नई दिल्ली। तिहाड़ जेल में बंद निर्भया के चारों कातिलों की बिहैवियर स्टडी (व्यवहार) कर रहे डॉक्टर और अधिकारी इस बात को लेकर बड़े हैरान-परेशान हैं कि जिसकी फांसी में अब कुछ दिन ही बाकी बचे हों। वह कैसे इतना सामान्य रह सकता है, जैसे की कुछ होने वाला ही ना हो। जबकि इस बार बीच में अगर कुछ कानूनी अड़चन नहीं आई तो 20 मार्च की सुबह 5:30 बजे चारों को फांसी पर लटका दिया जाएगा। और यह बात इन चारों को भी अच्छे से पता है। बावजूद इसके इन चारों की दिनचर्या में अधिकारियों को कुछ बहुत अधिक बदलाव नजर नहीं आ रहा है।
जेल के कुछ पुराने अधिकारियों का कहना है कि आमतौर पर जिस कैदी को फांसी पर लटकाया जाना होता है। इसका पता लगते ही उसकी भूख और नींद उड़नी शुरू हो जाती है। लगातार उसका वजन कम होने लगता है और उसका बीपी अधिक या कम रहना शुरू हो जाता है। फांसी देने के अंतिम सप्ताह में तो उसकी हालत बहुत खराब होने लगती है। इसमें उसे बुखार आना, दस्त लगना, भूख और नींद लगभग पूरी तरह से खत्म हो जाने जैसे लक्षण दिखाई देने लगते हैं। लेकिन इन चारों में अभी तक इस तरह के कोई बड़े बदलाव नहीं नजर आ रहे हैं।
अलबत्ता, इन्हें अभी भी कहीं ना कहीं यह लग रहा है कि वह बच जाएंगे। उनकी कोई ना कोई तिगड़म उन्हें जीवनदान दे ही देगी। इसके लिए अब दिनरात वह यही सोचते रहते हैं। बताया जाता है कि इनमें से दो कागजों पर कुछ ना कुछ लिखते भी रहते हैं। तिहाड़ की जेल नंबर-3 में बंद इन चारों की अभी इनके परिवार से मुलाकात करने की रूटीन मुलाकात नहीं रोकी गई है। लेकिन इनकी अंतिम मुलाकात अब 19 मार्च की दोपहर 12 बजे तक ही हो सकती है। इसके बाद इन्हें किसी से नहीं मिलने दिया जाएगा।