नयी दिल्ली। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) का भारतीय शेयर बाजारों में बिकवाली का सिलसिला मई में भी जारी है। मई में एफपीआई ने भारतीय शेयर बाजारों से 39,000 करोड़ रुपये से अधिक की निकासी की है। अमेरिका में बांड पर प्रतिफल बढ़ने, डॉलर की मजबूती और फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में और आक्रामक वृद्धि की संभावना के बीच एफपीआई भारतीय बाजार में बिकवाल बने हुए हैं।
एफपीआई 2022 में अबतक भारतीय शेयर बाजारों से 1.66 लाख करोड़ रुपये की निकासी कर चुके हैं। कोटक सिक्योरिटीज के इक्विटी शोध प्रमुख (खुदरा) श्रीकांत चौहान ने कहा कि आगे चलकर भारतीय भारतीय बाजारों में एफपीआई का रुख उतार-चढ़ाव वाला रहेगा। कच्चे तेल की ऊंची कीमतों, ऊंची मुद्रास्फीति तथा सख्त मौद्रिक रुख के मद्देनजर अभी एफपीआई की बिकवाली जारी रह सकती है।
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा, ‘‘हाल के समय में जहां एफपीआई बिकवाली कर रहे हैं, वहीं उनके इस रुख का मुकाबला करने के लिए घरेलू संस्थागत निवेशक (डीआईआई) और खुदरा निवेशक लिवाली कर रहे हैं।’’
विदेशी निवेशक अप्रैल तक लगातार सात माह के दौरान बिकवाल रहे हैं। हालांकि, एफपीआई ने अप्रैल के पहले सप्ताह में भारतीय बाजारों में शुद्ध रूप से 7,707 करोड़ रुपये का निवेश किया था। उसके बाद से उनकी बिकवाली फिर जारी है। डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, दो से 27 मई के दौरान एफपीआई ने शुद्ध रूप से 39,137 करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं। हालांकि, चालू महीने के अभी दो कारोबारी सत्र बाकी हैं।
मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि निवेशक इस वजह से भी सतर्कता बरत रहे हैं, क्योंकि उनको आशंका है कि ऊंची मुद्रास्फीति की वजह से कंपनियों का मुनाफा प्रभावित होगा और इससे उपभोक्ता खर्च में कमी आएगी।
उन्होंने कहा कि इन कारकों के अलावा रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से भी वैश्विक आर्थिक वृद्धि प्रभावित हो सकती है। इस महीने एफपीआई ने शेयरों के अलावा ऋण या बांड बाजार से भी 6,000 करोड़ रुपये निकाले हैं। भारत के अलावा अन्य उभरते बाजारों मसलन ताइवान, दक्षिण कोरिया, इंडोनेशिया और फिलिपीन से भी इस महीने एफपीआई ने निकासी की है।