Monday, December 22, 2025
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Lentil Price: आयातकों की बिकवाली बढ़ने से मसूर में लिवाली सुस्त, भाव में गिरावट

मुम्बई। Lentil Price: पोर्ट पर उपलब्धता बनी रहने व आयातकों की बिकवाली बढ़ने से मसूर में लिवाली सुस्त बनी हुई है जिस कारण मसूर की कीमतों में इस साप्ताह भी गिरावट का रुख रहा। मसूर दाल में उठाव कमजोर बना रहने से मसूर में दाल मिलर्स की मांग न समान बनी हुई है जिस कारण मसूर की कीमतों पर दबाव देखा जा रहा।

आयातकों की बिकवाली दबाव बना रहने व ग्राहकी सुस्त पड़ने से चालू साप्ताह के दौरान मुंबई मसूर की कीमतों में 100/150 रुपए प्रति क्विंटल की गिरावट देखी गयी और इस गिरावट के साथ भाव सप्ताहांत में मुंद्रा 5900 रुपए हजीरा 5975/6000 रुपए व कंटेनर 6200/6200 रुपए प्रति क्विंटल रह गयी। इसी प्रकार कोलकाता मसूर भी इस साप्ताह 50 रुपए प्रति क्विंटल घटकर में 6000/6100 रुपए प्रति क्विंटल रह गयी।

दिल्ली : मसूर दाल में उठाव कमजोर कमजोर बना रहने से इस साप्ताह दाल मिलर्स की मांग सुस्त बनी रही जिस कारण दिल्ली मसूर की कीमतों में इस साप्ताह 100/175 रुपए प्रति क्विंटल का मंदा दर्ज किया गया और इस मंदे के साथ भाव सप्ताहांत में छोटी कोटा 6350 रुपए ,बूंदी 6900 रुपए उत्तरप्रदेश 7000 रुपए व देसी बड़ी 6350 रुपए प्रति क्विंटल रह गयी।

मध्य प्रदेश : बिकवाली का दबाव बढ़ने व लिवाली सुस्त बनी रहने से चालू साप्ताह के दौरान मध्य प्रदेश मसूर की कीमतों में 100/200 रुपए प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गयी और इस गिरावट के साथ भाव सप्ताहंत में अशोकनगर 5700/5800 रुपए गंजबासोदा 5500/5900 रुपए सागर 5500/5800 रुपए दमोह 5800/6100 रुपए व कटनी 6300 रुपए प्रति क्विंटल रह गयी।

उत्तर प्रदेश : ग्राहकी कमजोर पड़ने व दाल मिलर्स मांग सिमित बनी रहने से चालू साप्ताह के दौरान उत्तर प्रदेश मसूर की कीमतों में 100 रुपए प्रति क्विंटल की नरमी दर्ज की गयी और इस नरमी के साथ भाव सप्ताहांत में बरेली छोटी 7500 रुपए मोटी 6450 रुपए कानपुर 6250/6350 रुपए ललितपुर मोटी 5600/5650 रुपए छोटी 6200/6300 रुपए व उरई 5000/5500 रुपए प्रति क्विंटल रह गयी।

चौतरफा गिरावट के असर : चौतरफा गिरावट के असर व ग्राहकी कमजोर बनी रहने से चालू साप्ताह के दौरान बिहार मसूर की कीमतों में 100 रुपए प्रति क्विंटल का मंदा रहा और इस मंदे के साथ भाव सप्ताहांत में बाढ़ 6200 रुपए खुशरूपुर 6100 रुपए व मोकामा 6200 रुपए प्रति क्विंटल रह गयी। इसी प्रकार रायपुर मसूर भी इस साप्ताह 50 रुपए प्रति क्विंटल घटकर सप्ताहांत में 6150 रुपए प्रति क्विंटल रह गयी। मसूर की गिरावट के असर मांग सुस्त पड़ने से चालू साप्ताह के दौरान मसूर दाल की कीमतों में 50/100 रुपए प्रति क्विंटल का गिरावट दर्ज की गयी और इस गिरावट के साथ भाव सप्ताहांत में 7400/7600 रुपए प्रति क्विंटल रह गयी।

Cumin Price: जीरे की बोआई बढ़ने के समाचार से 10 दिन में भाव 14 फीसदी घटे

जयपुर। Cumin Price: राजस्थान एवं गुजरात में जीरे की बोआई (Cumin Sowing) बढ़ने के समाचार से कीमतों में गिरावट का दौर जारी है। वायदा बाजार में 65 हजार रुपये तक बिकने वाला जीरा अब 40 हजार रुपये प्रति क्विंटल से नीचे बिक रहा है। इसके दाम बीते 10 दिन में 14 फीसदी घट चुके हैं।

