नई दिल्ली। भारतीय स्टेट बैंक ने अपने 44.51 करोड़ बचत खाताधारकों को गुरुवार को दो बड़े फैसले लिए हैं। पहले फैसले में एसबीआई ने बचत खाते पर जीरो बैलेंस की सुविधा दी है, जबकि दूसरे फैसले में बचत खातों पर मिलने वाली ब्याज दर घटा दी है।
एसबीआई ने बुधवार को जो फैसला लिया है इसके तहत बचत खातों में न्यूनतम बैलेंस बनाए रखने की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया है। ऐसे में अब ग्राहकों के खाते में रकम नहीं होने पर कोई शुल्क नहीं लगेगा। जबकि दूसरे फैसले के तहत बैंक ने बचत खातों पर अब तक मिल रही 3.25 फीसदी की ब्याज दर को घटाकर फ्लैट 3 फीसदी कर दिया है।
पहला फैसला ऐसे समझें
भारतीय स्टेट बैंक ने बचत खाते में औसत मासिक न्यूनतम राशि रखने की अनिवार्यता बुधवार को समाप्त करने का फैसला किया। इससे अब बैंक के सभी बचत खाताधारकों को जीरो बैलेंस की सुविधा मिलने लगेगी। एसबीआई ने एक बयान जारी कर कहा कि देश में वित्तीय समावेशन को आगे बढ़ाने के लिए उसने औसत मासिक न्यूनतम राशि (एएमबी) रखने की अनिवार्यता खत्म की है।
बता दें कि अभी मेट्रो शहरों में बचत खाताधारकों को न्यूनतम राशि के रूप में 3000 रुपये, कस्बों में 2000 रुपये और ग्रामीण इलाकों में 1000 रुपये खाते में रखने होते हैं। अभी तक न्यूनतम राशि की शर्त पूरी नहीं करने पर ग्राहकों को पांच से 15 रुपये तक जुर्माना और करों का भुगतान करना पड़ता था। इस संबंध में बैंक के चेयरमैन रजनीश कुमार ने कहा कि यह फैसला और अधिक लोगों के चेहरे पर मुस्कान लाने वाला होगा।
दूसरा फैसला ऐसे समझें:
एसबीआई ने दूसरे अपने फैसले में बचत खातों पर ब्याज दर घटाई है। अभी तक बचत खाताधारकों को खाते में जमा राशि के अनुसार 3.25 फीसदी की दर से वार्षिक ब्याज मिलता था। परंतु नए फैसले के बाद इस दर को घटाकर फ्लैट यानि एक समान रूप से 3 फीसदी कर दिया गया है। इसके साथ ही मियादी जमाओं (फिक्स डिपॉजिट या एफडी) और कोष की सीमांत लागत आधारित ब्याज दरों (एमसीएलआर) में कटौती की भी घोषणा की है।
बैंक ने एक और फैसला लिया
एसबीआई ने उपरोक्त दोनों फैसलों के अलावा एक और निर्णय लिया है। इसके तहत अब उसके ग्राहकों को एसएमएस सेवा के लिए त्रैमासिक आधार पर लगने वाला शुल्क नहीं चुकाना होगा। इसे भी खत्म कर दिया गया है।