नई दिल्ली। जीएसटी प्रणाली में टैक्स दरें कम होने के बावजूद उपभोक्ताओं को दाम में कमी का लाभ नहीं देने वाले कारोबारियों पर लगाम लगाने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार ने राष्ट्रीय मुनाफाखोरी रोधी प्राधिकरण (नेशनल एंटी प्रोफिटियरिंग अथॉरिटी) के गठन का निर्णय लिया है।
पांच सदस्यीय यह प्राधिकरण ज्यादा वसूली गई रकम वापस करने का सुझाव देगा, पेनाल्टी लगाएगा और आखिरी उपाय के तौर पर संबंधित कंपनी या इकाई का रजिस्ट्रेशन भी रद्द कर सकता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बृहस्पतिवार को यहां हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय का फैसला लिया गया। बैठक के बाद विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बताया कि जीएसटी प्रणाली के तहत अब सिर्फ 50 वस्तुएं ही 28 फीसदी कर के उच्चतम स्लैब में हैं।
178 वस्तुओं को 28 से 18 फीसदी के स्लैब में रख दिया गया है। साथ ही कुछ अन्य वस्तुओं पर भी दरें घटाई गई है। इसका लाभ ग्राहकों को मिलना सुनिश्चित करने के लिए इस प्राधिकरण का गठन किया जा रहा है।
इस तरह की खबरें आईं हैं कि रेस्त्रां पर कर की दर 18 फीसदी से पांच फीसदी होने के बावजूद कुछ संचालकों ने वस्तुओं के दाम बढ़ा दिए हैं। इससे कर की दर में कमी का लाभ ग्राहकों को नहीं मिल रहा है।