जीरे के वायदा भाव में बीते कुछ दिनों से लगातार गिरावट देखी जा रही है। कमोडिटी एक्सचेंज नैशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स) पर 10 दिन पहले जीरे का जनवरी, 2024 अनुबंध 46,120 रुपये के भाव पर बंद हुआ है, जो शुक्रवार को गिरकर 39,470 रुपये के भाव पर कारोबार कर रहा था। इस तरह जीरे के वायदा भाव में 14.41 फीसदी गिरावट आ चुकी है।

कृषि कमोडिटी के जानकारों का कहना है कि इस साल भाव ज्यादा मिलने से किसानों ने जीरे की बोआई पर जोर दिया। देश में गुजरात और राजस्थान जीरे के दो प्रमुख उत्पादक राज्य हैं। गुजरात में 4 दिसंबर तक 3.76 लाख हेक्टेयर में जीरे की बोआई हुई जो पिछली समान अवधि में 1.44 लाख हेक्टेयर में हुई बोआई से 161 फीसदी ज्यादा है। राजस्थान में जीरे के रकबे में 13 फीसदी इजाफा हुआ है और राजस्थान में 6.32 लाख हेक्टेयर में जीरा बोया गया है।

और सस्ता होगा जीरा
जिस तरह से जीरे की बोआई में भारी इजाफा हुआ है, उससे लगता है कि आगे जीरे के भाव में मद्दा ही रहने वाला है। जनवरी अनुबंध के भाव आने वाले दिनों में गिरकर 35,000 रुपये से नीचे जा सकते हैं। इस समय यह 39,500 रुपये के करीब कारोबार कर रहा है। जीरे की नई फसल अगले साल मार्च महीने में आने वाली है। वहीँ हमारे कमोडिटी एक्सपर्ट का खाना है कि जीरा के भाव नीचे में 300 रुपये किलो तक आ सकते हैं। इससे ज्यादा नीचे जानें की उम्मीद नहीं है।

रिकॉर्ड पैदावार का अनुमान
बिजाई के पश्चात अगर मौसम फसल के अनुकूल रहता है तो इस वर्ष निश्चित ही जीरे की रिकॉर्ड पैदावार होगी। उल्लेखनीय है कि दूसरे वर्ष भी देश में जीरे का उत्पादन बढ़ने के अनुमान लगाये जा रहे हैं। वर्ष 2022 के दौरान जीरा का उत्पादन लगभग 54/55 लाख बोरी (प्रत्यके बोरी 55 किलो) का रहा था जोकि 2023 में बढ़कर 60/62 लाख बोरी का हो गया है। हालांकि वर्ष 2023 के पूर्व में फिस्स द्वारा जारी उत्पादन अनुमान 69/70 लाख बोरी का जारी किया था लेकिन बेमौसमी बारिश से राजस्थान में फसल को नुकसान होने के कारण बाद में उत्पादन अनुमान 60/62 लाख बोरी का लगाया गया था।

अब तेजी की उम्मीद नहीं
कमोडिटी एक्सपर्ट का कहना है कि कीमतें काफी घट जाने के कारण अब जीरे की गिरती कीमतें रुकनी चाहिए। क्योंकि उत्पादक केन्द्रों पर बकाया स्टॉक कम रह गया है साथ ही नई फसल आने में अभी 2/3 माह का समय शेष है। अतः जीरे के भावों में अब अधिक मंदा-तेजी के चांस नहीं है भाव सीमित दायरे में बने रहेंगे।

तीन माह में निर्यात घटा
चालू वित्त वर्ष के प्रथम तीज माह में जीरा निर्यात बढ़ने के पश्चात द्वितीय तीन माह में निर्यात घटा है। मसाला बोर्ड द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार अप्रैल-जून 2023 तक जीरा का निर्यात 55399.64 टन का हुआ था जबकि वर्ष 2022 (अप्रैल-जून) में निर्यात 4719.97 टन का रहा था। लेकिन जुलाई-सितंबर में निर्यात घटने के कारण कुल निर्यात घटा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार अप्रैल-सितम्बर 2023 में कुल निर्यात 76969.88 टन का हुआ है। जबकि गत वर्ष इसी समयावधि में निरयत 109628.78 टन का किया गया था। वर्ष 2022-23 (अप्रैल-मार्च) में कुल निर्यात 186508 टन का रहा था।

RPSC RAS Mains Exam: आरएएस भर्ती 2023 की मेंस परीक्षा 27 और 28 जनवरी को

अजमेर। RPSC RAS Mains Exam: राजस्थान में आरएएस भर्ती 2023 की मेंस परीक्षा 27 और 28 जनवरी को होगी। आऱपीएससी इसी महीने पेपर काॅपियों की प्रिटिंग का काम खत्म करेगा। इसके बाद केंद्रों का निर्धारण, पर्यवेक्षकों और केंद्राधीक्षकों की नियुक्ति होगी।

