राजस्थान / कृषक कल्याण सेस पर व्यापारी और सरकार आमने-सामने

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जयपुर। कोरोना संकट के समय राजस्थान में खाद्य पदार्थ व्यापाारी और सरकार आमने-सामने हो गए है। राजस्थान सरकार की ओर से कृषि जिंसों की खरीद पर लगाए गए दो प्रतिशत कृषक कल्याण शुल्क के विरोध में खाद्य पदार्थ व्यापार संघ ने राजस्थान की 247 मंडिया 15 मई तक बंद करने का फैसला कर लिया है। मंडियां बंद होने से एक बार फिर जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति चेन प्रभावित होने की आशंका है।

राजस्थान में सरकार ने हाल में कृषि जिंसों की खरीद बिक्री पर दो प्रतिशत कृषण कल्याण शुल्क लगायाा है। सरकार का कहना है कि कृषक कल्याण फीस से मिलने वाली राशि राजस्थान राज्य कृषि विपणन बोर्ड के कृषक कल्याण कोष में जमा होगी, जिसका उपयोग केवल किसान और खेती के कल्याण की गतिविधियों और योजनाओं के संचालन के लिए किया जाएगा।

व्यापारी इस संकट के समय इस तरह शुल्क लगाए जाने का विरोध कर रहे है। राजस्थान में लॉकडाउन के कारण 22 मार्च को मंडियां बंद हो गई थी। दूसरे लॉकडाउन में छूट मिलने के बाद 17-18 अप्रेल को मंडियों में काम शुरू हुआ, हालांकि बहुत ज्यादा काम नहीं हो पा रहा था, क्योंकि मंडियों में काम करने के लिए कर्मचारी और मजदूर पर्याप्त संख्या में नहीं मिल रहे थे। इसी बीच मई की शुरूआत में समर्थन मूल्य पर खरीद शुरू होने के साथ ही मंडियों में कृषि जिंसों की खरीद पर दो प्रतिशत कृषक कल्याण सेस लगा दिया। इसके विरोध में राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ के आह्वान पर 15 मई तक मंडियां बंद कर दी।

व्यापारियों को उम्मीद थी कि सरकार इसे वापस लेगी, लेकिन कोई निर्णय नहीं होने के चलते अब फिर एक बार 15 मई तक मंडिया बंद करने का फैसला कर लिया गया। राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ अध्यक्ष बाबूलाल गुप्ता कहते हैं कि सरकार के इस निर्णय से न व्यापारियों को फायदा होगा और न किसान को। सरकार को भी इससे कुछ नहीं मिलेगा, क्योंकि राजस्थान में मंडी टेक्स और कृषण कल्याण शुल्क मिला कर 3.60 प्रतिशत हो चुका है। ऐसे में कृषि जिंसों की कालाबाजारी होगी।

राजस्थान का माल दूसरे राज्यों में जा कर बिकेगा, क्योंकि दूसरे पडोसी राज्यों में मंडी टेक्स कम है। गुप्ता का कहना है कि राजस्थान में माल बिकेगा भी तो उसका भार अंतिम तौर पर उपभोक्ता पर ही आएगा। ऐसे में संकट के इस समय में उपभोक्ता के लिए जरूरी सामान महंगा हो जाएगा। गुप्ता ने बताया कि इस मसले के लिए समाधान के लिए मुख्यमंत्री से बात करेंगे। इसके बाद भी शुल्क वापस नहीं लिया जाता है तो 15 मई को व्यापारियों के साथ आमसभा में चर्चा कर अनिश्चिकाल के लिए मंडी बंद का निर्णय लिया जा सकता है।

यह है सरकार का दावा– उधर सरकार के प्रमुख कृषि सचिव नरेशपाल गंगवार कहते हैं कि कृषि उपज मंडी में उपज की खरीद-बिक्री पर लगाई गई कृषक कल्याण फीस का भार किसान और व्यापारी पर नहीं पड़ेगा। उनका कहना है कि राजस्थान में मण्डी शुल्क 1.60 प्रतिशत है जबकि पड़ोसी राज्यों में मण्डी शुल्क की दरें तुलनात्मक रूप से अधिक है।