मुंबई। रिजर्व बेंक के गवर्नर उर्जति पटेल ने आज कहा कि मुद्रास्फीति के वर्तमान रिकार्ड निचले स्तर से आगे चल कर चढ़ने के आसार हैं। बावजूद इसके केंद्रीय बैंक ने निजी निवेश को उभारने तथा कंपनियों के कमजोर बही-खातें के बीच फंसे कर्ज की बढ़ती समस्या के समाधान के लक्ष्य के साथ अपनी नीतिगत दर में चौथाई प्रतिशत में कटौती कर इसे साढे छह साल के निम्न स्तर पर ला दिया है।
रेपो दर में दस महीने के बाद कोई कटौती हुई है और यह प्रतिशत 0.25 अंक कम कर 6 प्रतिशत पर लायी गयी है। पटेल के पिछले साल सितंबर में कार्यकाल संभालने के बाद यह दूसरा मौका है जब नीतिगत दर में कटौती की गयी है।इससे पहले, पिछले साल अक्तूबर में अपनी पहली मौद्रिक नीति समीक्षा में पटेल ने 0.25 प्रतिशत की कटौती की थी।
मौद्रिक नीति समीक्षा के बाद होने वाली संवाददाता सम्मेलन में पटेल ने कहा, इस साल की शेष अवधि में मुद्रास्फीति के मौजूदा निम्न स्तर जून में 1.54 से उुपर आने की आशंका है। इसको देखते हुए मौद्रिक नीति समिति एमपीसी ने तटस्थ रूख को बनाये रखा।
उन्होंने कहा, कंपनियों में फंसे बड़े कर्ज के समाधान तथा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में नई पूंजी डालने के लिये सरकार तथा आरबीआई मिलकर काम कर रहे हैं। पटेल ने कहा कि इन प्रयासों से अंतत: मांग बढ़ने के साथ उत्पादक क्षेत्रों में ण प्रवाह बढ़ाने में मदद मिलनी चाहिए।
मौद्रिक नीति दस्तावेज में एमपीसी सदस्यों के अलग-अलग विचार के बारे में उन्होंने कहा, एमपीसी निर्णय जून के तटस्थ रूख के समान है। इतना ही नहीं यह आर्थकि वृद्धि को गति देते हुए दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ 4 प्रतिशत के मध्यम अवधि के लक्ष्य के अनुरूप है।
पटेल ने कहा, आखिर व्यक्तिगत रूप से सदस्यों ने जून की तुलना में अपना विचार क्यों बदला, मुझो लगता है कि किया गया उपाय संतुलित है। यह बताता है कि आखिर क्यों हमने 0.25 प्रतिशत की कटौती की। जून में यथास्थिति की तुलना में हमारे पास काफी आंकड़े थे।
केंद्रीय कर्मचारियों के भो तथा जीएसटी के क्रियान्वयन को लेकर जो कुछ अनिश्चितताएं थी, उसका समाधान हो गया है और खाद्य तथा ईंधन को छोड़कर मुद्रास्फीति में उल्लेखनीय कमी हुई है। रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर विरल बी आचार्य ने कहा कि रिजर्व बैंक के लिये इस समय बैंलेंस शीट की दोहरी समस्या का समाधान करना प्राथमिकता बनी हुई है और इससे निजी निवेश को नई जान फूंकने में मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा, हमारे आकलन के अनुसार निवेश में नरमी का कारण कर्ज का बढ़ना है। डिप्टी गवर्नर एन एस विनाथन ने कहा कि रिजर्व बैंक एनपीए गैर-निष्पादित परिसपंाि की समस्या के समाधान के लिये नये उपायों पर काम कर रहा है। इस समस्या के समाधान के लिये 12 बड़े चूककर्ताओं की पहचान पहले ही की जा चुकी है।