आयोग ने बीते 1 अक्टूबर को आऱएएस प्रारंभिक परीक्षा 2023 का आय़ोजन किया था। इसमे राज्य के सेवा के 491 और अधीनस्थ सेवा के 481 पद है। कुल 972 पद है। आयोग ने प्री परीक्षा का परीणाम अक्टूबर में जारी कर दिया था। इसमे 19 हजार 348 अभ्यर्थियों तो मेंस परीक्षा के लिए पात्र माना गया था।

इससे पहले आरपीएससी के नोटिस के अनुसार, कतिपय तत्वों द्वारा सोशल मीडिया पर यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि माननीय उच्च न्यायालय में समक्ष आर.ए.एस.-प्री 2023 परीक्षा की उत्तर कुंजी को चुनौती देने के कारण मुख्य परीक्षा निहित समय पर नहीं हो पाएगी।

उल्लेखनीय है कि इससे पहले राज्य में विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर आरएएस मुख्य परीक्षा के स्थगित किए जाने की फर्जी खबरें वायरल की गई थी। इसके पीछे तर्क दिया जा रहा है कि प्रारंभिक परीक्षा के लिए जारी की गई आंसर-की पर राजस्थान उच्च न्यायालय में दायर की गई याचिका पर सुनवाई के दौरान मुख्य परीक्षा को स्थगित किए जाने के भ्रामक दावे किए जा रहे हैं। हालांकि, आरपीएससी ने उस समय भी भ्रामक खबरों का खंडन किया था। परीक्षा पूर्व तय कार्यक्रम के अनुसार ही होगी।

BJP Politics: वसुंधरा राजे ने लगाई ऐसी तिकड़म की पीएम मोदी और गृह मंत्री शाह हो रहे बेबस

50 विधायकों के समर्थन से वसुंधरा राजे सीएम की रेस में सब पर भारी

जयपुर।Next CM In Rajasthan: राजस्थान में नए सीएम की रेस में वसुंधरा राजे सब पर भारी पड़ रही है। बाकी विधायक जिनके नामों की चर्चा थी, वह एक-एक कर पीछे हट रहे हैं। बालकनाथ, किरोड़ीलाल मीणा, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और दीया कुमारी रेस में पिछड़ते हुए दिखाई दे रहे है।

माना जा रहा है कि विधायक दल की बैठक कल मंगलवार को होगी। पार्टी पर्यवेक्षक राजनाथ सिंह, सरोज पांडे़ और विनोद तावड़े के आज जयपुर आने की संभावना है। सीएम रेस में आध दर्जन नाम शामिल है। इनमें से कुछ नाम काफी पीछे रह गए है। वजह यह है कि इन नेताओं के पक्ष में एक भी विधायक नहीं बोल रहा है।

हालांकि, सियासी जानकारों का कहना है कि विधायकों का समर्थन उसी नेता को मिलता है जिसे आलाकमान पसंद करता है। इसलिए यह मायने नहीं रखता है कि विधायक किसे समर्थन देने की बात कह रहे हैं। पीएम मोदी चौंकाने वाले फैसलों के लिए जाने जाते हैं।

दूसरी तरफ पूर्व सीएम वसुंधरा राजे को बीजेपी ने सीएम फेस घोषित नहीं किया है। फिर भी वह सब पर भारी पड़ रही है। 40-50 विधायकों का समर्थन वसुंधरा राजे को है। क्योंकि राजे के आवास पर इतनी संख्या में विधायक पहुंचे है। जबकि सीएम रेस में शामिल नेताओं के यहां एक भी विधायक नहीं पहुंचा। सियासी जानकार इसके यही मायने निकाल रहे है कि वह रेस से बाहर हो चुके है। महंत बालकनाथ ने ट्वीट कर इसके संकेत भी दे दिया है कि वह सीएम रेस में शामिल नहीं है।

राजस्थान में विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने किसी को सीएम फेस घोषित नहीं किया था। केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत बार-बार कहते रहे हैं कि संसदीय बोर्ड ही सीएम का फैसला करेगा। लेकिन अभी तक बोर्ड कोई फैसला नहीं कर पाया है। सियासी जानकारों का कहना है कि गजेंद्र सिंह शेखावत बड़े नेता है।

अशोक गहलोत को उनके गृह जिले जोधपुर में हराया है। सीएम बनने की सभी काबिलियत है। इसके बावजूद वसुंधरा राजे पर भारी नहीं पड़ रहे हैं। सियासी जानकारों का कहना है कि बीजेपी आलाकमान के लिए वसुंधरा राजे को इग्नोर करना कठिन हो रहा है। क्योंकि राजस्थान में वसुंधरा राजे जैसा मजबूत चेहरा बीजेपी के पास नहीं है।

