अमेरिकी दखल से निवेशकों को 3 लाख करोड़ का नुकसान, सेंसेक्स 900 अंक गिरा

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नई दिल्ली। कमजोर वैश्विक संकेतों और व्यापक बिकवाली के बीच भारतीय शेयर मार्केट ने सोमवार को शुरुआती कारोबार में भारी नुकसान देखा। सेंसेक्स 900 अंक से अधिक गिरकर 81,488 के स्तर तक पहुंच गया, जबकि निफ्टी 50 भी 24,850 के नीचे आ गया।

सेंसेक्स ने पिछले बंद स्तर 82,408.17 के मुकाबले 81,704.07 पर कमजोर शुरुआत की और दिन के सबसे निचले स्तर 81,488.54 पर पहुंच गया यानी 1% से अधिक की गिरावट। निफ्टी 50 ने भी पिछले बंद स्तर 25,112.40 के मुकाबले 24,939.75 पर शुरुआत की और 1% से अधिक गिरकर 24,834.55 के निचले स्तर को छुआ। बीएसई मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स भी करीब-करीब 1% प्रत्येक की गिरावट के साथ कारोबार कर रहे थे।

सुबह 9:40 बजे बीएसई सेंसेक्स 808 अंक यानी 0.98% गिरकर 81,599 पर कारोबार कर रहा था। वहीं, निफ्टी50 इंडेक्स 217 अंक यानी 0.87% फिसलकर 24,895 पर आ गया। इस गिरावट से बीएसई पर लिस्टेड सभी कंपनियों का मार्केट कैप शुरुआती कारोबार में लगभग 2 लाख करोड़ रुपये घटकर 44.75 लाख करोड़ रुपये रह गया।

सेक्टरों की बात करें तो निफटी आई में 1% से ज्यादा की गिरावट आई। इसकी वजह यह है कि Accenture ने लगातार तीसरे साल आउटसोर्सिंग ऑर्डर्स में गिरावट दर्ज की है। इससे ग्लोबल टेक स्पेंडिंग को लेकर चिंता बढ़ गई है। निफ्टी बैंक, फाइनेंशियल सर्विसेज, ऑटो, एफएमसीजी और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स भी 0.5% से 1% तक नीचे खुले।

निवेशकों को झटका: ₹3 लाख करोड़ का नुकसान
अमेरिकी दखल से बीएसई में लिस्टेड कंपनियों का कुल मार्केट कैप पिछले सत्र के लगभग ₹448 लाख करोड़ से घटकर लगभग ₹445 लाख करोड़ रह गया। इसका मतलब है कि सिर्फ कारोबार के पहले 15 मिनट में ही निवेशकों को लगभग ₹3 लाख करोड़ का नुकसान उठाना पड़ा।

कच्चे तेल में उछाल
ईरान पर अमेरिकी हमले के बाद कच्चे तेल की कीमतें बढ़ गईं। कच्चे तेल की कीमतें जनवरी के बाद सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गईं। ब्रेंट क्रूड 1.33 डॉलर (1.76%) बढ़कर 76.79 डॉलर प्रति बैरल हो गया। वहीं WTI में 1.39 डॉलर (1.88%) की तेजी आई और यह 75.26 डॉलर पर पहुंच गया। कारोबार के दौरान ब्रेंट 81.40 डॉलर और WTI 78.40 डॉलर तक पहुंच गए थे, जो पांच महीने का उच्चतम स्तर था।

ईरान ओपेक का तीसरा सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश है। ऐसे में डर है कि होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद किया जा सकता है। यह एक महत्वपूर्ण समुद्री रास्ता है, जिससे दुनिया का लगभग 20% कच्चा तेल गुजरता है। ईरान के प्रेस टीवी के अनुसार ईरान की संसद ने इस जलडमरूमध्य को बंद करने का एक प्रस्ताव पारित किया है। हालांकि ईरान पहले भी इस तरह की धमकियां दे चुका है।