नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को आम्रपाली ग्रुप की नोएडा और ग्रेटर नोएडा स्थित 7 प्रॉपर्टियों को सील करने का निर्देश दिया है। इन जगहों पर ही इसकी 46 ग्रुप कंपनियों के दस्तावेज रखे हैं। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने इसके अलावा बिहार के राजगीर और बक्सर स्थित दो प्रॉपर्टियों को भी सील करने का निर्देश दिया है। इन प्रॉपर्टियों की चाभी सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार के पास रखी जाएंगी।
मंगलवार को कोर्ट ने कंपनी के तीन डायरेक्टरों को पुलिस कस्टडी में भेजने की बात कही थी। साथ ही सभी 46 कंपनियों के दस्तावेज फरेंसिक ऑडिटर्स को सौंपने के निर्देश दिए थे। कंपनी के तीनों डायरेक्टरों को पुलिस कस्टडी में रखा गया है। उन्हें तब तक लॉकअप में नहीं भेजा जाएगा जब तक सभी 7 प्रॉपर्टियां सील नहीं हो जाती हैं।
आम्रपाली ग्रुप द्वारा दस्तावेज जमा कराने को लेकर की जा रही हीलाहवाली पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा ऐक्शन लिया है। आम्रपाली रियल एस्टेट ग्रुप के डायरेक्टरों अनिल कुमार शर्मा, शिव प्रिया और अजय कुमार को पुलिस कस्टडी में भेजा गया है। आपको बता दें कि आम्रपाली ग्रुप के अधूरे पड़े प्रॉजेक्टों के चलते बड़ी संख्या में निवेशकों का पैसा फंसा हुआ है।
सुप्रीम कोर्ट ने डिवेलपर को चेतावनी देते हुए कहा, ‘वह कोर्ट से लुका छिपी का खेल न खेले। अब जब तक दस्तावेज नहीं दिए जाते, आप पुलिस की हिरासत में रहेंगे।’ इससे पहले कोर्ट ने रियल एस्टेट कंपनी की ओर से पेश वकील से पूछा कि फरेंसिक ऑडिट से संबंधित दस्तावेजों को अब तक ऑडिटरों के पास जमा क्यों नहीं कराया गया?
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने DRT (ऋण वसूली ट्राइब्यूनल) को आम्रपाली की 16 संपत्तियों की नीलामी या बिक्री का आदेश दिया था। अनुमान लगाया गया कि संपत्तियों की बिक्री से 1600 करोड़ रुपये इकट्ठा हो सकते हैं।
कोर्ट ने कहा था कि वह तय करेगा कि कैसे इस रकम का इस्तेमाल अधूरे प्रॉजेक्ट को पूरा करने में होगा। कोर्ट ने आम्रपाली के डायरेक्टरों को सभी संबंधित दस्तावेजों को डीआरटी को जमा कराने को कहा था। कोर्ट ने फॉरेंसिक ऑडिटर को भी निर्देश दिया था कि वह 60 दिन के अंदर रिपोर्ट सौंपे कि रकम का गबन कैसे हुआ?