नई दिल्ली।ऑटो सेक्टर में मंदी के चलते छंटनी की खबरों से प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) परेशान है। सूत्रों के अनुसार, पीएमओ ने वित्त और भारी उद्योग मंत्रालय से इस बारे में आंकड़े मांगे हैं। साथ ही ऑटो सेक्टर के लिए राहत पैकेज बनाने को भी कहा है, ताकि नौकरियां बच सकें। सेक्टर को फंड बढ़ाने, डीलरों को 60 की जगह 90 दिनों के लिए लोन देने और कुछ समय के लिए टैक्स छूट जैसी राहतों पर विचार किया जा रहा है।
आर्थिक संकट से निपटने के लिए बैठकों का दौर भी चल रहा है। मंदी के असर से बाहर निकलने के लिए वित्त मंत्रालय ऑटो, रिऐलिटी समेत कई क्षेत्रों के प्रतिनिधियों से बात कर रहा है। बता दें, ऑटो मैन्युफैक्चरर्स संगठन सियाम ने कहा है कि स्लोडाउन के कारण ऑटो कंपनियां अब तक करीब 20 हजार लोगों को नौकरी से निकाल चुकी हैं। वहीं, 13 लाख लोगों की नौकरियों पर तलवार लटकी हुई है।
GST घटाने की मांग
शनिवार को दिल्ली के व्यापारियों ने केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर से मिलकर अपनी समस्याएं बताईं। व्यापारियों ने अपनी समस्या रखते हुए कहा कि ऑटो के ज्यादातर पार्ट्स पर 28 फीसदी जीएसटी लगता है और आम आदमी की जरूरत को देखते हुए ऑटो पार्ट्स को लग्जरी स्लैब में नहीं रखा जाना चाहिए। व्यापारियों ने ऑटो पार्ट्स पर जीएसटी की दर घटाकर 18 या 12 फीसदी के स्लैब में लाने की मांग की है। साथ ही पुरानी गाड़ियों के लिए एक स्क्रैप पॉलिसी की मांग भी की गई है।
लगातार घट रहा उत्पादन
राज्यसभा सांसद संजय सिंह के नेतृत्व में हुई मुलाकात में सीटीआई के कन्वीनर बृजेश गोयल, शंकरलाल अग्रवाल, राकेश गुप्ता, ए. एस. नैयर, कैलाश सिंगला, सुभाष बजाज समेत कई व्यापारी नेता शामिल हुए। सीटीआई कन्वीनर बृजेश गोयल ने बताया कि मीटिंग में ऑटोमोबाइल सेक्टर में आ रही आर्थिक मंदी पर चर्चा हुई। इस सेक्टर में बड़ी तादाद में नौकरियां छिन रही हैं।
मांग में कमी आने की वजह से उत्पादन कम हो रहा है। व्यापारियों ने कहा है कि ऑटोमोबाइल सेक्टर में खत्म हो रही नौकरियों को ध्यान में रखकर केंद्र सरकार ऑटोमोबाइल वेलफेयर बोर्ड का गठन करे, जिसमें शीर्ष ऑटो मोबाइल कंपनी के साथ ऑटो रिप्लेसमेंट पार्ट्स के व्यापारियों को शामिल किया जाए। इससे कारोबारियों की दिक्कतें सरकार तक पहुंच पाएंगी। जीएसटी की तारीख 31 दिसंबर की जाए।