कृषि कानूनों को वापस लेने के पक्ष में नहीं भारतीय किसान संघ

0
1008

कोटा। भारतीय किसान संघ ने स्पष्ट किया है कि वह केंद्र सरकार के द्वारा पारित तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के पक्ष में नहीं है। भारतीय किसान संघ के संभागीय प्रवक्ता आशीष मेहता ने बताया कि जब से तीन कृषि व्यापार बिलों का मसौदा तैयार हुआ है, तभी से भारतीय किसान संघ इस पहल का कुछ संशोधनों के साथ स्वागत कर रहा है। भारतीय किसान संघ 90 के दशक से किसानों की उपज का देशभर में आवागमन के लिए ‘एक देश-एक बाजार’ की आवश्यकता को उजागर करता आ रहा है।

उन्होंने कहा कि मण्डी प्रक्रिया के शुरूआती दौर में यह किसान हितेषी रही, लेकिन धीरे-धीरे यह किसान के शोषण का एक जरिया बन गया। भारतीय किसान संघ, कुछ अन्य किसान संगठन से लेकर कईं सरकारी समितियां मण्डी कानून में किसान हितों को ध्यान मेें रखते हुए सुधार की मांग भी रखते आए हैं। देर से ही सही, केन्द्र सरकार ने एक देश- एक बाजार और बगैर टेक्स के कृषि ऊपज को बेचने का कानूनी प्रावधान किया। जिसका भारतीय किसान संघ स्वागत करता है।

उन्होंने कहा कि हाल ही में कुछ किसान संगठन इस कानून को वापिस करने की मांग पर आंदोलनरत हैं। भारतीय किसान संघ का मानना है कि देश में सिर्फ धान और गेंहू की फसल के किसान ही नही हैं, बल्कि अनेक प्रकार की खेती करने वाले किसान भी है। देश का सबसे बड़ा, सर्वव्यापी, सर्वस्पर्शी और गैर राजनैतिक किसान संगठन होने के नाते भारतीय किसान संघ की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह देश के सभी प्रकार की खेती करने वाले किसान के विषय को प्रमुखता से हर स्तर पर अंकित करें।

इसलिए भारतीय किसान संघ मांग करता है कि यह कानून सभी किसानों के लिए कुछ अच्छा परिणाम देने वाले है, इनकोे वापिस न लिया जाए, लेकिन इनमें कुछ संसोधन की आवश्यकता है। प्रांत मंत्री जगदीश कलमंडा तथा जिलाध्यक्ष गिरिराज चौधरी ने कहा कि कानूनों में संशोधन करते हुए प्रावधान हो कि देशभर में मण्डी के अन्दर और मण्डी के बाहर ‘समर्थन मूल्य’ के नीचे कोई खरीददारी न हों। वहीं, निजी व्यापारियों का ‘पंजीयन’ एक सरकारी पोर्टल के अंतर्गत हो और ये सभी के लिए उपलब्ध हो।

व्यापारियों का बैंक गारण्टी के माध्यम से किसान का भुगतान समय पर निश्चित किया जाए। इससे सम्बन्धित विवादों के लिए स्वतंत्र ‘कृषि न्यायालय’ की व्यवस्था हो और विवादों का निपटारा गृह जिले में हो।उन्होंने कहा कि भारतीय किसान संघ आंदोलन के नाम पर किसी भी प्रकार की अराजकता और रोड जाम का समर्थन नहीं करता। भारतीय किसान संघ सदैव शांतिपूर्ण आंदोलन का पक्षधर रहा है, कृषि कानूनों में संशोधनों के लिए संगठन संवैधानिक तरीके से आंदोलन करता रहेगा