शेखावत मजबूत दावेदार : चुनाव से करीब पांच महीने पहले केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत मजबूत दावेदार के तौर पर उभरे थे। लेकिन बड़ा सवाल यह है सीएम रेस में क्यों पिछड़ते दिखाई दे रहे है। केंद्रीय मंत्री शेखावत की टिकट वितरण में खासी भूमिका रही थी। लेकिन उनके समर्थन में कोई विधायक खुलकर नहीं बोल रहा है। शेखावत के गृह जिले जोधपुर में बीजेपी को इस बार बंपर जीत मिली है।

राजे को सीएम बनाने की मांग : इसके बावजूद जोधपुर के अधिकांश विधायक वसुंधरा राजे को सीएम बनाने की मांग कर रहे है। शेरगढ़ विधायक बाबू सिंह राठौड़ राजे के बंगले पर भी गए। सियासी जानकारों का कहना है कि गजेंद्र सिंह शेखावत पर संजीवनी घोटाला के आरोप लगे है। यहीं वजह है कि रेस में पिछड़ रहे है। सीएम पद की दूसरी बड़ी दावेदार दीया कुमारी जयपुर राजघराने से आतीं है। लेकिन इसके बावजूद वसुंधरा राजे के मुकाबले पिछड़ रही है। चर्चा है कि दीया कुमारी को विधायक पसंद नहीं कर रहे है।

Stock Market: सेंसेक्स 210 अंकों की बढ़त के साथ 70 हजार के पार, निफ्टी 21 हजार पर

मुंबई। Stock Market Opened: शेयर बाजार के लिए सोमवार की सुबह काफी हरी-भरी रही। कारोबार शुरू होने के साथ ही सेंसेक्स 130 अंकों की बढ़त के साथ 70,000 के आंकड़े को पार कर गया। हालांकि, फिलहाल यह कुछ गिरावट के साथ वहीं निफ्टी भी 21,000 के आंकड़े पर पहुंच गया।

बाजार खुलने के तुरंत बाद ही सेंसेक्स ने अपने ऑल टाइम हाई स्तर 70,048 के स्तर को टच किया तो वहीं निफ्टी 50 ने भी अपने नए ऑल टाइम हाई 21,019 के स्तर को टच किया।

सुबह 10:34 बजे सेंसेक्स 209.81 अंक यानी 0.30 %चढ़कर 70,029.10 पर ट्रेड कर रहा है और निफ्टी 54.55 (0.26%) अंक चढ़कर 21,023.95 पर कारोबार कर रहा है। बैंक निफ्टी 163 अंक उछलकर 47,425 के स्तर पर ट्रेड कर रहा है।

UGC NET 2023: यूजीसी नेट फेज 2 की परीक्षा आज से, जानिए निर्देश

नई दिल्ली। UGC NET : यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन नेशनल राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (यूजीसी नेट) चरण 2 परीक्षा 2023 आज 11 दिसंबर से शुरू हो रही है। राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) ने यूजीसी नेट की आधिकारिक वेबसाइट ugcnet.nta.ac पर फेज 2 परीक्षा के लिए एडमिट कार्ड जारी कर दिया है। यूजीसी नेट चरण 2 एडमिट कार्ड 2023 डाउनलोड करने के लिए उम्मीदवारों को दिए गए पोर्टल में अपने लॉगिन क्रेडेंशियल, जैसे रजिस्ट्रेशन नंबर, डेट ऑफ बर्थ दर्ज करना होगा।

बता दें, यूजीसी नेट की परीक्षा 14 दिसंबर को समाप्त होगी। डॉक्यूमेंट्स वेरिफिकेशन के लिए उम्मीदवारों को परीक्षा समय से आधे घंटे पहले परीक्षा केंद्र पर पहुंचना होगा। यूजीसी नेट फेज 2 परीक्षा दो शिफ्ट में आयोजित की जाएगी। पहली शिफ्ट सुबह 9 बजे शुरू होगी और दोपहर को समाप्त होगी, जबकि दूसरी शिफ्ट दोपहर 3 बजे से शाम 6 बजे तक आयोजित की जाएगी।

यूजीसी नेट परीक्षा के एडमिट कार्ड

फेज 2 की परीक्षा कुल 41 विषयों के लिए आयोजित की जाएगी। परीक्षा में दो पेपर होते हैं। पेपर 1 और 2। पेपर 1 में 50 ऑब्जेक्टिव टाइप के प्रश्न होते हैं, जबकि पेपर 2 में 100 ऑब्जेक्टिव टाइप के प्रश्न होते हैं। उम्मीदवारों को परीक्षा हल करने के लिए 3 घंटे का समय दिया जाएगा।

