कोटा में नए एयरपोर्ट का मामला जमीन को लेकर फुटबॉल बना

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काेटा। शहर में बहुप्रतिक्षित नए एयरपाेर्ट के लिए अभी भी यह तय नहीं है कि शंभूपुरा में कितनी जमीन चाहिए और कहां की चाहिए। फ़िलहाल तो नए एयरपोर्ट बनाने का मामला जमीन को लेकर केंद्र और राज्य सरकार के बीच फुटबाल बना हुआ। कभी केंद्र राज्य सरकार पर डाल देती है और कभी राज्य सरकार केंद्र पर। पिछले 20 साल से यह मुद्दा हवा में ही झूल रहा है। शहर के जनप्रतिनिधि कोटा की जनता को ग्रीन एयरपोर्ट का सपना दिखाए जा रहे हैं।

यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि हम जमीन देने के लिए तैयार बैठे हैं, लेकिन सिविल एविएशन वाले यह तय ताे करें कि उन्हें काैन सी और कितनी जमीन चाहिए।पहले वे 1000 हैक्टेयर जमीन मांग रहे थे, उसके बाद 800 हैक्टेयर पर आए और अब 500 हैक्टेयर मांग रहे हैं। इस 500 हैक्टेयर के लिए भी उन्हाेंने यह नहीं बताया कि काैन सी 500 हैक्टेयर चाहिए। राजस्थान सरकार के जीएडी सेक्रेटरी ने सिविल एविएशन को पत्र लिख दिया है। इसमें साफ कहा है कि वह अपनी टीम को भेज दे और जमीन का कब्जा ले ले।

इसके लिए हमने यूआईटी सचिव काे नाेडल ऑफिसर भी बना दिया है। मंत्री धारीवाल ने कहा वे जितनी बड़ी जमीन मांग रहे थे, उतने में ताे दिल्ली से भी बड़ा एयरपाेर्ट बन जाता। जयपुर का एयरपोर्ट 300 हैक्टेयर में, उदयपुर का 280 हैक्टेयर में और किशनगढ़ अजमेर का 300 हेक्टेयर में बना हुआ है। ऐसे में क्या जयपुर से भी बड़ा एयरपोर्ट कोटा में बनाना चाहते हैं।

हम 500 हैक्टेयर के लिए भी तैयार है। वे तय ताे करें कि काैन सा 500 हैक्टेयर का हिस्सा चाहिए। जाे जमीन वे पंसद करेंगे, यदि वाे फाेरेस्ट की हुई ताे उसकी एनओसी भी सिविल एविऐशन काे ही लेनी पड़ेगी और खातेदाराें की है ताे उसका निपटारा करना पड़ेगा।