भवानीमंडी में शोभायात्रा के साथ ‘नानी बाई रो मायरो’ कथा शुरू

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भवानीमण्डी। मानधना परिवार के पूर्वजों की स्मृति में नवनिर्मित भवन ‘परम्परा’ का उद्घाटन व तीन दिवसीय कथा ‘नानी बाई रो मायरो’ का भव्य शुभारंभ मंगलवार को राधेश्याम बगीची स्थित गोकुलधाम में हुआ। गोवत्स राधाकृष्ण महाराज ने मारवाड़ी शैली में कथा का वाचन कर श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया। इस कथा की शुरुआत शोभायात्रा से हुई।

शोभायात्रा में बड़ी संख्या में नगरवासी व देशभर से आए मानधना माहेश्वरी परिवार के सदस्य शामिल हुए। सुबह राधेश्याम मंदिर से गोवत्स राधाकृष्ण महाराज के सान्निध्य शुरू हुई। शोभायात्रा में महिलाओं ने हाथों में तुलसी वृंद (तुलसी पौधे) धारण किए। महिला-पुरुष पारंपरिक वेशभूषा में भक्ति गीतों पर झूमते हुए चले।

शोभायात्रा में भगवान बांकेबिहारी की सुसज्जित प्रतिमा पुष्पों से अच्छादित रथ पर विराजमान थी, जिसे श्रद्धालुओं द्वारा खींचा गया। शोभायात्रा का मार्ग में सामाजिक संगठनों, व्यापारिक प्रतिष्ठानों एवं स्थानीय निवासियों ने पुष्पवर्षा कर स्वागत किया गया।

शोभायात्रा विभिन्न मार्गों से होती हुई राधेश्याम बगीची पहुंची। यहां राधाकृष्ण महाराज ने कथास्थल पर नवनिर्मित भवन ‘राधे-कुंज’ का भी लोकार्पण किया। कथा की शुरुआत दोपहर में हुंई। जिसमें ना सिर्फ भवानीमण्डी बल्कि आसपास के क्षेत्रों से भी काफी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे और कथा श्रवण की। इ

वाणी की सार्थकता हरि के गुणगान में
‘नानी बाई रो मायरो’ कथा में गोवत्स राधाकृष्ण महाराज ने व्यासपीठ से भक्त और भगवान के बीच गहरे संबंध को विस्तार देते हुए नरसी मेहता के जीवन से जुड़े संगीतमय वृतांत श्रद्धालुओं को सुनाए। भगवान और भक्त की महिमा अनंत होती है। उन्होने कहा कि वाणी की सार्थकता हरि के गुणगान में ही है।

नरसी मेहता ने अपनी वाणी से सदा श्रीहरि का गुणगान किया। बुराइयों और किसी की निंदा में रूचि हमारी भजन में अरूचि का संकेत है। नरसी जी की भगवान में अगाध श्रद्धा थी। नरसी मेहता को बाल्यावस्था में परिवार से धार्मिक संस्कार मिले थे। नरसी मेहतो को भक्त शिरोमणि कहा जाता है।

बसंतोत्सव में बहेगी भजनों की गंगा
मानधना परिवार के गोविन्द माहेश्वरी ने बताया कि श्री माहेश्वरी समाज के संयोजन एवं श्री राधेश्याम मंदिर ट्रस्ट, भारत विकास परिषद, अखिल भारतीय मारवाड़ी महिला संगठन, राजस्थान टेक्सटाइल मिल्स एवं भवानीमण्डी वेलफेयर ट्रस्ट के सहसंयोजन में आयोजित इस कथा के दूसरे दिन बुधवार को गिरिराज मित्र मण्डल, कोटा की ओर से बसंतोत्सव भजन संध्या रात्रि 8 से 11 बजे तक आयोजित होगी। वहीं, अंतिम दिन गुरुवार को संकीर्तन प्रभात फेरी निकाली जाएगी। जोकि सुबह 6 बजे बालाजी मंदिर से प्रारंभ होकर वापिस बालाजी मंदिर पहुंचकर संपन्न होगी।