इन बातों का रखें ध्यान

  1. परीक्षा के दिन दिशानिर्देशों के अनुसार, बिना एडमिट कार्ड के यूजीसी नेट दिसंबर 2023 परीक्षा केंद्र पर प्रवेश नहीं दिया जाएगा।
  2. किसी भी उम्मीदवार को परीक्षा से पहले या परीक्षा के बीच में किसी भी परिस्थिति में परीक्षा हॉल से बाहर जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
  3. परीक्षा में शामिल होने वालों को किसी भी प्रकार की लिखित सामग्री, नोट्स, कागज, पर्स या बैग ले जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
  4. इसी के साथ परीक्षा केंद्र में मोबाइल फोन, ईयरफोन, टैबलेट या स्मार्ट घड़ी जैसे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स ले जाने की भी अनुमति नहीं है।
  5. परीक्षा केंद्र के अंदर खाद्य सामाग्री पर रोक लगा दी गई है।

OPS Scam: राजस्थान में ओल्ड पेंशन स्कीम में 1000 करोड़ का घोटाला, कर्मचारियों से धोखा

वित्त विभाग के आला अफसरों ने ठिकाने लगा दी एनपीएस की रकम

जयपुर। Old Pension Scheme Fraud: राजस्थान में सरकार बदलने के बाद अब वित्त (मार्गोपाय) विभाग के शीर्ष अफसरों ने ओल्ड पेंशन स्कीम में 1000 करोड़ का घोटाला कर दिया। पिछली गहलोत सरकार ने कर्मचारियों के हित को देखते हुए जो ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) लागू की थी, उसमें भी वित्त विभाग के आला अफसरों के बड़ा झोल करने का मामला सामने आया है।

ओपीएस की घोषणा करने के बाद भी जनवरी 2022 से मार्च 2022 तक कर्मचारियों के एनपीएस अंशदान की कटौती की गई। लेकिन, इस रकम को न तो केंद्र सरकार के एनएसडीएल फंड में जमा करवाया और न ही राजस्थान में कर्मचारियों के लिए खोले गए जीपीएफ खातों में रखा गया।

विभाग के अफसरों ने इस पैसे को सामान्य राजस्व मद में जमा करवाकर खर्च कर दिया। यह खुलासा सीएजी की एक रिपोर्ट के अलावा 15वीं विधानसभा के अंतिम सत्र में पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ की ओर से पूछे गए सवाल के जवाब में भी हुआ है।

कर्मचारियों के साथ धोखा: प्रदेश में ओल्ड पेंशन स्कीम लागू होने से पहले सरकार ने कर्मचारियों और उसके अनुपात में खुद का अंशदान एनएसडीएल में जमा करवाना बंद कर दिया, जबकि कर्मचारियों के वेतन से यह पैसा काटा गया था। यह रकम 641 करोड़ रुपए है। अब यह राशि न तो एनएसडीएल में जमा हुई न ही सरकार के पास लौटाने के लिए बची है।

ओपीएस पर पड़ी दोहरी मार: कर्मचारियों को ओपीएस में दोहरी मार झेलनी पड़ेगी। न सिर्फ उनके एनपीएस का पैसा बजट घोषणाओं की पूर्ति में खर्च दिया बल्कि कर्मचारियों ने एनपीएस विड्रॉल का जो पैसा सरकार को वापस लौटाया उसे भी ठिकाने लगा दिया। यह राशि 382.41 करोड़ रुपए की है।

मु्फ्त योजनाओं पर खर्च कर दी रकम : दरअसल, पिछली गहलोत सरकार ने ओपीएस लागू करने के साथ यह शर्त रखी थी कि जिन लोगों को ओपीएस में पेंशन लेनी है उन्हें एनपीएस से विड्रॉ की गई राशि ब्याज के साथ सरकार को लौटानी होगी। इस राशि को जीपीएफ खातों में जमा करवाया जाना था। लेकिन, अफसरों ने इसे मुफ्त की योजनाओं पर खर्च कर दिया। अब आने वाली नई सरकार के लिए यह बड़ी चुनौती होगी कि कर्मचारियों के एक हजार करोड़ रुपए के फंड को वह कैसे वापस लौटाएगी। इसके साथ ही इस राशि को ठिकाने लगाने वाले जिम्मेदार अफसरों के खिलाफ क्या कार्रवाई होती है भी देखने वाली बात होगी।

तत्कालीन गहलोत सरकार ने राजस्थान को कर्ज के दलदल में धकेला, रिजर्व बैंक की चेतावनी

