कोटा। महावीर नगर विस्तार योजना स्थित दिगंबर जैन मंदिर में चल रहे आर्यिका सौम्यनन्दिनी माताजी संघ के पावन वर्षायोग के अवसर पर सोमवार को माताजी ने प्रवचन करते हुए कहा कि कर्म ही है जो हमारे पैरों को मजबूत बनाता है। हम हिमालय की चोटी पर चढ़कर अपने लक्ष्य की प्राप्ति कर सकते हैं। हमें करणानुयोग को समझना अति आवश्यक है।
आज की युवा पीढ़ी धर्म से विमुख नहीं, बल्कि दूसरी जगह अभिमुख है। आज युवाओं से ही धर्म चल रहा है, आज युवा साधु ही जैन धर्म का रथ चला रहे हैं। साधु जैन धर्म को एक नया संकेत देते हैं। जिससे कई लोगों को एक प्रेरणा मिलती है कि वास्तव में अगर जैनत्व का धारण करना है तो वह युवा अवस्था में ही करना चाहिए। क्योंकि युवा अवस्था में शरीर की सभी इंद्रियां चलायमान होती हैं। हम कईं घंटों तक स्थिर बैठ सकते हैं।
आर्यिका सौम्यनन्दिनी माताजी ने कहा कर्म यहां फल दिखा रहे, सुख- दुःख वेदन चखा रहे, चारों गति में घुमा रहे, ज्ञान कर्म समझ आएगा तभी मुक्ति दिलवाएगा। कर्मों को जानो जो गुण दिलवाएगा। सिद्धांत को समझना ही अंतिम लक्ष्य है, सिद्धांत के आगे सब परास्त हो जाते हैं। सिद्धांत के आगे सब कुछ फीका है, सिद्धांत बहुत ही ऊपर की चीज है।
व्यक्ति को सिद्धांत ही निर्विकल्प बनाता है। सारे विकल्पों से छुटकारा पाने के लिए व्यक्ति को सिद्धांत को समझना पड़ेगा, तभी हम संसार के भ्रमण को समझ सकते हैं। सिद्धांत को समझते ही प्रत्येक व्यक्ति के सारे विकल्प स्वतः ही निर्विकल्प हो जाते हैं। माताजी ने कहा कि व्यक्ति को ज्ञान ऊपर ले जाने वाला है, आनंद को बढ़ाने वाला है। स्वभाव की ओर ले जाने वाला है निज स्वभाव के दिग्दर्शन कराने वाला है।
इस दौरान आर्यिका सौम्यनन्दिनी माताजी के सान्निध्य में अभिषेक, पूजा, प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। जिसमें स्वस्ति मंगल पाठ तथा परमर्षि स्वस्ति मंगल पाठ, नवदेवता पूजन के बारे में जानकारी दी गई।