हेल्थ टिप्स: सर्दी के मौसम में बढ़ रहे दिल एवं स्ट्रोक के केस, जानिए क्यों

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फिजियोथेरेपी बन सकती है कारगर इलाज: डॉ.शुभम दाधीच

कोटा। सर्दियों के मौसम में ब्रेन स्ट्रोक (brain stroke) और हार्ट अटैक (heart attack) का खतरा काफी बढ़ जाता है। इस मौसम में की गई थोड़ी सी लापरवाही भी जानलेवा साबित हो सकती है। खासकर शीतलहर के दौरान सुबह की सैर स्वास्थ्य को फायदा पहुंचाने के बजाय सेहत पर भारी पड़ रही है।

शीतलहर (Cold Wave) के निजी और सरकारी अस्पतालों की इमरजेंसी में दिल के दौरे, ब्रेन स्ट्रोक और हाई बीपी के रोगी ज्यादा देखे गए हैं। कई रोगियों ने अपनी जान भी गंवाई है। ब्रेन स्ट्रोक केस सर्दी में बढ जाते है।

ईथाॅस हाॅस्पिटल के फिजियोथेरेपी विभागाध्यक्ष एवं महर्षि दाधीच समिति की ओर से संचालित फिजियोथेरेपी सेंटर के संस्थापक डॉ. शुभम दाधीच (Dr. Shubham Dadhich) ने बताया कि सर्दी के मौसम में शरीर को गर्म रखने के लिए हृदय को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है।

दिल के मरीज, जिनकी बाईपास सर्जरी हुई है। उनके हृदय पर पड़ता दबाव कई बार दिल से जुड़ी परेशानियां को बढ़ा सकता है। हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक की चपेट में आने से सिर्फ कई मौत हो चुकी हैं। राजधानी दिल्ली में कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें ठंड की वजह से हार्ट अटैक और ब्रेन स्टोक हुआ है।

कब और क्यों होता है ब्रेन स्‍ट्रोक (brain stroke): डॉक्टर शुभम दाधीच के अनुसार शीतलहर अथवा कड़ाके की ठंड में रक्त नलिकाएं सिकुड़ने लगती हैं, जिसके कारण रक्त वाहिकाओं में रुकावट या रक्तस्राव या तो बाधित होता है या फिर मस्तिष्क को रक्त की आपूर्ति कम होने लगती है। इससे मस्तिष्क को पर्याप्त ऑक्सीजन या पोषक तत्व नहीं मिलते हैं और मस्तिष्क की कोशिकाएं नष्ट होने लगती हैं। ऐसी स्थिति में कभी-कभी मस्तिष्क की नस फटने का खतरा भी उत्पन्न हो सकता है। यह समस्या ज्यादातर हृदय के उन रोगियों की होती है, जिनका ब्लड प्रेशर काफी तेजी से घटता-बढ़ता है। ऐसी स्थिति में पीड़ित को बिना विलंब किये किसी अच्छे अस्पताल ले जाकर गहन चिकित्सा करवानी चाहिए।

कैसे करें उपचार: किसी भी प्रकार के असामान्य कारण दिखने पर चिकित्सक से सम्पर्क करें । चिकित्सक के बताये निर्देशो की पालना करें। दिनचर्या एवं संतुलित आहार केें बदलाव कार्डिक-रेस्पिरेटरी (Cardiac-respiratory) एवं न्यूरो फिजियोथेरेपी (neuro physiotherapy) के माध्यम से जल्दी रिकवरी की जा सकती है। फिजियोथेरेपी उपचार (physiotherapy treatment) भी इसमें कारगर है। डॉ. शुभम ने बताया कि क्लीनिकल हिस्ट्री के अनुसार एक्सरसाइज एवं रिहैबिलिटेशन (Rehabilitation) का पूरा प्लान तैयार कर नियमित उपचार होने से लाभ मिलता है। फिजियोथेरेपी को जीवनशैली में अपना कर हम कई रोगों से बच सकते हैं। इसके अंतर्गत उपचार क्रियाओ एवं व्यायामों से शीघ्र हीलिंग सही रक्तचाप एवं मासपेशियों में मजबूत एवं लचीलापन बढ़ता है। फिजियोथेरेपी उचपार को कुशल निर्देशन में लेना चाहिए। यदि हम हमने जीवनशैली में फिजियोथेरेपी को जगह दें तो कई बीमारियों एवं दवाइयों से हमारा नाता टूट जाएगा। विदेशों में यह नियमित दिनचर्या का हिस्सा बनता जा रहा है।