नयी दिल्ली। विदेशी बाजारों में तेजी के रुख के बावजूद देश में सीपीओ, पामोलीन और सोयाबीन के आयात शुल्क में कमी किये जाने के बाद ज्यादातर खाद्य तेलों की कीमतों में गिरावट आई। वहीं बाजार पहले से काफी टूटा होने और सरसों और सोयाबीन के प्लांट डिलीवरी भाव को बढ़ाये जाने से सरसों तेल तिलहन और सोयाबीन तिलहन के भाव में सुधार आया। आयात शुल्क कम किये जाने से सीपीओ, सोयाबीन तेल, पामोलीन और बिनौला के भाव में गिरावट रही जबकि स्थानीय मांग होने से मूंगफली तेल तिलहन के भाव पूर्वस्तर पर बने रहे।
बाजार सूत्रों ने कहा कि खाद्यतेल कीमतों की बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने तत्काल प्रभाव से सीपीओ, सोयाबीन तिलहन और सोयाबीन रिफाइंड के वायदा कारोबार पर एक साल का रोक लगाने का निर्देश दिया जिसके बाद खाद्यतेल कीमतों में गिरावट का रुख कायम हो गया। उसने कहा कि मलेशिया एक्सचेंज में 2.25 प्रतिशत की तेजी थी, जबकि शिकॉगो एक्सचेंज में फिलहाल 1-1.25 प्रतिशत की तेजी है।
सूत्रों ने कहा कि सरसों के भाव पहले से काफी टूटे थे, वहीं किसान सस्ते में बिकवाली नहीं कर रहे। सरसों की अगली फसल लगभग मार्च में आने की संभावना है। इन सब स्थितियों के मद्देनजर लिवाली तेज होने से सरसों तेल कीमतों में सुधार है।
उसने कहा कि सरकार ने पामोलीन पर 5.50 प्रतिशत शुल्क कम की है। अब सरकार को इस बात की निगरानी करनी होगी कि कंपनियां शुल्क में की गई इस कमी का लाभ उपभोक्ताओं को दे रही हैं अथवा नहीं। सरकार को एक समिति बनानी चाहिये जो इस बात की निगरानी रखे कि जिस मात्रा में शुल्क में कटौती हुई है उसका लाभ उपभोक्ताओं को मिले। लगभग सभी तेलों के थोक मूल्यों में पिछले दो महीने में 20-25 प्रतिशत की गिरावट आई है। यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि इसका लाभ भी उपभोक्ताओं को मिले।
सूत्रों ने बताया कि आयात शुल्क में कमी के बाद मलेशिया में पामोलीन का भाव सीपीओ से 4-5 रुपये प्रति किलो नीचे हो गया है। देश में सीपीओ का आयात कर उसके प्रसंस्करण में 7-8 रुपये प्रति किलो का खर्च आता है। पामोलीन के भाव टूटने से जहां पामोलीन का आयात बढ़ सकता है और सीपीओ का आयात घट सकता है वहीं देश के प्रसंस्करण उद्योग के खस्ताहाल होने का खतरा है।
उसने बताया कि सोयाबीन किसान नीचे भाव में अपनी ऊपज बेच नहीं रहा, प्लांट वालों और आयातकों को इसका व्यापार बेपड़ता बैठता है क्योंकि ये महंगे दाम पर खरीदते हैं लेकिन सस्ते दाम पर बाजार में बेचना पड़ता है। सोयाबीन प्लांट वालों को कम भाव में सोयाबीन दाना नहीं मिल रहा और सोयाबीन के तेल रहित खल (डीओसी) के ऊंचे दाम मिल नहीं रहे। इस वजह से सोयाबीन तिलहन के भाव में सुधार है। जबकि आयात शुल्क कम होने से सोयाबीन के तेल कीमतों में गिरावट है।
सूत्रों ने कहा कि पामोलीन के सस्ता होने की वजह से सीपीओ में गिरावट है जबकि शुल्क घटाये जाने से पामोलीन तेल में गिरावट आई है। बाजार में थोक भाव इस प्रकार रहे- (भाव- रुपये प्रति क्विंटल)
सरसों तिलहन – 7,950 – 8,000 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये। मूंगफली – 5,625 – 5,710 रुपये। मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 12,500 रुपये। मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल 1,830 – 1,955 रुपये प्रति टिन। सरसों तेल दादरी- 15,860 रुपये प्रति क्विंटल। सरसों पक्की घानी- 2,370 -2,495 रुपये प्रति टिन। सरसों कच्ची घानी- 2,550 – 2,660 रुपये प्रति टिन।
तिल तेल मिल डिलिवरी – 16,700 – 18,200 रुपये। सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 12,600 रुपये। सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 12,300 रुपये। सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 11,150 सीपीओ एक्स-कांडला- 10,650 रुपये। बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 11,100 रुपये। पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 12,000 रुपये। पामोलिन एक्स- कांडला- 10,980 (बिना जीएसटी के) सोयाबीन दाना 6,150 – 6,200, सोयाबीन लूज 6,000 – 6,050 रुपये। मक्का खल (सरिस्का) 3,850 रुपये प्रति क्विंटल।