जयपुर। Overdraft:तत्कालीन गहलोत सरकार ने राजस्थान को कर्ज के दलदल में धकेल दिया है। ये बात हम नहीं, इस हफ्ते प्रदेश के वित्त विभाग को भेजा गया आरबीआई (रिजर्व बैंक) का चेतावनी भरा पत्र कह रहा है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि विभाग के आला अफसरों ने किस रफ्तार से कर्ज के दलदल में प्रदेश को धकेला है। विभाग को भेजे गए पत्र में साफ कहा गया है कि कर्ज लेने की रफ्तार को लगाम दें और आरबीआई की ओर से तय की गई सीमा से बाहर न जाए। ये हैं कि कर्ज का मर्ज राजस्थान को किस हद तक बीमार करने वाला है।

दरअसल, आरबीआई ने बीती 7 दिसंबर को वित्त विभाग को पत्र लिखकर तय लिमिट से ज्यादा कर्ज नहीं लेने की चेतावनी दी है। इससे पहले वित्त वर्ष 2022-23 और 23-24 की चारों तिमाहियों में राजस्थान को कर्ज की जो लिमिट दी गई थी, उसे नजरअंदाज करते हुए वित्त (मार्गोपाय) विभाग के अफसरों ने बाजार से कर्ज उठा लिया। बता दें कि हर साल आरबीआई देश के सभी राज्यों को तिमाही कर्ज लेने की लिमिट जारी करता है। इसमें राजस्थान ने चार तिमाहियों में से तीन में अपनी तय लिमिट से आगे जाकर बाजार से कर्ज लिया है।

क्या होगा इसका असर
निर्धारित सीमा से अधिक कर्ज लेने पर ब्याज की दरों में बढ़ोतरी हो जाती है जो राज्य के लिए अल्पकालिक और दीर्धकालिक दोनों में ही बेहद नुकसान करने वाला है। तय सीमा से ज्यादा कर्ज और समय से पहले लेने का दूसरा असर ब्याज दर वृद्धि के साथ-साथ ब्याज दरों की अवधि में भी इजाफा कर देती है। उदाहरण के लिए मानते हैं कि अगर, राजस्थान की दिसंबर तक 44 हजार करोड़ का कर्ज लेने की लिमिट थी, लेकिन इस लिमिट को पार कर 46 हजार करोड़ कर्ज ले लिया गया। इसका एक दुष्प्रभाव यह भी होगा कि आने वाली सरकार को यह राशि खर्च करने के लिए नहीं मिल पाएगी और ब्याज चुकाना पड़ेगा सो अलग।

Article 370: जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आज

नई दिल्ली। Article 370: जम्मू-कश्मीर से संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने के केंद्र सरकार के 2019 के फैसले के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट आज यानी 11 दिसबंर को फैसला सुनाएगा। इस अनुच्छेद के जरिए जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा मिला हुआ था।

सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड की गई 11 दिसंबर की सूची के मुताबिक, देश के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायधीशों की पीठ ये फैसला सुनाएगी। इस पीठ में सीजेआई के अलावा, जस्टिस संजय किशन कौल, संजीव खन्ना, बीआर गवई और सूर्यकांत हैं। गौरतलब है कि सितंबर माह में लगातार 16 दिनों तक सभी पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।

16 दिन में सुनवाई के दौरान अदालत ने केंद्र और हस्तक्षेपकर्ताओं की ओर से अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, वरिष्ठ अधिवक्ताओं- हरीश साल्वे, राकेश द्विवेदी, वी गिरि और अन्य को अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का बचाव करते हुए सुना था।

वकीलों ने इस प्रावधान को निरस्त करने के केंद्र के 5 अगस्त 2019 के फैसले की संवैधानिक वैधता, पूर्ववर्ती राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित करने वाले जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम की वैधता, 20 जून 2018 को जम्मू कश्मीर में राज्यपाल शासन लगाए जाने, 19 दिसंबर 2018 को राष्ट्रपति शासन लगाए जाने और 3 जुलाई 2019 को इसे विस्तारित किए जाने सहित विभिन्न मुद्दों पर अपने विचार रखे थे।

गौरतलब है कि अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने और जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं को 2019 में एक संविधान पीठ को भेजा गया था। जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 के चलते पूर्ववर्ती राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों जम्मू कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया गया था।

Women Violence: बढ़ती ऑनलाइन महिला हिंसा बन रही चुनौती

-शोभा शुक्ला-
Online Women Violence: आज के समय में अनेक मानवीय संपर्क, ऑनलाइन स्थानों पर हो रहे हैं। जैसे-जैसे इंटरनेट और मोबाइल प्रौद्योगिकियाँ, तथा सोशल मीडिया हमें सुलभ होते जा रहे हैं, हमारे वास्तविक जीवन की कई गतिविधियाँ यहीं होने लगी हैं। हम में से बहुत से लोग अपने घरों से बाहर निकले बिना भी राय साझा करने, विचारों का आदान-प्रदान करने, अपना ज्ञान बढ़ाने और मनोरंजन खोजने के लिए वर्चुअल / ऑनलाइन ज़रियों को सुरक्षित और सुविधाजनक पाते हैं।

