मुकेश भाटिया
कोटा। देश की लगभग अधिकांश चना उत्पादक मंडियों मे नये माल की आवक का दबाव लगातार कमजोर पड़ता जा रहा है। जानकार इन संकेतों से यह मान रहें कि वर्तमान सीजन में इसके उत्पादन में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। गत वर्ष के मुकाबले मंडियों में घटती आपूर्ति तथा क़ीमतों में रुक रुक कर आ रहें सुधार से नैफेड को चना की खरीद में ज्यादा सफलता नहीं मिल पा रही है। हालांकि वर्तमान में नैफेड के पास बीते वर्ष ख़रीद किये गए माल का लगभग 17.25 लाख टन चना का स्टॉक बकाया है।
विश्व के दूसरे अन्य प्रमुख चना उत्पादक देशों में भी चने का कोई भारी भरकम स्टॉक उपलब्ध नहीं है जिससे भारतीय बाज़ारों के जरूरत की पूर्ति की जा सकें, यही वजह है कि भारत में इसके बड़ी मात्रा आयात होने को लेकर संदेह बना हुआ है। ऑस्ट्रेलिया में नया चना अक्टूबर-नवम्बर में आएगा जबकि अफ्रीकी देशों में चना का उत्पादन कमज़ोर रहने की खबर है।
केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने अपने दूसरे अग्रिम उत्पादनअनुमान में 2018-19 रबी सीजन के दौरान चने का घरेलू उत्पादन 103.20 लाख टन रहने की संभावना व्यक्त की है, जो गत सीजन के उत्पादन 112.30 लाख टन से कम होने के बावजूद उद्योग-व्यापार क्षेत्र के अनुमान से काफी अधिक है। एक जानकार विश्लेषक फर्म के अनुसार चना उत्पादन 78/81 लाख टन के बीच रह सकता है जबकि आमतौर पर धारणा 75 से 80 लाख टन के बीच की है।
इस वर्ष 16 मई 2019 तक नैफेड को केवल 4.55 लाख टन चना खरीदने का ही मौका मिला है। इसके तहत 3.23 लाख टन की खरीद मध्य प्रदेश में, 68 हजार टन राजस्थान में, 34 हजार टन तेलंगाना में तथा 15 हजार टन की खरीद महाराष्ट्र में हुई। शेष खरीद आंध्र प्रदेश एवं गुजरात सहित अन्य राज्यों में की गई। इस बार 22.25 लाख टन की खरीद का लक्ष्य है। पिछले साल नैफेड ने 27.24 लाख टन चना की खरीद की थी।