कोटा। सूरत के काेचिंग सेंटर में आग लगने से 21 स्टूडेंट्स की मौत के बाद अब कोटा के हॉस्टलों में अग्निशमन व्यवस्था की पड़ताल की तो चौकाने वाला सच सामने आया है। यहाँ 45 फीसदी होस्टल्स में खाना बनता है। बड़ी आग लगने पर सूरत जैसे हादसे की पुनरावृति हो सकती है। कोटा में डेढ़ लाख से अधिक स्टूडेंट कोचिंग करते हैं।
कोटा में करीब दो हजार हॉस्टल हैं। अधिकांश में खाना ग्राउंड फ्लोर पर ही बनता है। यहां पर सिलेंडर उपयोग किए जाते हैं। इस कारण खतरा बढ़ जाता है। नगर निगम व हाॅस्टल संचालक भी उपयोग में लिए जा रहे सिलेंडर, गैस की ट्यूब सहित अन्य बातों पर ध्यान नहीं देते।
गाइडलाइन में शामिल है आग प्रबंधन के उपाय : कोचिंग व हॉस्टल के लिए जारी की गई जिला प्रशासन की गाइडलाइन में आग प्रबंधन का बिंदु शामिल। यह गाइडलाइन ढंग से फॉलो नहीं की जा रही है। खासकर हॉस्टल संचालक इस ओर अधिक ध्यान नहीं दे रहे हैं।
नगर निगम भी कोचिंग संस्थान व हास्टल में फायर ऑडिट नहीं करता। बीते दिनों हाईकोर्ट के आदेश के बाद ही नगर निगम ने कोचिंग संस्थान व हाॅस्टल के साथ बहुमंजिला इमारतों की फायर ऑडिट की थी। इसमें सामने आया था कि शहर की 50 प्रतिशत बहुमंजिला इमारतें सुरक्षित नहीं हैं। इसमें हाॅस्टल भी शामिल थे।
कोटा के हॉस्टल में बच्चों को प्रताड़ना
शहर के हॉस्टल ज्यादातर अवैध वसूली करने और बात-बात में बच्चों को प्रताड़ित करते हैं। इतना नहीं पेरेंट्स को भी केस करने की धमकी संचालक देते रहते है। (देखिये वीडियो )