नई दिल्ली। पंजाब नैशनल बैंक (पीएनबी) 11,300 करोड़ रुपए की ठोकर खाने के बाद अब अपने काम करने के तरीकों में बदलाव ला रहा है। खबरों के मुताबिक, अब स्विफ्ट व्यवस्था की पहुंच बहुत सीमित अधिकारियों तक रह जाएगी, जिसे अबतक क्लर्क तक इस्तेमाल कर पा रहे थे।
बता दें कि नीरव मोदी को कथित रूप से इतना बड़ा घोटाला करने में मदद सोसायटी फोर वर्ल्डवाइड इंटरबैंक फाइनैंशल टेलिकम्युनिकेशन (स्विफ्ट व्यवस्था) से ही मिली थी।
स्विफ्ट व्यवस्था का क्या रोल
यह पूरा घोटाला पीएनबी की मुंबई ब्रांच से जुड़ा है। पीएनबी के कई कर्मचारी इसमें शामिल बताए जा रहे हैं। दो जूनियर कर्मचारियों पर आरोप है कि उन्होंने स्विफ्ट व्यवस्था का गलत इस्तेमाल करके नीरव और मेहुल चौकसी को गैरकानूनी ढंग से कई बार लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (एलओयू) जारी किए थे। इस काम में बैंक के डिप्टी (अब पूर्व) गोकुलनाथ शेट्टी उनका साथ दे रहे थे।
अब क्या बदलेगा?
स्विफ्ट व्यवस्था को अब पीएनबी अधिकारियों तक सीमित कर दिया गया है, पहले बैंक के क्लर्क की भी इस तक पहुंच थी। इसके साथ ही बैंक अधिकारी अपने ओहदे के हिसाब से ही एलओयू जारी कर पाएंगे। नए नियमों की जानकारी नई दिल्ली स्थित मुख्य शाखा द्वारा सभी क्षेत्रीय शाखाओं को दी गई है।
अब स्विफ्ट व्यवस्था को तीन अलग-अलग कर्मचारी ‘शुरू, वेरिफाई और अधिकृत’ करेंगे। अबतक ये काम दो अधिकारी ही कर लेते थे। इसके साथ ही ‘ट्रेजरी डिविजन मुंबई’ नाम की एक युनिट भी बनाई गई है।
यह बैंकों द्वारा स्विफ्ट व्यवस्था के जरिए जो मेसेज भेजे गए होंगे उनको फिर से अधिकृत करेगी। हालांकि, यह सभी संदेशों के साथ नहीं किया जाएगा। जिन मेसज को रिजेक्ट किया गया होगा उनका भी रिकॉर्ड रखा जाएगा।