नई दिल्ली/ भोपाल। कोरोनावायरस के संक्रमण जांचने के लिए सैंपल उस स्थिति में लिए जा रहे हैं जब व्यक्ति को तेज बुखार और खांसी हो। फिर दो से तीन दिन बाद रिपोर्ट आती है। अस्पतालों में भी कोरोना से आशंकित मरीजों से भी डॉक्टर तेज बुखार होने पर ही अस्पताल आने के लिए कह रहे हैं। लेकिन, अब ऐसा नहीं होगा। इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च (Indian Council of Medical Research) ने इस बीमारी की जांच के लिए नई एडवाइजरी शनिवार को जारी कर दी है।
इसके अनुसार लक्षण दिखने वाले लोगों के अतिरिक्त उन लोगों की भी जांच होगी, जिनमें लक्षण नहीं दिखाई दे रहे हैं। फिलहाल, जो मरीज कोरोना वायरस के संक्रमण की आशंका के चलते अस्पताल पहुंच रहे हैं, अस्पताल में उनकी थर्मल स्क्रीनिंग और ऑक्सीजन का टेस्ट हो रहा है। डॉक्टर मरीज से तेज बुखार आने पर ही अस्पताल आने के लिए कह रहे हैं।
जब कोई मरीज तेज बुखार आने पर अस्पताल पहुंचता है तो उसका सैंपल लिया जाता है। सैंपल रिपोर्ट आने में तीन से चार दिन का समय लग रहा है। इन तीन से चार दिनों में मरीज की हालत गंभीर हो जाती है। इसी को ध्यान में रखते हुए आईसीएमआआर ने शनिवार को नई गाइडलाइन जारी की।
चिकित्सकों का कहना है कि पूरे प्रदेश में फिलहाल बड़े पैमाने पर थर्मल स्कैनिंग की जा रही है। लोग इससे संतुष्ट हो रहे हैं कि जांच में उन्हें कोरोनावायरस नहीं निकला। थर्मल स्कैनर तभी काम करता है जब शरीर का तापमान बढ़ा है। सामान्य स्थिति में वह सिर्फ शरीर का का तापमान बताता है।
इसी गलती के चलते बढ़े मामले
देश समेत प्रदेश में एकाएक जो करोना पॉजिटिव के मामले बढ़े हैं उसका एक कारण थर्मल स्कैनर की जांच रिपोर्ट पर भरोसा कर लेना भी है। लोग जब विदेश से भारत आए, तो एयरपोर्ट पर उन्हें स्कैन किया गया, यहां वे नाॅर्मल निकले। लेकिन कोरोना के लक्षण मरीज में संक्रमित होने के 2 से 10 दिन बाद दिखते हैं। इसलिए थर्मल स्क्रीनिंग में निगेटिव रिपोर्ट आने के बाद लोग ये समझ बैठे कि सबकुछ ठीक है। उन्होंने अपने आपको 15 दिन तक क्वारैंटाइन नहीं किया और हालात बिगड़ गए।