आर्थोस्कोपी से आर्थोपेडिक सर्जरी हुई आसान, घुटने की लिगामेंट बनाना भी संभव

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कोटा। दिल्ली के एओ कौंसिल मेंबर डाॅ. रिताभ मित्तल ने कहा कि फुटबॉल और लॉन्ग जंप जैसे खेल में जरा-सी चूक से बड़ी इंजरी हो जाती है। इसमें अक्सर लिगामेंट टूट जाते हैं, जो एक्स-रे में भी पकड़ में नहीं आते। लेकिन, अब नई तकनीक के कारण लिगामेंट खराब होने पर दूसरा लिगामेंट बनाना भी आसान हो गया है।

वे आर्थोपेडिक शिक्षा मे विश्व विख्यात संस्था एओ द्वारा मेडिकल काॅलेज मे रविवार को आयोजित प्री बेसिक कोर्स के दौरान जानकारी दे रहे थे। उन्होंने बताया कि हम जांघ में मौजूद टेंडन लिगामेंट की जगह पर लगा देते है, जो छह से सात महीने में लिगामेंट में परिवर्तित हो जाता है। घुटनों की सर्जरी में यह ज्यादा आसान होता है, जबकि कंधे की सर्जरी में लिगामेंट को रिपेयर किया जाता है।

कोटा मेडिकल काॅलेज के प्राचार्य डाॅ. विजय सरदाना ने कहा कि इसके माध्यम से नए चिकित्सकों को नई तकनीक और मेडिकल साइंस के नवाचार सीखने को मिलते हैं। यही नवाचार बाद में रोगियों के काम आते हैं। पहले आर्थोपेडिक में महिलाएं नहीं आती थीं, लेकिन अब महिला चिकित्सक भी आर्थोपेडिक्स में आ रही हैं।

आयोजन समिति के अध्यक्ष डाॅ. एसएन सोनी ने बताया कि पहले हड्डियों की सभी सर्जरी ओपन होती थी। इसमें ज्यादा खर्च के साथ मरीज को ठीक होने में भी ज्यादा समय लगता था। इसके उलट ऑर्थोस्कोपी में चार एमएम से भी कम के कुछ छेद किए जाते हैं। एक छेद से कैमरा डालते हैं तो दूसरे से उपकरण। ओपन सर्जरी में मांसपेशियां ढंग से नहीं दिखती थीं, लेकिन कैमरे के लैंस में कई गुना बड़ी दिखती हैं। ऐसे में सर्जरी ज्यादा सटीक होती है।

इन विषयों पर दी जानकारी
इस अवसर पर एओ के ओर्गेनाइजनिंग चैयरमेन डाॅ. एसएन सोनी, आर्थोपेडिक विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. राजेश गोयल, डाॅ. अशोक तिवारी, डाॅ. मोहन मंत्री, डाॅ. आरपी मीना, डाॅ. जसवंत सिंह, डाॅ. मो. इकबाल, डाॅ. मनीष गर्ग, कोटा ओर्थो सोसाइटी के अध्यक्ष डाॅ. जीडी रामचंदानी, सचिव डाॅ. हितेश मंगल, डाॅ. केजी नामा ने पांच सत्रों को संबोधित किया।

प्रथम और द्वितीय सत्र में आर्थोपेडिक फैक्चर, ट्रीटमेंट, डाइरेक्ट इनडायरेक्ट रिडक्शन, स्क्रू एनाटोमी, प्लेट्स फार्म एण्ड फंक्शन, टेंशन बैण्ड वायरिंग, एक्स्ट्रा मीडिल्यूरी फिक्सेशन, लेग स्क्रू फिक्शेसन के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। वहीं, अन्तिम दो सत्रों में मेनेजमेंट ऑफ आर्टिक्यूलर फे्रक्चर, डायफिजियल फ्रैक्चर्स ओपन फ्रैक्चर्स,, इन्फेक्शन आदि के बारे में चर्चा हुई। इस दौरान पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन, वीडियो और प्रेक्टिकल सेशन भी हुए।

इस कोर्से में राजस्थान के अजमेर, उदयपुर, जोधपुर और कोटा मेडिकल कॉलेज के 60 आर्थोपेडिक स्नातकोत्तर चिकित्सकों ने भाग लिया। कॉन्क्लेव में लाइव सर्जरी के प्रेक्टिकल सेशन भी आयोजित किए गए थे। जिसमें कंधो, एंकल, घुटने, टखने और दूसरे जोड़ों की सर्जरी को उपकरणों के माध्यम से समझाया गया।