नई दिल्ली। केंद्र सरकार इन्श्योरेंस कैप बढ़ाने पर विचार कर रही है। इस संबंध में फाइनेंस मिनिस्टर अरुण जेटली ने मंगलवार को राज्यसभा में जानकारी दी। यहां ये बता दें कि वर्तमान में डिपोजिट इंश्योरेंस लिमिट 1 लाख रुपए है। जेटली ने इसके साथ ही यह भी कहा कि बैंक डिपॉजिट को पहले से ज्यादा सुरक्षा मिलेगी।
फाइनेंस मिनिस्ट्री का एफआरडीआई बिल पर स्पष्टीकरण
वहीं फाइनेंस मिनिस्ट्री ने एफआरडीआई बिल 2017 को लेकर मीडिया में चल रही गलतफहमियों को लेकर स्पष्टीकरण दिया है। मिनिस्ट्री ने कहा कि प्रस्तावित कानून में जमाकर्ता को दी जाने वाली हालिया सुरक्षा को पूरी तरह से बदला नहीं गया है।
मंत्रालय ने कहा कि वित्तीय निपटान और जमा बीमा विधेयक (FRDI) में किसी भी तरह प्रतिकूल तरीके से जमाकर्ताओं को मिलने वाले मौजूदा संरक्षणों में किसी भी प्रकार का प्रतिकूल संशोधन नहीं किया गया है।
– मंत्रालय ने बयान में कहा कि एफआरडीआई विधेयक में जमाकर्ताओं को अधिक पारदर्शी तरीके से अतिरिक्त संरक्षण दिए गए हैं।
– मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि मीडिया विशेषरूप से सोशल मीडिया में एफआरडीआई विधेयक में जमाकर्ताओं के संरक्षण के मामले में बेल-इन प्रावधान को लेकर कुछ संदेह जताया जा रहा है, जो पूरी तरह से गलत है।
– मंत्रालय ने कहा कि एफआरडीआई विधेयक में बेल-इन कई रेजॉलूशन टुल्स में से एक माध्यम है।
– मंत्रालय ने कहा, किसी विशेष प्रकार के रेजॉलूशन केस में बेल-इन प्रावधान के इस्तेमाल की जरूरत नहीं होगी।
– निश्चित रूप से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के मामले में इसकी जरूरत नहीं होगी क्योंकि इस तरह की आकस्मिक स्थिति आने की गुंजाइश नहीं है। फिलहाल बैंकों में जमा एक लाख रुपये तक की राशि का बीमा होता है।
– इसी तरह का संरक्षण एफआरडीआई विधेयक में भी जारी रहेगा।
– वित्त मंत्रालय को निपटान निगम को जमा बीमा राशि में बढ़ोतरी का अधिकार होगा। यह स्पष्ट किया है कि 1 लाख रुपये से अधिक के गैर-बीमित जमा को मौजूदा कानून के तहत गैर-संरक्षित कर्जदाता के रूप में लिया जाएगा और परिसमापन की स्थिति में उन्हें तरजीह बकाया, सरकार बकाया आदि की अदाएगी के बाद भुगतान किया जाएगा।