विधि विधान से बदरीनाथ धाम के कपाट 27 अप्रैल को खुलेंगे

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बद्रीनाथ। उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित बदरीनाथ धाम के कपाट 27 अप्रैल को प्रात: 7 बजकर 10 मिनट बजे खुलेंगे। जबकि गाडू घड़ा तेल कलश यात्रा का दिन 12 अप्रैल निश्चित हुआ।

राजदरबार नरेंद्र नगर में बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर आयोजित धार्मिक समारोह में पंचांग गणना पश्चात विधि विधान से कपाट खुलने की तिथि तय हुई। जबकि गाडू घड़ा तेल कलश यात्रा हेतु 12 अप्रैल की तिथि निश्चित हुई। बद्रीनाथ हाईवे और पुल पर दरारों के बाद यात्रा पर भी सवाल उठने लगे हैं। इसी के बीच मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भरोसा दिलाया है कि बदरीनाथ यात्रा निश्चित समय पर ही शुरू होगी।

बदरीनाथ को जोड़ने वाले पुल तक पहुंचीं दरारें: जोशीमठ को बदरीनाथ से जोड़ने वाले पुल तक भी दरारों का दायरा पहुंच गया है। यह पुल जोशीमठ से 11 किलोमीटर आगे मारवाड़ी में है। यहां बुधवार को पुल और एप्रोच रोड के जोड़ पर दरारें देखी गईं। इसकी सूचना पर एसडीआरएफ की टीम ने मौके का मुआयना किया। यह पुल जोशीमठ को बदरीनाथ के साथ हेमकुंड साहिब, फूलों की घाटी से भी जोड़ता है।

ऐसे में धार्मिक यात्रा और सामारिक दृष्टि से यह पुल काफी महत्वपूर्ण है। माणा पास तक भारतीय सेना की आवाजाही भी इसी पुल से होती है। यह पुल जोशीमठ की तलहटी में अलकनंदा नदी के ऊपर बना है। यहां तक दरारें दिखने से लोग आशंकित हैं। एसडीआरएफ के डिप्टी कमाडेंट मिथिलेश सिंह ने बताया कि जोशीमठ की तरफ पुल की शुरुआत में ही दाएं हिस्से में हल्की दरारें दिख रही हैं।

उनका कहना है कि हालांकि यह बता पाना मुश्किल है कि ये नई दरारें हैं या पुरानी। यहां दरारों में लकड़ी फंसाई गई है,ताकि पता किया जा सके कि दरारें चौड़ी तो नहीं हो रही है। इस पर लगातार नजर रखी जा रही है। साथ ही प्रशासन और बीआरओ को भी इस संबंध में सूचना दे दी गई है।

जोशीमठ से ही होगी बदरीनाथ यात्रा: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि, जोशीमठ में 70 फीसदी दुकानें खुली हुई हैं। वहां जनजीवन सामान्य है। लोगों का औली आना-जाना भी जारी है। इसबार बदरीनाथ यात्रा जोशीमठ से ही कराई जाएगी। जोशीमठ में सरकार की ओर से समुचित प्रबंध किए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जोशीमठ के हालात पर नजर बनाए हुए हैं। उन्होंने कहा कि, जोशीमठ में आठ संस्थानों की टीमें सर्वेक्षण कर रही हैं। एनडीआरएफ, एनडीएमए मौके पर है।

52 से ज्यादा दरारें: रोपवे तिराहे से नृसिंह मंदिर परिसर स्थित आदिगुरू शंकराचार्य के गद्दीस्थल व मठ के रास्ते पर 52 से ज्यादा दरारें हैं। वहीं मंदिर परिसर का एक हिस्सा भी धंस रहा है। ऐसे में धरोहर भी पूरी तरह से सुरक्षित नहीं है। सभासद समीर डिमरी का कहना है कि रोपवे तिराहे से लेकर मंदिर परिसर लगभग तीन किमी है, जिसमें कई दरारें तो चौड़ी होती जा रही हैं। ऐसे में गद्दीस्थल की सुरक्षा भी खतरे में है।