कोटा। मेडिकल काॅलेज कोटा से जुड़े संभी संकायों के चिकित्सक शिक्षकों का तीन दिवसीय प्रशिक्षण वर्ग मंगलवार से कांफ्रेंस हाॅल में शुरू हुआ। जिसमें एमसीआई के द्वारा चिकित्सा शिक्षा में किए गए अहम बदलावों के बारे में टीचर्स को प्रशिक्षित किया जा रहा है।
नए सत्र से एमबीबीएस के छात्र-छात्राओं को बदले प्रारूप में पठन-पाठन का मौका मिलेगा। मेडिकल कौंसिल ऑफ इंडिया ने 70 साल बाद एमबीबीएस के पाठ्यक्रम में आमूल-चूल परिवर्तन किए हैं। इस परिवर्तन से मेडिकल प्राध्यापकों को अवगत कराने के लिए एमसीआई (मेडिकल कौंसिल आफ इंडिया) द्वारा मेडिकल कॉलेज कोटा में तीन दिवसीय रिवाइज्ड बेसिक कोर्स वर्कशॉप का आयोजन किया गया।
आब्जर्वर डाॅ. नीरज महाजन ने पत्रकारों से कहा कि मेडिकल कौंसिल ऑफ इंडिया, मेडिकल शिक्षा में सुधार को लेकर लम्बे समय से फिक्रमंद थी। लम्बे इंतजार के बाद आखिरकार मेडिकल पाठ्यक्रम में बदलाव किए गए हैं। बदले प्रारूप में मेडिकल स्टूडेंट्स को पहले ही दिन से मरीज देखने की प्रैक्टिस (क्लीनिकल) कराई जाएगी।
अभी तक इसके लिए मेडिकल छात्रों को ढाई वर्ष का इंतजार करना पड़ता था। इस नए बदलाव से ऐसे चिकित्सक तैयार किए जाएंगे, जो विशेषज्ञ तो होंगे ही साथ ही उन्हें हर विषय की गहन जानकारी भी होगी।
मेडिकल कॉलेज कोटा के मेडिकल एजुकेशन यूनिट के कोऑर्डिनेटर डा. नरेश एन राॅय ने कहा कि तीन दिवसीय कार्यशाला में मेडिकल प्राध्यापकों को नए पाठ्यक्रम से अवगत कराने के साथ ही उन्हें संवेदनशील इंसान होने के गुण भी बताए जा रहे हैं। बीमारी की डायग्नोसिस करने के तरीके बताने के साथ ही हाल के दिनों में हुए शोध व मेडिकल से जुड़ी नई तकनीक की जानकारी भी दी गई है।
मेडिकल कॉलेज कोटा के प्राचार्य डाॅ. विजय सरदाना ने कहा कि 1997 में एमबीबीएस के पाठ्यक्रम में सामान्य बदलाव हुआ था जबकि इस बीच चिकित्सा क्षेत्र में कई बड़े बदलाव हो चुके हैं तथा नई तकनीक भी आ चुकी है। डाॅ. दीपिका मित्तल ने कहा कि मेडिकल कॉलेज कोटा में चल रही वर्कशॉप काफी उपयोगी होगी।
इस वर्कशॉप में प्रशिक्षण हासिल करने वाले मेडिकल प्राध्यापकों का कहना है कि नए पाठ्यक्रम में प्रायोगिक ज्ञान को बढ़ावा देने पर ज्यादा बल दिया गया है। इस वर्कशॉप में मरीज व उनके परिजनों से चिकित्सक कैसे पेश आएं, इसका भी ज्ञान दिया गया। वर्कशॉप में बेस्ट क्लीनीशियन, लीडरशिप, प्रोफेशनल और बेस्ट कम्युनिकेटर बनने के गुर भी बताए गए।