परंतु पितृसत्तात्मक व्यवस्था इन स्थानों पर भी अपना जाल फैला रही है, और ये ऑनलाइन सोशल मीडिया कई लोगों के लिए खतरनाक और असुरक्षित होते जा रहे हैं – विशेषकर महिलाओं, लड़कियों और हाशिए पर रह रहे अन्य समुदायों के लिए।

ब्लैकमेल के इरादे से अपमानजनक और अश्लील संदेश भेजने तथा अश्लील वीडियो और आपत्तिजनक तस्वीरें पोस्ट करने से लेकर, फर्जी फोटो और वीडियो सहित व्यक्तिगत जानकारी का अनधिकृत उपयोग, धमकियां जारी करना, उन महिलाओं को ट्रोल करना जो समाज में व्याप्त पितृसत्तात्मक व्यवस्था पर सवाल उठाने की हिम्मत करती हैं – महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ प्रौद्योगिकी संचालित ऑनलाइन हिंसा ने असंख्य रूप ले लिए हैं।

हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि ऑनलाइन सार्वजनिक क्षेत्र अपने ऑफ़लाइन समकक्ष की तरह ही वास्तविक और प्रभावशाली है और ऑनलाइन लिंग आधारित हिंसा का प्रभाव तेजी से ऑफ़लाइन स्थानों पर भी फैल रहा है- कभी-कभी गंभीर परिणामों के साथ। व्यक्तिगत दुर्व्यवहार और ऑनलाइन लिंग आधारित हिंसा के बीच सह संबंधों को कई अध्ययनों के माध्यम से प्रलेखित किया गया है।

महिलाओं के खिलाफ ऑनलाइन हिंसा पर संयुक्त राष्ट्र द्वारा हाल ही में किए गए एक वैश्विक सर्वेक्षण में 73% महिला पत्रकारों ने बताया कि उन्होंने ऑनलाइन हिंसा को झेला है और 20% ने कहा कि इस ऑनलाइन हिंसा के परिणाम स्वरूप उन्हें वास्तविक हमले का भी सामना करना पड़ा था। शीर्ष अपराधियों में गुमनाम लोग (57%), सरकारी अधिकारी (14%), और सहकर्मी (14%), और राजनीतिक दल (10%) शामिल थे।

एशिया-प्रशांत के लिए संयुक्त राष्ट्र महिला क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा ‘वर्चुअल स्पेस में लैंगिक समानता और नारीवाद के विरोध को समझने’ पर जारी एक शोध अध्ययन से पता चलता है कि विभिन्न पुरुष समूह सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर नारीवाद और महिला अधिकार कार्यकर्ताओं के खिलाफ ऑनलाइन हमले कर रहे हैं। अ

ध्ययन में विशेष रूप से फेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब प्लेटफार्मों पर पोस्ट की गई नारीवाद-विरोधी और लैंगिक समानता-विरोधी सामग्री को शामिल किया गया, जिसका उपयोग भारत, बांग्लादेश और फिलीपींस में लैंगिक समानता और महिलाओं के अधिकारों का विरोध करने के लिए किया जा रहा है।

ऑनलाइन “मैनोस्फीयर” की झूठी कथाएँ
विश्लेषण में पाया गया कि पुरुषों के ये समूह- जिनको को आमतौर पर ऑनलाइन “मैनोस्फीयर” कहा जाता है- कई प्रकार के आख्यानों और युक्तियों का उपयोग करते हैं जो नारीवाद पर हमला करते हैं, पुरुषों के मुद्दों को बढ़ावा देते हैं और महिला अधिकार कार्यकर्ताओं को कमजोर करते हैं। उनके द्वारा फैलाई गई झूठी कहानियाँ पुरुषों को लैंगिक समानता के शिकार के रूप में चित्रित करती हैं और धर्म, संस्कृति और राजनीतिक विचारधाराओं के बहाने स्त्रीद्वेष को उचित ठहराती हैं।

