आंदोलन में मरे किसान को शहीद का दर्जा मिलेगा, परिवार के एक सदस्य को नौकरी

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प्रशासन और किसान नेताओं की वार्ता के बाद सहमति बनी

जोधपुर। बिजली से जुड़ी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे किसानों के पड़ाव स्थल पर एक युवा किसान की मौत हो गई थी। इस घटना के बाद से आक्रोश बढ़ गया था। रविवार को जिला प्रशासन और किसान नेताओं की वार्ता के बाद सहमति बनी। प्रशासन ने किसानों की अधिकांश मांगें मान ली हैं। इसके बाद किसान नेता और परिजन पोस्टमार्टम के लिए तैयार हो गए।

जोधपुर में महापड़ाव डालने के लिए बढ़ रहे किसानों को पुलिस ने शहर की सीमा के निकट माणकलाव में ही रोक दिया था। माणकलाव में धरना स्थल पर शुक्रवार देर रात युवा किसान और छात्र नेता पुखराज डोंगियाल की तबीयत बिगड़ गई। बाद में जोधपुर में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। इसके बाद किसानों ने अपना धरना तो स्थगित कर दिया, लेकिन शव उठाने से इनकार कर दिया।

किसानों पर दर्ज केस भी वापस लिए जाएंगे
किसानों की मांग थी कि मृतक आश्रित परिवार को आर्थिक सहायता दी जाए, आश्रितों को सरकारी नौकरी मिले। पुखराज को किसान शहीद का दर्जा देने और किसान आंदोलन के दौरान किसान नेताओं पर दर्ज केस को वापस लिया जाए। इन मांगों को लेकर किसानों ने एमडीएम अस्पताल की मोर्चरी के बाहर धरना शुरू कर दिया। भाजपा ने भी इस धरने को समर्थन दिया। रातभर किसान मोर्चरी के आगे डटे रहे। रविवार सुबह इनकी संख्या बढ़ना शुरू हो गई। इसके बाद जिला कलेक्टर के साथ किसान नेताओं की वार्ता हुई।

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मांगें पूरी करने के आश्वासन पर माने परिजन और किसान
ओसियां से पूर्व विधायक भैराराम सियोल ने बताया कि विभिन्न मुद्दों को लेकर मृतक पुखराज के परिजनों की प्रशासन के साथ वार्ता हुई। इसमें प्रशासन ने सैद्धांतिक रूप से उनकी सभी मांगों को स्वीकार कर लिया है। सियोल ने कहा कि संकट की इस घड़ी को देखते हुए परिजनों से सहमति के बाद उन्होंने अपना धरना समाप्त किया है। वार्ता सफल होने के बाद मेडिकल बोर्ड से शव का पोस्टमार्टम कराया गया।