सिस्टम आ जाने से लॉबिंग का सिस्टम खत्म हो जाएगा। केंद्र सरकार ने पहली बार भारतीय रेल में इक्यू को अपनाया है। अब रेलवे में प्रमोशन के समय सीनियरिटी की जगह ईक्यू सिस्टम ही काम करेगा। ईक्यू सिस्टम अधिकतर विकसित देशों के पब्लिक सेक्टर में प्रचलित है।

    36 पदों का हुआ विलय: रेलवे बोर्ड चेयरमैन और बोर्ड के मेंबर्स सहित 36 पद रेलवे मैनेजमेंट सर्विस में विलय हो गए हैं। मंत्रालय ने कहा है कि यह फैसला रेलवे के अधिकारियों के बीच डिपार्टमेंटलिज्म को खत्म करने के लिए लिया गया है। साथ ही इससे यहां इस स्तर तक प्रमोशन (Promotion) के लिए कोई डिपार्टमेंटल कोटा नहीं होगा। केंद्रीय कैबिनेट ने दिसंबर 2019 में अंतर-विभागीय झगड़ों को समाप्त करने के लिए रेलवे की टॉप ब्यूरोकेसी और मैनेजमेंट को पुनर्गठित करने का फैसला लिया था। इन 36 पदों में से 7 पद बोर्ड स्तर के होंगे और शेष 29 पद महाप्रबंधक (GM) स्तर के होंगे। साथ ही यहां कोई विभागीय कोटा नहीं होगा।