इन देशों में मैनोस्फीयर समूहों द्वारा उपयोग की जाने वाली भ्रांतियाँ पितृसत्ता और महिलाओं के खिलाफ हिंसा और शत्रुता को सही मानती हैं। ये समूह पीड़ितों को दोष देने, बलात्कार संबंधी चुटकुले, नारीवादियों के खिलाफ हमलों को उचित ठहराने का प्रचार करते हैं, और उन राजनीतिक नेताओं का अनुमोदन करते हैं जो लिंगवाद और महिला हिंसा को मंजूरी देते हैं। वे धार्मिक ग्रंथों और धार्मिक नेताओं के उपदेशों के अंश साझा करते हुए इस प्रचार में लगे रहते हैं कि कैसे लैंगिक समानता ने महिलाओं को भटका दिया है और विवाह, परिवार और मातृत्व जैसी पारंपरिक संस्थाओं को कलंकित किया है।

भारत से उदाहरण
भारत विश्व के सबसे बड़े इंटरनेट-सक्षम देशों में से एक है, जहां सक्रिय इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की अनुमानित संख्या 2025 तक 90 करोड़ हो जाएगी । वर्तमान में 5.19 करोड़ भारतीय सोशल मीडिया का उपयोग करते हैं। वैश्विक स्तर पर फेसबुक के सर्वाधिक 2.80 करोड़ उपयोगकर्ता भी इसी देश में हैं। यहाँ मैनोस्फीयर समूहों के ज़रिये “फेमिनाज़ी” और “पुरुष महिलाओं से बेहतर क्यों हैं” जैसे विषयों में लोगों की रुचि बढ़ी है। उनकी सामग्री लोगों को आकर्षित करने के लिए स्थानीय भाषाओं में अपशब्दों, “नकली नारीवादियों”, वायरल सेलिब्रिटी नामों और हैशटैगों का उपयोग करती है।

भारत के मैनोस्फीयर में आधे से अधिक पोस्टों का दावा है कि पुरुष लैंगिक समानता का शिकार हो गए हैं। इनमें से कुछ समूह हमारे पुरुष प्रधान समाज में प्रचलित धार्मिक मान्यताओं के चलते एक “अच्छी महिला” के उन कथित गुणों का प्रचार करते हैं जो लिंग-असमानता को बढ़ावा देते हैं।

‘सेव इंडियन फैमिली फाउंडेशन’ के एक फेसबुक पेज का उद्देश्य लिंग-अनुकूल कानूनों से लड़ना है। उदाहरण के लिए, इस पेज पर साझा किया गया एक मीम उन महिलाओं को बदनाम करता है जो अपने मौलिक अधिकारों को प्राप्त करने के लिए कानून का सहारा लेती हैं। मीम के कैच फ्रेज़ में महिलाओं से निम्नलिखित दो प्रश्न पूछे जाते हैं: क्या आप अपने पति से अधिक पैसा कमाती हैं? क्या आप इस तथ्य को अदालत में छिपाती हैं?

मीम इस संदेश के साथ समाप्त होता है: “हम पुरुषों को इन महिलाओं से कोर्ट में भावुक नाटक करना सीखना चाहिए।”यह कथन महिलाओं पर यह झूठा आरोप तो लगाता ही है कि वे जज से सहानुभूति हासिल करने के लिए नाटकीय दलीलों का उपयोग करती हैं, साथ ही यह न्यायिक प्रक्रिया को भी बदनाम करता है और संशय पैदा करता है।

बांग्लादेश और फिलीपींस में भी मैनोस्फीयर में कार्यकर्ताओं की संख्या बढ़ रही है। “पुरुष अधिकार कार्यकर्ता”, “महिलाओं का संबंध रसोई से हैं”, और “नारीवाद समाज को नष्ट कर देता है” जैसे विषय और महिला हस्तियों और पत्रकारों को बदनाम करने वाले पोस्ट तेजी से आम होते जा रहे हैं। ये सभी पोस्ट लिंग आधारित भेदभाव तथा महिलाओं के प्रति घृणा और द्वेष से लिप्त हैं।

आगे का रास्ता
निजी क्षेत्र की कंपनियों और ऑनलाइन प्लेटफार्मों को महिलाओं और हाशिए पर रह रहे अन्य लोगों के खिलाफ ऑनलाइन खतरों, हानिकारक सामग्री और दुर्व्यवहार की पहचान करने, रोकने और हटाने की भी आवश्यकता है। इस वर्ष, ‘लिंग आधारित हिंसा के खिलाफ 16 दिन का अभियान’ (जो हर वर्ष 25 नवंबर से 10 दिसंबर तक मनाया जाता है) के अन्तर्गत संयुक्त राष्ट्र संघ ने ‘यूनाइट’ थीम के तहत महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा को रोकने के लिए निवेश करने का अनुरोध किया है। NoExcuse हैशटैग को एक नारे के रूप में उपयोग करके, यह अभियान महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा को समाप्त करने के लिए विभिन्न रोकथाम रणनीतियों के वित्तपोषण और सामाजिक मानदंडों को बदलने का आह्वान करता है।