नई दिल्ली। कोरोना महामारी की मार से एक तरफ भारत और ब्राजील समेत कई देश बुरी तरह से हलकान हैं, लेकिन इसकी वैक्सीन को लेकर दुनिया के बड़े और विकसित देश पूरी तरह से नकारात्मक कूटनीति में लगे हुए हैं। अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन और दूसरे यूरोपीय देश न सिर्फ वैक्सीन की जमाखोरी में लगे हुए हैं बल्कि इसे बनाने में जरूरी कच्चे माल की आपूर्ति करने में भी बाधा पैदा कर रहे हैं।
यही नहीं, कोरोना के खात्मे के लिए विकसित वैक्सीन की पेटेंट बाध्यता खत्म करने के भारत के प्रस्ताव को भी अमेरिका और विकसित देश नजरअंदाज कर रहे हैं जबकि इस प्रस्ताव को 65 देशों का समर्थन मिल चुका है।
इसके बावजूद भारतीय मिशन व दूतावास कोरोना महामारी के लिए बनी तमाम वैक्सीनों को पेटेंट के चक्र से आजाद कराने की कोशिश में जुटे हुए हैं ताकि इसका बड़े पैमाने पर उत्पादन हो सके और यह गरीब व कम विकसित देशों को आसानी से कम कीमत पर उपलब्ध हो सके। विदेश मंत्रालय ने अपने सभी दूतावासों और मिशनों से कहा है कि वे अपने-अपने स्तर पर विदेशी सरकारों के प्रतिनिधियों के समक्ष इस मुद्दे को उठाएं।
सूत्रों के मुताबिक पहले विकसित देशों ने ही यह नारा दिया था, ‘जब तक हर आदमी सुरक्षित नहीं है तब तक कोई भी सुरक्षित नहीं है।’ लेकिन अब जब इसे जमीनी तौर पर लागू करना है तो उनकी तरफ से आनाकानी की जा रही है।
भारतीय प्रतिनिधि विदेशी प्रतिनिधियों को यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि पेटेंट व्यवस्था की बाध्यताओं से सबसे ज्यादा गरीब देशों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। पहले इन देशों को भारत बड़े पैमाने पर वैक्सीन दे रहा था, लेकिन अपनी जरूरतों की वजह से इन पर रोक लगा दी गई है। अगर पेटेंट व्यवस्था नहीं होती तो कई कंपनियां इन वैक्सीन को बनाती जिससे पूरी मानवता की सेवा होती।
भारत की कोशिश है कि विश्व व्यापार संगठन (डब्लूटीओ) की जून, 2021 में होने वाली बैठक में उसके प्रस्ताव पर सकारात्मक फैसला हो। भारत ने दक्षिण अफ्रीका के साथ मिलकर पिछले महीने डब्लूटीओ की बैठक में सभी कोरोना वैक्सीनों को पेटेंट बाध्यता से तात्कालिक तौर पर मुक्त करने का प्रस्ताव रखा था। भारतीय मुहिम को वैसे विकसित देशों के एक बड़े वर्ग का समर्थन मिलने लगा है।
हाल ही में ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री गोल्डन ब्राउन, फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद समेत 70 वैश्विक नेताओं और 100 नोबेल पुरस्कार विजेताओं ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन को पत्र लिखा है कि कोरोना वैक्सीन के फार्मूले को पेटेंट की बाध्यता से हटाया जाए। इन लोगों ने अपने पत्र में लिखा है कि यह कदम दुनिया से कोरोना महामारी के खात्मे के लिए बहुत जरूरी है।