नई दिल्ली। सरकार ने पूरे कारोबारी साल के लिए जितना वित्तीय घाटा होने का अनुमान रखा था, उसकी करीब 93 फीसदी सीमा पहले छह महीने में ही हासिल हो गई। दूसरी छमाही के आंकड़े आने अभी बाकी है। गुरुवार को कंट्रोलर जनरल ऑफ अकाउंट्स (सीजीए) द्वारा जारी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल से 30 सितंबर (पहली छमाही) तक की अवधि में देश का वित्तीय घाटा 6,51,554 करोड़ रुपए पर पहुंच गया।
सरकार अपनी आय से जितना अधिक खर्च करती है, उसे देश का वित्तीय घाटा कहते हैं। पूरे कारोबारी साल के लिए सरकार ने 7.03 लाख करोड़ रुपए का घाटा (जीडीपी का 3.3 फीसदी) होने का लक्ष्य रखा है। पिछले कारोबारी साल की समान अवधि में पूरे साल के बजट अनुमान का 95.3 फीसदी वित्तीय घाटा हो चुका था। इस लिहाज से इस साल की स्थिति पिछले कारोबारी साल के मुकाबले थोड़ी बेहतर है।
कॉरपोरेट टैक्स कटौती से राजस्व को लगा है 1.45 लाख करोड़ रुपए का झटका
गौरतलब है कि सरकार ने सितंबर में कॉरपोरेट टैक्स में कटौती की घोषणा की थी, इससे सरकारी राजस्व को 1.45 लाख करोड़ रुपए का झटका लगा है। सरकार का हालांकि मानना है कि कॉरपोरेट टैक्स कटौती से अर्थव्यवस्था में तेजी आएगी।
अनुमान के 41.6 फीसदी पर पहुंची राजस्व प्राप्ति
सीजीए के आंकड़ों के मुताबिक पहली छमाही में सरकार की राजस्व प्राप्ति पूरे कारोबारी साल के लिए तय किए गए बजट अनुमान के 41.6 फीसदी पर पहुंच गई। एक साल पहले की समान अवधि में राजस्व प्राप्ति का 40.1 फीसदी स्तर हासिल हुआ था। कुल राशि के संदर्भ में सितंबर अंत तक सरकार की कुल राजस्व प्राप्ति 8,16,467 करोड़ रुपए थी। पूरे कारोबारी साल में सरकार ने 19.62 लाख रुपए की राजस्व प्राप्ति का लक्ष्य रखा है।
अनुमान के 55.5 फीसदी पर पहुंचा पूंजीगत खर्च
आलोच्य अवधि में सरकार का पूंजीगत खर्च पूरे साल के बजट अनुमान के 55.5 फीसदी पर पहुंच गया। पिछले साल की समान अवधि में पूंजीगत खर्च वार्षिक अनुमान के 54.2 फीसदी पर पहुंच गया था। आलोच्य अवधि में सरकार का कुल खर्च 14.88 लाख करोड़ रुपए या बजट अनुमान का 53.4 फीसदी था। पिछले साल की समान अवधि में भी खर्च का यही स्तर था। चालू कारोबारी साल के लिए सरकार ने 27.86 लाख करोड़ रुपए खर्च का लक्ष्य रखा है।