RBI ने माना आर्थिक सुस्ती की आहट मिल रही

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नई दिल्ली। वाहन, रियल एस्टेट, रिटेल और एफएमसीजी सहित कई क्षेत्रों में दर्ज की जा रही आर्थिक सुस्ती पर अब भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने भी मुहर लगा दी। आरबीआई ने कहा कि आर्थिक सुस्ती के दिख रहे कई संकेतों के कारण रेपो दर में सामान्य से अधिक कटौती करने का फैसला किया गया। आरबीआई ने इस महीने के शुरू में मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की हुई बैठक का ब्योरा बुधवार को जारी किया।

इसमें कहा गया है कि अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए आरबीआई ने रेपो दर में 0.35 फीसदी कटौती करने का फैसला किया। रेपो रेट वह दर होता है, जिस पर आरबीआई वाणिज्यिक बैंकों को छोटी अवधि के लिए कर्ज देता है।

आरबीआई गवर्नर ने दिए आर्थिक सुस्ती के कई सबूत
बैठक के ब्योरे के मुताबिक आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने रेपो दर में 0.25 फीसदी से अधिक कटौती का तर्क देते हुए कहा कि मई और जून के कई संकेतक बता रहे हैं कि सेवा क्षेत्र में सुस्ती चल रही है। ग्रामीण मांग के दो अहम संकेतक मोटरसाइिकल और ट्रैक्टर की बिक्री में गिरावट है।

शहरी मांग के संकेतकों में यात्री वाहनों की बिक्री जून में घट गई, जबकि लगातार तीन महीने की गिरावट के बाद घरेलू हवाई यात्रियों की संख्या में बढ़ोतरी दर्ज की गई। निर्माण गतिविधियों के संकेतकों के रूप में सीमेंट उत्पादन और स्टील खपत में गिरावट दर्ज की है।

एचआर विशेषज्ञों के मुताबिक नौकरी मिलने में होगी कठिनाई
सीआईईएल एचआर सर्विसेज के सीईओ आदित्य नारायण मिश्र ने कहा कि कारोबारी सुस्ती से रोजगार बाजार में बेचैनी पैदा हो सकती है। इस दौरान जिनकी नौकरी छूटेगी, उन्हें तुरंत पसंद की नौकरी मिलने में कठिनाई हो सकती है। अप्रैल-जुलाई 2020 में बाजार में आने वाले फ्रेशर्स के लिए नौकरी के नए अवसर कम रह सकते हैं।