जल नेति नाक एवं गले में कोरोना वायरस का लोड कम करने में सहायक

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डाॅ. सुरेश पाण्डेय जल नेति करते हुए।

कोटा। देशभर में कोरोना वायरस का संक्रमण लगातार बढ़ता जा रहे है। कोरोना वायरस (coronavirus) के संक्रमण से बचने के लिए हैण्डहाइजिन (हाथों को साबुन 20 सैकण्ड से अधिक साफ करना अथवा सैनेटाइजर के माध्यम से बार-बार हाथ साफ करना), घर से बाहर फेस मास्क लगाकर निकलना आदि उपाय जन सामान्य द्वारा अपनाये जा रहे है। लेकिन, जाने अनजाने में फिजिकल डिस्टेंसिंग (कम से कम 2 गज की दूरी बनायें रखना) कई बार क्रियान्वित नहीं हो पाती है जिसके कारण कोरोना वायरस के संक्रमण की संभावना बढ़ सकती है।

कुछ लोग बार-बार अपने मास्क को नाक व मुंह से हटाकर अपने हाथों से मुँह और नाक को बार-बार छूते है, जिसके कारण भी उन्हें कोरोना वायरस संक्रमण होकर यह वायरस नाक व गले तक पहुँच सकता है। इसके अतिरिक्त चिकित्साकर्मी, पैरामेडिकल एवं नर्सिंग स्टाफ पीपीई किट एवं अन्य सावधानियाँ रखने के बाद भी कोरोना वायरस से सक्रंमित हो सकते है। कोरोना वायरस से बचने के लिए हाथ मिलाने के स्थान पर हाथ जोड़कर नमस्कार करना नामक प्राचीन भारतीय पद्धति आदि का प्रचलन विश्वभर में बढ़ा है।

डाॅ. सुरेश पाण्डेय ने बताया कि वे पिछलें 2 महीने से अस्पताल में मरीज देखने के बाद जल नीति, गरारे एवं भाप लेना आदि प्रक्रिया नियमित रूप से फोलो कर रहे है। नेजो फ्रेरिन्जियल वाॅश (Naso Pharyngeal Wash), स्टीम इनहेलेशन (Steam inhalation) एवं थ्रोट गरारे की प्रक्रिया को नियमित रूप से अपनाने के लिए कोरोना वायरस के सुपर स्पे्रडर कम हो सकेंगे एवं 60 वर्षो से अधिक आयु वाले डायबिटिज हाइपरटेंशन आदि से पीड़ित व्यक्तियों के लिए कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा कम हो सकता है।

जल नेति अथवा नेजो फ्रेरिन्जियल वाॅश (Naso Pharyngeal Wash), कोरोना वायरस (coronavirus) के असर कम करने के लिए असरदार तरीका है। जल नेति नामक विधि में गुनगुने पानी में नमक डालकर नेति पात्र नामक विशेष प्रकार के बर्तन का उपयोग किया जाता है। नेति पात्र से नमक मिला गुनगुना पानी (हाइपरटोनिक सलाइन) एक नाक में छोड़ा जाता है और दूसरी नाक से बाहर निकाला जाता है। जल नेति के दौरान मुँह से साँस लेना होता है।

सुवि नेत्र चिकित्सालय एवं लेसिक लेजर सेन्टर कोटा के नेत्र सर्जन डाॅ. सुरेश पाण्डेय ने बताया कि मई 2020 के लंग इण्डिया नामक मेडिकल जर्नल में प्रकाशित रिसर्च के अनुसार जल नेति कोविड 19 (covid-19) वायरस लोड को नाक एवं गले में कम करने के लिए बहुत सरल तरीका है। डाॅ. पाण्डेय ने बताया कि वे एवं उनके स्टाफगण पिछले 1 माह से जल नेति एवं स्ट्रीम इम्हेलेशन का नियमित प्रयोग कर रहे है एवं उन्होंने जल नेति का वीडियो भी यूट्यूब के माध्यम से आमजनता के लिए शेयर किया है। (देखिए वीडियो)

जल नेति के तहत नेज़ल पेशेज की सफाई के लिए नाक के छेद से हल्के नमक वाला कसूना पानी नासिका के एक छिद्र से प्रवेश कराया जाता है ओर नासिका के दूसरे छिद्र से बाहर निकाला जाता है। इस बात का खास ध्यान रखें कि जल नेति के लिए उपयोग में लिये गया पानी फिल्टर्ड (साफ) हो। जल नेति के पात्र को दूसरों से शेयर न करें एवं इस पात्र को भी समय-समय पर साफ करना अति आवश्यक है।

नेत्र सर्जन डाॅ. विदुषी पाण्डेय ने बताया कि लंग इण्डिया के मई 2020 अंक में प्रकाशित रिसर्च के अनुसार गुनगुने नमकीन पानी से जल नीति नियमित रूप से नाक व गले में वायरस का लोड कम होता है। नाक की श्लेष्मा झिल्ली हाइपर टोनिक स्लाइन की क्लोराइट आयन को हाइपोक्लोरस एसिड में कनवर्ट करती है, जो एन्टीवायरल एजेन्ट के रूप में कार्य करता है। हाइपोक्लोरस एसिड ब्लीचिंग पाउडर का एक कम्पोनेन्ट है जो कि हाथ साफ करने के काम आता है। नियमित रूप से जल नेति, गरारे करने एवं स्ट्रीम भाप लेने से नाक व गले में कोरोना वायरस का लोड कम होता है।

थ्रोट हाइजिन की पद्धति वायरस जनित रोगों को रोकने के लिए जापान के नेशनल गाइड लाइन्स में सम्मिलित की गयी है। गौरतलब है कि दीनानाथ मंगेशकर हाॅस्पिटल, पुणे में 600 चिकित्सक कोविड के मरीजों की देखरेख में लगे हुए थे, जो प्रतिदिन जलनेति कर रहे थे, वे कोविड 19 के संक्रमण से प्रभावित नहीं हुए। वही, दूसरी ओर 18 चिकित्सक जो जल नेति नहीं कर रहे थे, वो कोविड 19 से संक्रमित हो चुके है।